2024 के चुनाव में लागू हो महिला आरक्षण :दीपक बैज

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  • महिला आरक्षण विधेयक चुनावी सनसनी के लिए
  •  जनगणना व परिसीमन के बाद ही लागू हो पाएगा आरक्षण

रायपुर मोदी सरकार द्वारा पेश महिला आरक्षण बिल को  चुनावी शिगूफा बताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद दीपक बैज ने कहा है कि कांग्रेस शुरू से इस बिल की पक्षधर रही है, यह हमारा अपना बिल है। महिला आरक्षण 2024 के चुनाव में लागू हो जाना चाहिए। यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बड़ा विश्वासघात है कि बिल पास होने के बाद भी आरक्षण के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
बैज ने कहा है कि इस विधेयक में कहा गया है कि महिला आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद की परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा। इस प्रावधान से सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले जनगणना और परिसीमन हो पाएगा? मोदी सरकार ने 2011 के बाद 2021 में होने वाली जनगणना को अभी तक नहीं करवाया है। ऐसे में 2024 के चुनाव के पहले जनगणना होने पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। यह विधेयक मोदी सरकार द्वारा सिर्फ चुनावी सनसनी के लिए लाया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष  बैज ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा से आधी आबादी को उसका पूरा अधिकार देने की पक्षधर रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से बात की थी। कांग्रेस की सरकारों ने समय-समय पर इस हेतु प्रभावी कदम भी उठाए। सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए। महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ।

महिला आरक्षण कांग्रेस की देन
दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों के प्रयास से ही आज देशभर में पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40 प्रतिशत के आसपास है। कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति में भी महिला आरक्षण के लिए प्रस्ताव पारित किया है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यूपीए की चेयरपर्सन रहते महिला आरक्षण लागू करने के लिए अनेक बार ठोस पहल की। तब विपक्षी भाजपा इस पर रोड़े अटकाती रही है। वर्तमान में भी चुनावी हार को देखते हुए महिला आरक्षण बिल लाया गया है।