केंद्र सरकार ने फिर छला बस्तर को : योगेश पाणिग्रही

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  • कागज पर है नाम, लेकिन अमृत भारत स्टेशन स्कीम में नहीं दी गई जगह

जगदलपुर छ्ग प्रदेश कांग्रेस कमेटी आईटी सेल व सोशल मीडिया के प्रदेश महासचिव योगेश पाणिग्रही ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के रेल मंत्रालय पर एक बार फिर बस्तर की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि बस्तर के साथ हुए इस छल का जवाब आने वाले विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार और भाजपा को बस्तर संभाग के मतदाता जरूर देंगे। पाणिग्रही ने कहा है कि पूर्व डीआरएम अनूप सतपथी ने अपने बस्तर के अंतिम प्रवास के दौरान कहा था कि अमृत भारत स्टेशन स्कीम के तहत जगदलपुर स्टेशन को भी शामिल किया गया है, लेकिन आज जिस प्रकार वाल्टेयर रेल मंडल में आंध्रप्रदेश के एक व ओडिशा के दो स्टेशनों के विकास के लिए इन तीनों स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन स्कीम में शामिल किया गया है। वहीं बस्तर के जगदलपुर स्टेशन के नाम को तो शामिल किया, किंतु काम को नहीं। योगेश पाणिग्रही ने कहा है कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि ओडीशा के सांसद अश्वनी वैष्णव जोकि रेलमंत्री भी हैं, वे बस्तर की लगातार उपेक्षा कर रहे हैं। इसकी एक वजह साफ नजर आती है कि बस्तर के मतदाताओं ने कांग्रेस के दीपक बैज को अपना सांसद चुना है। इसी का बदला बस्तर वासियों से केंद्र सरकार ले रही है। पाणिग्रही ने कहा है कि बस्तर के बैलाडीला से लौह अयस्क दोहन कर करोड़ों रुपयों का राजस्व केंद्र सरकार प्राप्त करती है, लेकिन जब सुविधा देने की बारी आती है, तो बस्तर को हमेशा ही छला जाता है। पूरे भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत भारत स्टेशन स्कीम शुरु की। इस योजना में बस्तर के जगदलपुर स्टेशन का नाम ही उल्लेखित जरूर किया गया है, लेकिन किसी भी प्रकार की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान नहीं करने से ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र की भाजपा सरकार बस्तर के आदिवासी समुदाय को विकास की मुख्यधारा से दूर ही रखना चाहती है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार सिर्फ और सिर्फ बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर आर्थिक लाभ कमाने पर ही ध्यान दे रही है। उसे बस्तर के हितों से कोई वास्ता नहीं है।कहीं नरेंद्र मोदी की सरकार बस्तर से इस बात का बदला नहीं ले रही है कि यहां की जनता ने भाजपा को सिरे से नकार दिया है?

नगरनार प्लांट का निजीकरण जनविरोधी

तेज तर्रार एवं समर्पित कांग्रेस नेता योगेश पाणिग्रही ने बस्तर जिले के नगरनार में स्थापित स्टील प्लांट के निजीकरण को भी केंद्र सरकार का जनविरोधी और आदिवासी विरोधी कदम निरुपित किया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के उपक्रम राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के जरिए नगरनार में स्टील प्लांट की स्थापना के लिए दर्जनभर गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। जमीन खोने वाले किसानों की पढ़ी लिखी संतानों को इस स्टील प्लांट में सम्मानजनक पदों पर नौकरियां और जमीन का पर्याप्त मुआवजा देने की बात कही गई थी। मुआवजा बहुत कम दिया गया, वहीं बस्तर के उच्च शिक्षित युवाओं को मामूली पदों पर नौकरी का ऑफर दिया गया। प्रभावित आदिवासी परिवारों के उच्च शिक्षित युवा नगरनार स्टील प्लांट में चपरासी, क्लर्क जैसे निचले पदों पर काम करने मजबूर हैं। सारे उच्च पदों पर बाहरी लोगों की भर्ती की गई है। इस पर भी यहां के भोलेभाले आदिवासियों ने अपना संयम नहीं खोया। उन्हें भरोसा था कि स्टील प्लांट को सरकार चलाएगी, तो बस्तर का विकास होगा, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार बस्तर के आदिवासियों के इस भरोसे को भी तोड़ने पर आमादा हो गई है। योगेश पाणिग्रही ने कहा है कि केंद्र सरकार जन भावनाओं को दरकिनार करते हुए नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने उद्दत है। हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बस्तर जिला प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज समेत तमाम कांग्रेसी जनप्रतिनिधि इस संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ आवाज उठाते आए हैं। भूपेश बघेल सरकार नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में न देने, संचालन की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ सरकार को सौंपने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेज चुकी है। सांसद दीपक बैज संसद में इस मसले को कई बार उठा चुके हैं। योगेश पाणिग्रही ने कहा है कि नगरनार स्टील प्लांट का निजीकरण बस्तर के आदिवासी समुदाय के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। संयंत्र के निजी हाथों में चले जाने से वहां की नौकरियों में आदिवासी युवाओं को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा।