बाड़ी विकास में भ्रष्टाचार, और कितने अफसर हैं दागदार

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  • विधायक बघेल के हस्तक्षेप के बाद भी नहीं हुई अब तक कोई कार्रवाई

बकावंड बाड़ी विकास कार्यक्रम में हुए भ्रष्टाचार के मामले में विधायक की दखल के बाद भी बकावंड जनपद पंचायत के दोषी कर्मियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इससे सवाल उठने लगा है कि वरिष्ठ अधिकारी भी कहीं इस मामले में भागीदार तो नहीं हैं ?छत्तीसगढ़ सरकार ने परंपरागत आदिवासी कृषि प्रणालियों को पुनर्जिवित करने तथा कोदो, कुटकी, कुल्थी, मक्का आदि मिलेट फूड प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए बस्तर संभाग में विशेष बाड़ी विकास कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा शुरू की गई नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना से जोड़ा गया था। इसके लिए आदिम जाति विकास परियोजना को केंद्रीय मद की राशि आवंटित की गई थी। बकावंड जनपद पंचायत के कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने इस खास कार्यक्रम को भी अवैध कमाई का जरिया बना लिया। कार्यक्रम के तहत गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी किसानों को उनकी बाड़ियों के विकास तथा उनकी बाड़ियों में सब्जियों व मक्का की फसल लेने और अन्य भूमि पर कोदो, कुटकी, कुल्थी की खेती करने के लिए अनुदान, कृषि उपकरण एवं बीजों के किट्स उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था। मगर कर्मियों और जनपद पंचायत के कुछ सदस्यों ने मिलीभगत कर चंद किसानों को इक्का दुक्का बीज किट और फावड़ा, कुदाल जैसे मामूली औजार देकर उनके नाम से लाखों रु. का चूना सरकार को लगा दिया। बीज किट आपूर्ति का काम ऐसे जनप्रतिनिधियों को दे दिया गया, जो मेडिकल स्टोर, कॉपी, पुस्तक दुकान, जनरल स्टोर्स आदि के संचालक हैं। कृषि बीज खाद आदि व्यवसाय से उनका दूर दूर का भी नाता नहीं है। जनप्रतिनिधियों ने किसानों को बीज के एक दो पैकेट दे दिए और फर्जी बिल और किसानों से फर्जी पावती लेकर पूरी रकम आहरित कर ली।बस्तर जिले के विभिन्न विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में कोदो, कुटकी, मक्का, रागी की खेती के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। बस्तर जिले की बकावंड जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कोसमी, उड़ियापाल, मोंगरापाल में फर्जी बिल, पावती आदि जमा कर फर्जी हितग्राहियों के नाम से बड़ी रकम का आहरण कर लिया गया है। कोसमी ग्राम पंचायत में ही 16 हितग्राही आदिवासी किसानों को कोदो, कुटकी, मक्का बीज किट तथा बाड़ी सुधार के नाम से फावड़ा, कुदाल, तगाड़ी जैसे मामूली औजारों का वितरण कर हर हितग्राही के नाम पर 16 हजार 500 रु. का आहरण जनपद पंचायत के कर्मियों और जनप्रतिनिधियों ने कर लिया है। जबकि संबंधित किसानों को जो बीज किट और औजार उपलब्ध कराए गए हैं, उनकी कुल कीमत बमुश्किल आठ – नौ सौ रु. से ज्यादा नहीं है।

विधायक बघेल ने लिया संज्ञान

बकावंड जनपद में हुई इस गड़बड़ी के मामले पर बस्तर के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने संज्ञान लिया था, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों ने किसी भी कर्मी के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही फर्जीवाड़ा करने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। इस मामले की जानकारी दो माह पहले ही विधायक बघेल को मिल गई थी। तब बघेल ने जनपद पंचायत बकावंड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पत्र लिखकर मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों, संबंधित कर्मियों और हितग्राहियों की सूची के साथ उपस्थित होने के लिए कहा था। इसके बावजूद दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।