- नियम विरुद्ध किया जा रहा है दुकानों में व्यवसाय
- सड़ी गली मांस, मछली तलकर परोसी जा रही है ग्राहकों को
- मुर्गे, मछलियों के अवशेषों की बदबू ने त्रस्त कर रखा है लोगों को
जगदलपुर दुकानदारों की मनमानी के चलते नगर की चौपाटी शहरवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। चौपटी ने शहर की आबोहवा को चौपट करके रख दिया है। एक तो दुकानों का आवंटन गलत तरीके से हुआ है, ऊपर से तुर्रा यह कि दुकानदार नियमों के विपरीत जाकर जो खाद्य पदार्थ नहीं बेचना चाहिए, उनका विक्रय कर रहे हैं। कुछ आवंटी दुकानदार तो तीन चार दिन पुरानी मछली और मांस को भी ग्रेवी लगाने के बाद तलकर बेच रहे हैं। मुर्गे, मछलियों के अवशेषों को आसपास ही फेंक दिया जाता है, उसकी बदबू से लोग हलकान रहते हैं।नगर पालिक निगम जगदलपुर द्वारा करीब नौ साल पहले तरणताल के पास चौपाटी की स्थापना की गई थी। चौपाटी में अनेक गुमटियां भी बनाई गई हैं। इन गुमटियों का आवंटन उस दौर के पार्षदों, राजस्व सभापति, लोककर्म सभापति तथा अन्य जनप्रतिनिधियों ने अपने चहेतों को करा लिया। अनेक आवंटियों ने शुरू से ही अपनी गुमटियां रिश्तेदारों या फिर दूसरे लोगों को किराए पर दे रखी हैं। वे बाकायदा किराया वसूल रहे हैं, लेकिन नगर निगम को गुमटियों के भाड़े का भुगतान नहीं किया जा रहा है। गुमटियों में व्यवसाय करने वाले लोग नगर निगम की बिजली पानी का तो भरपूर दोहन कर रहे हैं। चौपाटी स्थल की सफाई भी नगर निगम के अमले द्वारा की जाती है, मगर बदले में नगर निगम को फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती। उस समय के अमूमन सभी पार्षदों ने गुमटियां अपने लोगों के नाम पर आवंटित करा रखी हैं। गुमटियों के आवंटन की प्रक्रिया तात्कालीन नगर निगम आयुक्त रमेश जायसवाल, राजस्व अधिकारी विनय श्रीवास्तव, राजस्व सभापति अश्विनी कुमार सरडे, लोककर्म सभापति संजय पाण्डेय, पार्षद यशवर्धन राव आदि की निगहबानी में पूरी की गई थी। आवंटन अंधा बांटे रेवड़ी की तर्ज पर हुआ और इसमें अपनों का ही भला किया गया। लॉटरी पद्धति से आवंटन प्रक्रिया पूरी की गई थी।
इनके नाम पर आवंटित हैं गुमटियां
दस्तावेजों के मुताबिक गुमटियां लोकेश कुमार खत्री, अभिनंदन पाण्डेय, श्रीनिवास राव, जॉय हरिदास, मोहम्मद मोहसिन, रामकेश राठौर, रवीश राठौर, झब्बन सिंह, धनमती कश्यप, देवेंद्र राठौर, देवकी चौरसिया, रामनरेश राठौर, कैलाश नाग, जागेश्वरी राव, श्यामा महिला स्व सहायता समूह, कमल सिंह बघेल, दीपक दुबे को आवंटित की गई हैं। गुमटी क्रमांक 3 जो पहले जागेश्वरी राव को आवंटित की गई थी, उसे सन 2015 में विजय वार्ड की निवासी प्रीति पाढ़ी के नाम पर आवंटित कर दिया गया। इनमें से ज्यादातर गुमटियों में आवंटियों की बजाय अन्य लोग व्यवसाय कर रहे हैं। पिछले नौ साल से यह सब धड़ल्ले से चल रहा है, मगर इस ओर देखने वाला कोई नहीं है।*बॉक्स**हो रहा सड़े मांसाहारी खाद्य पदार्थों का विक्रय*गुमटियों के आवंटन के लिए जो नियम और शर्ते निर्धारित थीं, उन पर जरा भी अमल नहीं किया जा रहा है। इन गुमटियों में बड़े, समोसे, कचौरी, सेव, भजिया, बस्तरिहा पकवान, चाय, कॉफी, बिस्किट, चाउमिन, न्यूडल्स, मैगी, मोमोस आदि का ही विक्रय किया जाना चाहिए। लेकिन अधिकतर गुमटियों में चिकन फ्राई, फिश फ्राई, चिकन करी, फिश करी, अंडा भुर्जी, अंडा करी, मीट करी, मीट मसाला का विक्रय धड़ल्ले से चल रहा है। दो तीन दिन पुरानी मछलियों और चिकन पिसेस को मेरिनेट करके रखा जाता है और ग्राहकों की डिमांड पर फिश और चिकन पिसेस को तलकर परोस दिया जाता है। ऐसे में यहां किसी भी दिन फूड पॉइजनिंग की बड़ी घटना हो सकती है। जिला प्रशासन का खाद्य विभाग और नगर निगम का स्वास्थ्य महकमा इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।*यूं ही फेंक देते हैं मुर्गे, मछलियों के अवशेष*मांसाहारी खाद्य पदार्थ बेचने वाले गुमटी संचालक मुर्गों और मछलियों के अवशेषों को चौपाटी परिसर में ही फेंक देते हैं। उनसे उठने वाली असहनीय बदबू से लोग हलकान होते रहते हैं। वहीं मांस व मछलियों के टुकड़ों को खाने के लिए चौपाटी में आवारा कुत्ते मंडराते रहते हैं, जो लोगों को काटने दौड़ते हैं।