लोहंडीगुड़ा गोलीकांड के शहीदों को उसरीबेड़ा में दी गई श्रद्धांजलि

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  • सर्व आदिवासी समाज ने किया श्रद्धांजलि सभा का आयोजन


बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक में 31 मार्च 1961 को हुए गोलीकांड के शहीद शहादत स्थल पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गईलोहंडीगुड़ा विकासखंड के ग्राम उसरीबेड़ा के घटना बाजार स्थल पर शहीद स्मृति दिवस मनाया गया और गोलीकांड मे शहीद हुए आदिवासियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बस्तर के महाराजा को बदले जाने के विरोध में लोहंडीगुड़ा में 21 मार्च 1961 को आदिवासी सैकड़ों की संख्या में जमा हो गए थे। पुलिस ने आदिवासियों की आवाज को दबाने के लिए जमकर गोलीबारी की थी। इस गोलीकांड में 12 आदिवासियों की मौत हो गई थी। पुलिस ने तब आदिवासियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया था।कोर्ट ने 18 मई 1982 को सभी 59 आदिवासियों को को दोषमुक्त कर दिया था। तत्कालीन बस्तर महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव को पद से हटाकर उनके स्थान पर विजयचंद्र भंजदेव को राजा घोषित कर प्रवीरचंद्र भंजदेव को नरसिंहगढ़ जेल में बंद कर दिया गया था। यह बस्तर की जनता की भावना के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही थी। बस्तरवासियों ने विजय चंद्र भंजदेव को राजा मानने से इंकार करते शुक्रवार 31 मार्च 1961 को लोहंडीगुड़ा में जबरदस्त विरोध किया था। इस विरोध को शांत करने पुलिस ने गोलीबारी की थी। आदिवासियों ने इस अवसर पर बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और शहीद आदिवासियों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए आदिवासी नेताओं ने कहा कि समाज के दोगलों को अब सबक सिखाने की जरूरत है। आज बस्तर मे भूमकाल की पुनः जरूरत है। हमारी व्यवस्था और आस्था के कारण ही हमारी संस्कृति बची हुई है। 5 वीं अनुसूची क्षेत्र मे ग्राम सभा ही सर्वोच्च है आज गांव – गांव जाकर हमारे युवा साथी लोगों को जागरूक करने का प्रयत्न कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोग उन्हें नक्सली सहयोगी बता रहे हैं। आज ऐसे लोगों को जवाब देने की जरूरत है। आज सरकार ने पेसा कानून के लिए नियम बनाया लेकिन उस नियम के बारे में गांव के लोग नहीं जानते इसी कारण आज ग्राम सभा सशक्त नहीं है। आगे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के जिलाध्यक्ष संतू मौर्य ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व आदिवासी समाज को गलत दिशा में ले जाने का कार्य कर कर रहे हैं और आदिवासियों को हिंदू तथा ईसाई साबित करने मे लगे हुए हैं। संतू मौर्य ने कहा कि यदि जो लोग आज समाज हितैषी होने का ढोंग कर रहे हैं, वे अगर आज से 10 साल पहले से भी समाज के उत्थान के लिए कार्य करते तो आज यह दिन देखना नहीं पड़ता। आज वही लोग हमारे समाज को दूसरी दिशा मे ले जाने का और समाज में आपसी मतभेद फैलाने का कार्य कर रहे हैं। सर्व आदिवासी समाज के संभाग अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने युवाओं को आगे आकर कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आज समाज को सामाजिक एवं संवैधानिक रूप से जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है, तभी हमारे समाज का उत्थान होगा और हमारी संस्कृति एवं रीति – नीति संरक्षित रहेगी। श्री ठाकुर ने पेसा नियम, वनाधिकार अधिनियम, ग्राम सभा आदि के संबंध मे संक्षिप्त जानकारी साझा की। इस दौरान संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर , सुरेश कर्मा, बलराम मांझी, हिड़मो मड़ावी, राजा राम तोड़ेम, दशरथ कश्यप, महेश कश्यप, संतू मौर्य, मोसू पोयाम, ललित नरेटी, पूरन सिंह कश्यप, बंसत कश्यप, रामू कश्यप, बलदेव मड़ावी, भरत कश्यप, टंकेश्वर भारद्वाज, भंवर मौर्य, चंद्रू मड़ावी, भुनेश्वर बघेल, डमरू कश्यप, सोमारू बघेल, बनसिंह मौर्य, लंबोदर मौर्य, बोलो कश्यप, तारावती कश्यप, अनुभव सोरी, लक्ष्मण बघेल, प्रशांत कश्यप, फूलसिंह नाग आदि उपस्थित थे।