छत्तीसगढ़ शासन की महती योजना नरवा गरवा और घुरवा बाड़ी के अंतर्गत ग्राम पंचायत चिपरा में गौठान का निर्माण कराया जा रहा है किन्तु उक्त निर्माण को लेकर ग्रामीण एवं सरपंच एक मत नहीं है | ग्रामीणों द्वारा सरपंच पर आरोप लगाया जा रहा है कि उनके द्वारा मनमानी की जा रही है | सरपंच द्वारा गौठान के लिए चयनित भूमि के मध्य से वर्षों पुराना मार्ग है जो कि किल्लेकोड़ा, झरणटोला एवं अगरियापारा की ओर जाता है उक्त मार्ग में कृषकों द्वारा अपने खेत पर पहुँच मार्ग के लिए भी करते है उसी मार्ग में पंचायत का मुक्तिधाम एवं प्रतीक्षालय तथा पिछले कार्यकाल के लाखों की लागत से बना तालाब है जिसका प्रयोग ग्रामीणों द्वारा निस्तारी के लिए किया जाता है
जिसे सरपंच एवं अधिकारियों द्वारा वर्षों पुराने मार्ग को लोहे का बड़ा गेट लगा मार्ग को ही गौठान के नाम से बंद कराया जा रहा है एवं बौंड्रीवाल बनाने से किसानों को खेत जाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है | सरपंच द्वारा मनमानी करते हुए गौठान के दोनों ओर लोहे का बड़ा सा गेट लगाकर इस मार्ग को अवरुद्ध किया जा रहा है जिसका विरोध ग्रामीण जनों द्वारा निर्माण के पूर्व से किया जा रहा है जो कि अनुचित है | किसानों का कहना है कि भविष्य में हमारे द्वारा आगे कृषि भूमि पर शासन की किसी योजना का क्रियान्वयन करने के लिए जैसे पशुपालन, मत्स्य उत्पादन व पोल्ट्री जैसे व्यवसाय करना चाहेंगे तो उन्हें आवागमन की समस्या होगी एवं योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे |
यही पूर्व सरपंच राणा ने आरोप लगाया कि ग्राम सभा में भूमि चयन को लेकर आपत्ति की गई थी ग्राम के दूसरी ओर राजा पठार क्षेत्र में गौठान बनाने की बात की गई थी किन्तु सरपंच एवं अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए उक्त भूमि का चयन किया गया है जो कि उचित नहीं है | सार्वजनिक मुक्तिधाम एवं तालाब पर गेट लगाकर बंद किये जाने से वर्षों पुराना मार्ग भी बंद हो जायेगा ऐसा कर सरपंच द्वारा जमीन पर कब्ज़ा करना उचित नहीं है |
वहीँ दूसरा पक्ष जो कि सरपंच के समर्धन में है उनका कहना है कि जिन ग्रामीणों द्वारा भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा था वही विरोध कर रहे है |
सरपंच ग्राम पंचायत चिपरा कुमारी बाई भुआर्य
का इस सम्बन्ध में कहना है कि गौठान निर्माण के लिए भूमि का चयन किया जा चूका है और आने जाने के मार्ग कि बात है तो उसके लिए ग्रामीणों के आवागमन के लिए अन्य मार्ग का निर्माण किया जायेगा और साथ ही यदि वे इसी मार्ग का उपयोग करना चाहे तो कर सकते है और ग्रामीणों के विरोध कि बात पर कहा कि उनका विरोध करना गलत है कि उक्त गौठान का निर्माण अधिकारियों के निर्देशानुसार ही किया जा रहा है और ग्रामीण इसके निर्माण में अवरोध पैदा करेंगे तो गौठान का निर्माण नहीं किया जायेगा |
ग्रामवासी उदेलाल सिन्हा
के कहे अनुसार गौशाला का निर्माण होना चाहिए किन्तु उनका वर्षों पुराना रोड भी बचना चाहिए जो कि एकमात्र किल्लेकोड़ा व् झरण जाने का एक मात्र जरिया है उसके साथ ही मुक्तिधाम और लाखों की लागत से बना तालाब को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए उसके बाद बचे हुए भूमि पर गौठान का निर्माण किया जाये |
ग्रामवासी चन्द्र कुमार बारसागढ़े
ने बताया वर्तमान गौठान का निर्माण वर्षों पुरानी रोड पर किया जा रहा है | पहले जब ग्राम सभा की बैठक हुई थी तब कहा गया था कि इसका निर्माण रोड को छोड़कर बनाया जायेगा किन्तु जब निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया तो इस बात का ध्यान नहीं रखा गया इस रोड का प्रयोग ग्रामवासी 30-40 वर्षों से अपने मुलभुत उपयोग के लिए करते आ रहे है | इन्होने बताया कि इनकी भी जमीन गौशाला निर्माण के अंतर्गत आ रही है | गौशाला के लिए एक बड़ा 30 फीट लोहे का दरवाजा भी लगा दिया गया है जब ग्रामवासी द्वारा आपत्ति कि गई तो सरपंच का कहना है कि यह दरवाजा ग्रामीणों के आने जाने के लिए खुला रहेगा | जब दरवाजा को खुला ही रखना था तो लगाने का क्या तात्पर्य है |
ग्रामीण द्वारा कलेक्टर, एसडीएम् व् तहसीलदार मैडम से अनुरोध किया है कि उक्त विवादास्पद मामले का निराकरण करें |
जांच अधिकारी डौंडी एन के सुपेत के अनुसार
गौठान निर्माण की शिकायत ग्राम चिपरा के ग्रामवासी उदेराम सिन्हा, शिव राम, चन्द्र कुमार द्वारा कलेक्टर महोदय से की गई जिसके फलस्वरूप मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत डौंडी के द्वारा जांच इन्हें अधिकारी नियुक्त किया गया जिनके साथ तकनीकी अधिकारी गणेश्वर कँवर है | जांचकर्ता अधिकारी का कहना है कि ग्रामवासी द्वारा एक बार फिर से आपस में सलाह कर उचित निर्णय ले जिसमे पटवारी को भी बुलाया जाना चाहिए उसके पश्चात् ही कार्य का संपादन किया जाना चाहिए | गौशाला का निर्माण नरवा घुरवा बाड़ी के अंतर्गत किया जाना है |
उक्त विवाद के बाद भी निर्माण कार्य जारी है जिससे शासन के पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है | ग्रामीणों ने मांग की है कि इसका उचित निराकरण किया जाये | वहीँ मुक्तिधाम को अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया बिना ही निर्माण कार्य करने से ग्रामीणों को अंतिम संस्कार जैसे कार्यक्रम करने में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है |