संजय और सूरेश की जोड़ी क्या तोड़ेगी रेखचंद-राजीव का तिलिस्म, सरकार के दो वर्ष पूरे होते ही खोला मोर्चा, जगदलपुर विधानसभा में क्या फतेह करेगी भाजपा

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जगदलपुर। भाजपा जिला संगठन ने नगर मंडल अध्यक्ष के तौर पर सूरेश गुप्ता की नियुक्ति के बाद संगठनात्मक बैठक फिर भूपेश बघेल सरकार के दूसरे दिन से शहीद स्मारक का मुद्दा या फिर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर जिस प्रकार मुखर हुए और फिर नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे का साथ क्या यह जगदलपुर विधानसभा में कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। प्रशासनिक अकर्मण्यता के कारण कांग्रेस की किरकिरी हो रही है जिस प्रकार भाजपा शासनकाल में शहर अध्यक्ष राजीव शर्मा व विधायक रेखचंद जैन ने विरोध प्रदर्शन कर जो तिलस्म स्थापित किए गए थे प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब उसके दरकने के आसार दिख रहा है।


कांग्रेस पार्टी को संजीवनी जगदलपुर विधानसभा में पंद्रह वर्षों बाद संजीवनी मिला है,कितने संघर्ष से भाजपा से सत्यता हथियाया गया है। ज़ोगी सरकार में भाजपा के विधायक सुभाऊ कश्यप व संतोष बाफना काबिज रहे। सुभाऊ जगदलपुर विधानसभा अनारक्षित होने से बस्तर चले गए और उनकी जगह पर 2008 से 2018 तक संतोष ने जिम्मेदारी संभाली। 2014 में कांग्रेस के प्रदर्शन से बमुश्किल निगम में विजय श्री हासिल की जिसके दो वर्ष के भीतर प्रशासनिक अधिकारियों का नेताओं पर हावी होना भारतीय जनता पार्टी को बैठे बिठाए मुद्दों पर मुद्दों दे रहा है जिससे कांग्रेस पार्टी की छवि धुमिल हो रही है जिसके कारण अब चर्चाओं का बाजार गर्म है कि कहीं जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा राजीव व रेखचंद का करिश्माई तिलिस्म तोड़ सकता है। कांग्रेस पार्टी 2014 में निगम में कुर्सी संभालने के बाद लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हुए 2018 के चुनाव में विधानसभा चुनाव चुनाव जीता।

2019 के लोकसभा में भी जगदलपुर विधानसभा के शहरी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन था तथा अप्रत्यक्ष चुनाव के तहत कांग्रेसी पार्षदों की भी बड़ी संख्या में विजय श्री हुई किंतु प्रशासनिक स्तर पर पकड़ नहीं होने से अब धीरे-धीरे कांग्रेश की छवि धूमिल हो रही है। दूसरी तरफ चौक चौराहों में यह चर्चा प्रारंभ हो गई है कि नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश गुप्ता एवं नेता प्रतिपक्ष संजय पांडे की जोड़ी विधायक रेखचंद जैन व शहर अध्यक्ष राजीव शर्मा के करिश्माई नेतृत्व से मिले जीत के तिलस्म को क्या तोड़ देगी।