पचास साल बाद भी बस्ती को नहीं मिल पाई सड़क

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  • लिंगोगुड़ा के टोटापारा की मुख्य गली कीचड़ से अटी
  • मुख्य गली का मुरमीकरण भी नहीं हो पाया है अब तक

बकावंड विकासखंड बकावंड में एक ऐसी बस्ती भी है, जहां पचास साल का लंबा अरसा गुजर जाने के बाद भी एक अदद सड़क तक नहीं बनाई जा सकी है। ग्रामीणों को अन्यत्र गांव या फिर अपने ही पंचायत मुख्यालय में जाना हो, तो कीचड़ से अटी पड़ी गली को पार करना पड़ता है। बकावंड ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत कोसमी के आश्रित ग्राम लिंगोगुड़ा की टोटापारा बस्ती 50 वर्ष पहले आबाद हुई थी। यहां लगभग 40 परिवार निवासरत हैं। यहां रहने वाले ग्रामीण हर चुनाव में वोट देते हैं। मगर उनकी बदनसीबी यह है कि जिन्हें ये वोट देते हैं, वे जनप्रतिनिधि उनका दर्द दूर करने के बारे में सोचते तक नहीं।

बारिश के मौसम में मुख्य गली घुटने भर कीचड़ से सराबोर रहती है और जून के अंतिम सप्ताह से लेकर सितंबर के मध्य तक ऐसे ही हालात बने रहते हैं। ग्रामीण इस गली में पैदल भी चल नहीं पाते। गली से निकलने के फेर में लोगों को अपने कपड़े गंदे कराने पड़ जाते हैं। बस्ती के विद्यार्थियों को स्कूल जाने तथा ग्रामीणों को मुख्य बस्ती और पंचायत मुख्यालय कोसमी जाने में बड़ी दिक्कत होती है। बस्ती का कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ जाए या फिर किसी गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए, तो उन्हें अस्पताल पहुंचा पाना बहुत ही ज्यादा दुरूह हो जाता है। एंबुलेंस तो इस बस्ती तक पहुंच ही नहीं पाती। बस्ती के ग्रामीणों का कहना है कि सीसी सड़क निर्माण और गली मुरमीकरण की मांग करते करते वे थक चुके हैं। न ग्राम पंचायत कोई सुनवाई कर रही है और न ही क्षेत्रीय विधायक उनकी सुध ले रहे हैं। सड़क को विकास का पैमाना माना जाता है। जिस बस्ती में सड़क ही न हो वहां विकास की किरण भला कैसे पहुंच सकती है। सड़क के बिना बिजली, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी बस्ती में नहीं हैं। सरपंच और पंचायत सचिव से मुरमीकरण के लिए बस्ती के ग्रामीण कई बार गुहार लगा चुके हैं। पंचायत सचिव खगेश्वर कश्यप का कहना है कि मुरमीकरण के लिए कार्य और राशि की स्वीकृति नहीं मिल रही है। इसलिए मुरमीकरण नहीं करा पा रहे हैं।