स्वर्ग जैसे सरगीपाल को पीएचई ने बना दिया नरक

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  •   जल जीवन मिशन के लिए खोद डाली मुख्य सड़क, अब कीचड़ ही कीचड़
  • पीएचई के उपयंत्री आलोक मंडल का कारनामा
  • जल मिशन में डाले गए घटिया स्तर के पाईप

अर्जुन झा

बकावंड ‘सरग ले सुंदर माचो बस्तर चो माटी’ गीत बस्तर की वादियों, गलियों और खेत खलिहानों में गूंजते रहता है। बस्तरवासी बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि हमारा बस्तर स्वर्ग से भी सुंदर है। स्वर्ग की इस सुंदरता पर पीएचई के अधिकारियों की नजर लग गई है। बस्तर में एक गांव है सरगीपाल, जहां का नजारा वास्तव में स्वर्ग से भी सुंदर है। सरगीपाल का शाब्दिक अर्थ सरग पाल यानि स्वर्ग का रखवाला है। स्वर्ग जैसे गांव सरगीपाल का बुरा हाल पीएचई के अधिकारियों ने कर दिया है। जल जीवन मिशन के कार्य के नाम पर गांव से गुजरी मुख्य सड़क और अंदरूनी गलियों में बनी सीसी रोड को खोद डाला गया है। अब गांव में चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है। मिशन के सारे कार्य घटिया स्तर के कराए गए हैं।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के अफसरों की मनमानी के चलते ग्राम पंचायत सरगीपाल की गत बिगड़ गई है। कुछ माह पहले तक सरगीपाल का नजारा जन्नत जैसा था, मगर आज इस गांव में हर तरफ जहन्नुम जैसा मंजर है। सालों तक उबड़ खाबड़ गलियां, गर्मी के दिनों में उड़ती धूल और बारिश के मौसम में कीचड़ की त्रासदी झेलते आए ग्रामीणों को इनसे मुक्ति बड़ी मुश्किल से मिल पाई थी। गलियों सीसी सड़कें बन गईं थीं, मुख्य सड़क का पक्कीकरण हो गया था। इन कार्यों पर शासन ने करोड़ों रुपए खर्च किए थे। ग्रामीण बहुत खुश थे, मगर ग्रामीणों की यह खुशी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई। जल जीवन मिशन ग्रामीणों के लिए अभिशाप बनकर आया। एक समस्या से मुक्ति मिली, तो दूसरी बड़ी समस्या पैदा हो गई। ग्रामीणों को पेयजल समस्या से मुक्ति तो मिल गई, मगर उनसे सड़कों की सुविधा छिन गई है। जल जीवन मिशन के तहत ग्राम पंचायत सरगीपाल में बोर खनन, ओवरहेड टंकी निर्माण, मोटर पंप लगाने, गांव की हर गली में पाईप लाईन सार्वजनिक स्टैंड पोस्ट लगाने, हर घर में नल कनेक्शन देने और नलों के लिए स्टैंड पोस्ट व प्लेटफार्म बनाने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को करोड़ों रुपयों का आवंटन मिला था। विभाग के अधिकारियों ने इस रकम पर नजर गड़ा दी और गुणवत्ता को तिलांजलि देते हुए सारे कार्य बहुत ही निम्न स्तर के कराए। अन्य पंचायतों की तरह सरगीपाल में भी कम गहरा बोर कराकर ज्यादा गहराई का बिल लगाया और रकम हजम कर ली। कैसिंग, बोर के पाईप और गलियों में बिछाए गए बेहद हल्के दर्जे के हैं। मोटर पंप हल्की क्वालिटी का लगाया गया है। स्टैंड पोस्ट प्लेटफार्म और टंकी निर्माण में हल्के स्तर की सीमेंट उपयोग में लाई गई है। निजी व सार्वजनिक नलों में इस्तेमाल किए गए लोहे व प्लास्टिक के पाईप भी स्तरहीन हैं। ये सारे कार्य पीएचई के सब इंजीनियर आलोक मंडल की देखरेख में ठेकेदार के माध्यम से कराए गए हैं। श्री मंडल ने ग्राम पंचायत कोहकापाल और गुमडेल में कराए गए जल जीवन मिशन के कार्यों में भी ऐसी ही अनियमितता बरती है। इन दोनों पंचायतों की तरह सरगीपाल की मुख्य सड़क और गलियों की सीसी रोड को पाईप लाईन बिछाने के लिए पूरी तरह खोद दिया गया है। इन सड़कों का निर्माण कुछ साल पहले ही करोड़ों रुपए खर्च कर कराया गया था।

  • बिगड़ गया है गांव का हुलिया

सड़कों को खोद दिए जाने से गांव का हुलिया ही बदल गया है। मुख्य सड़क और गलियों की सड़कें उबड़ खाबड़ एवं कीचड़ युक्त हो गई हैं। ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्टैंड पोस्ट के प्लेटफार्म धंस जाने से घरों, गलियों और सड़कों में जगह जगह पानी का जमाव हो गया है, जिसमें मच्छर पनप रहे हैं। मच्छरों के कारण ग्रामीण रात में चैन से सो नहीं पाते और मच्छरों के काटने से लोग मलेरिया व डेंगू रोग की चपेट में आ रहे हैं। इसे लेकर ग्रामीणों में भारी नाराजगी है।

ईई के आदेश की उड़ी धज्जियां

पीएचई के एसडीओ तथा सब इंजीनियर आलोक मंडल और ठेकेदार विभाग के कार्यपालन यंत्री के आदेश की धज्जियां उड़ाने से भी नहीं हिचक रहे हैं। इससे लगता है कि एसडीओ और सब इंजीनियर के सामने ईई जगदीश कुमार बौने पड़ गए हैं, या फिर उनके शह पर ही यह सब खेल चल रहा है। पीएचई के ईई जगदीश कुमार ने सड़कों को खोदे जाने के सवाल पर इस संवाददाता से कहा था कि हमने विभाग के सभी एसडीओ और सब इंजीनियरों को साफ निर्देश दे रखा है कि पाईप लाईन बिछाने के लिए गांवों की सड़कों को बिल्कुल भी न खोदा जाए और जल जीवन मिशन के सभी कार्यों में गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। ईई के इस आदेश पर किसी भी ग्राम पंचायत ने पीएचई के अधिकारियों ने जरा भी अमल नहीं किया है। बकावंड जनपद की सभी 93 ग्राम पंचायतों में जल जीवन मिशन के कार्यों में जमकर गड़बड़ी की गई है और सड़कों को उधेड़ कर रख दिया गया है। गुमडेल पंचायत के प्रतिनिधियों ने मामले की शिकायत विभाग के ईई जगदीश कुमार से की थी, लेकिन ईई ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।