(अर्जुन झा)
रायपुर छत्तीसगढ़ की भाजपा राजनीति को सिरे चढ़ाने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, पंचायत मंत्री गिरिराज सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पसीना बहा रहे हैं लेकिन भाजपा को इतने में संतुष्टि नहीं मिल रही। एक कहावत बहुत प्रचलित है कि चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाये। इसका आशय यह है कि आचार विचार बदला नहीं करते। जिसके स्वभाव में जो होता है, वह उससे परे नहीं हो सकता। ऐसे ही राजनीति में जिस पार्टी का जो आचरण है, वह एकदम से नहीं बदल सकता।कांग्रेस पर भाजपा तुष्टिकरण का आरोप लगाती है तो कांग्रेस उस पर साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की तोहमत लगाती है। कांग्रेस कहती है कि भाजपा राजनीति में भगवान राम और बजरंगबली के नाम से स्वार्थ सिद्ध करने की फिराक में रहती है तो भाजपा कहती है कि हिंदू वोट बैंक के लिए राहुल गांधी शिवभक्त बन जाते हैं, जनेऊधारी ब्राम्हण बन जाते हैं। कांग्रेस भी जवाब देने में देर नहीं करती कि प्रधानमंत्री मोदी मस्जिद पहुंच जाते हैं। अब बात तुष्टिकरण की हो अथवा संतुष्टिकरण की हो, धर्मांतरण की हो या धर्मावतरण की हो, राजनीति अपनी लीक पर चलती रही है और चलती रहेगी। मौजूदा समय के हिसाब से देखें तो कर्नाटक चुनाव में भगवान राम और हनुमानजी का आशीर्वाद भाजपा को नहीं मिला। अब छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में चार माह बाद चुनाव होने हैं। तीनों ही राज्यों में धार्मिक अनुष्ठान काफी मायने रखते हैं।छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव कराकर भाजपा की धड़कन तेज कर दी है। तब सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा के रणनीतिकारों ने इस बार भोलेनाथ की शरण लेने का टास्क अपने विस्तारकों के जरिये कार्यकर्ताओं तथा विचार परिवार के लोगों को दिया है। सावन मास शुरू हो गया है। इस बार सावन दो मास का रहेगा। छत्तीसगढ़ धार्मिक चेतना से ओतप्रोत राज्य है। यहां की संस्कृति में राम- कृष्ण- महादेव की त्रिवेणी बहती है। छत्तीसगढ़ में हर शहर, गांव, गली मोहल्ले, टोले, मजरे में शिवालय हैं। यहां की राजनीति में महादेव शिव शंकर की एंट्री हो रही है। सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ के सभी शिव मंदिर , पुजारी, पुजारी और शिवालयों से जुड़ी समितियों के सदस्यों की सूची मंगाई जा रही है। मतलब भाजपा इस बार भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने की योजना बना रही है। एक विख्यात कथा वाचक प्रदीप मिश्र के शिव महिमा वाचन के बाद छत्तीसगढ़ में शिवलिंग स्थापना की होड़ मच गई है। यहां पहले से ही शिव भक्तों की कोई कमी नहीं है। अब शिव चर्चा के माध्यम से इसका फायदा चुनाव में लेने शिवालयों पर भाजपा सुनियोजित तरीके से सक्रिय हो रही है। कितना फायदा मिलेगा, यह तो भोलेनाथ ही जानें लेकिन छत्तीसगढ़ में धर्म आधारित राजनीति का विस्तार साफ दिख रहा है। रामायण महोत्सव कराने वाले अब कृष्ण लीला की तरफ बढ़ गए तो मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है।