भजन संध्या में झूमें भगवान अय्यप्पा स्वामी के भक्त

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  • बालाजी मंदिर में देर रात तक चला भजनों का सिलसिला

जगदलपुर विगत 17 नवंबर से एक 41 दिनों की मंडल दीक्षा मे लीन भगवान अय्यप्पा स्वामी के भक्त बालाजी मंदिर में आयोजित भजन संध्या में जमकर झूमे। श्री अय्यप्पा स्वामी भक्त मंडली जगदलपुर द्वारा शनिवार को आयोजित भजन संध्या में भजनों का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। आंध्र प्रदेश के विजयनगरम से पधारे गुरु स्वामी नारायण राव के सानिध्य में आयोजित भजन संध्या में मंडल दीक्षा ले रहे अय्यप्पा स्वामी के भक्तों के साथ- साथ शहरवासी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। भजन संध्या में 7:00 बजे से प्रारंभ हुए भजनों का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। भजन संध्या में आगंतुक अतिथियों के अलावा गुरु स्वामी चप्पा श्रीनिवास राव, बीडीवी जगदीश, के कामेश्वर राव, वानराशि श्रीनिवास राव, पी राजेश सोनी, आर वसंत राव, आर नवीन, सी एच आचारी, किशोर जंगम, टी राजा, लक्ष्मण राव, सतीश सोनी , वाई गोपी, आर चिन्ना आदि ने अपने भजनों से वातावरण भक्तिमय बना दिया। भक्ति भाव में डूबे भजनों ने बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों को देर रात तक बांधे रखा। आरती के पश्चात रात में आयोजित प्रसाद वितरण (भंडारा) में भक्तों ने बड़ी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर प्रसाद ग्रहण किया।

दीक्षा के 41वें दिन संपन्न होगा इरुमुड़ी विधान, 28 दिसंबर को सबरीमाला के लिए होंगे रवाना

17 नवंबर से दीक्षारत श्रद्धालुओं का 41 दिवसीय व्रत 28 दिसंबर को पूर्ण होगा। इसी दिन 41 दिनों से काले वस्त्र धारण कर कठिन व्रत का पालन कर रहे उपासक सबरीमाला दर्शन के लिए रवाना होंगे। बुधवार सुबह 10 बजे से महत्वपूर्ण विधान इरूमुड़ी की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। बालाजी मंदिर प्रांगण में आयोजित पूजा विधान के पश्चात दोपहर में भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाएगा। आंध्र समाज के अध्यक्ष एम जयंत नायडू ने बताया कि इसी दिन संध्या 04 बजे उपासकों का जत्था बालाजी मंदिर से रेलवे स्टेशन के लिए पैदल रवाना होगा।

रंग बिरंगे फूलों और केले के तने से सजा भगवान का मंडप

केरल राज्य स्थित सबरीमाला मंदिर के मुख्य द्वार की 18 सीढ़ियों सहित देव प्रतिमाओं के प्रतीक स्वरूप की गई विशेष सज्जा भजन संध्या के अवसर पर भक्तों के आकर्षण का केंद्र रही। मंडल दीक्षा ले रहे श्रद्धालुओं ने केले के तने और आंध्र प्रदेश के राजमहेंद्री से मंगाए गए रंग-बिरंगे फूलों से स्वयं भगवान का मंडप सजाया था। बता दे की सबरीमाला मंदिर की 18 सीढ़ियां से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार पहली पांच सीढ़ियां पांच इंद्रियों का प्रतीक हैं। अगली आठ मनुष्य के आठ भावों के प्रतीक हैं। इसके बाद तीन सीढ़ियां तीन गुणों को दर्शाती हैं और आखिरी दो सीढ़ियां विद्या और अविद्या की प्रतीक हैं। इन सीढ़ियों को 18 पुराणों, सबरीमाला के आसपास के 18 पहाड़ों, अयप्पा के 18 शस्त्रों, 18 सिद्ध पुरुषों, 18 देवताओं और 18 गुणों से भी जोड़ा जाता है।