गौमाता और देवी लक्ष्मी कृपावान हैं मंगनार गांव की महिलाओं पर

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  • वर्मी कंपोस्ट बेचकर मालामाल हो रही हैं इस गांव की महिलाएं
  • गोबर से 4500 क्विंटल केंचुआ खाद बनाकर बेच चुकी हैं महिलाएं
  • रोज 5 क्विंटल गोबर की आवक होती है मंगनार गांव के गोठान में

अर्जुन झा

बकावंड विकासखंड के ग्राम मंगनार की महिलाओं पर गौमाता और देवी लक्ष्मी की कृपा जमकर बरस रही है। गौमाता के गोबर से वर्मी कंपोस्ट बना और बेचकर महिलाएं खूब धन कमा रही हैं। उन पर धन की देवी लक्ष्मी विशेष रूप से कृपावान हो गई हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना यहां की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत यहां की महिलाएं शासन द्वारा विकसित कराए गए गोठान में गांव के लोगों से गोबर खरीदती हैं और उससे निर्मित वर्मी कंपोस्ट को बेचकर मालामाल हो रही हैं।

स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं गोठान में किसानों और पशु पालकों से गोबर खरीदती हैं और उससे वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) बनाती हैं। इस केंचुआ खाद को वे स्थानीय तथा बाहर के किसानों के पास विक्रय करती हैं। इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। महिलाओं द्वारा निर्मित वर्मी कंपोस्ट की डिमांड इतनी ज्यादा है कि खरीदारों को टोकन जारी करने की नौबत आ गई है। जो किसान टोकन लेकर आते हैं, उन्हें ही वर्मी कंपोस्ट दी जाती है। कृषि विभाग के अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मंगनार के गोठान में प्रतिदिन 4 से 5 क्विंटल तक गोबर की आवक होती है, जोकि बस्तर जिले में सबसे ज्यादा है। गोठान विकसित होने और गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से महिला स्व समूह द्वारा अब तक यहां 16 हजार 858 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। इस गोबर से अब तक 6 हजार 200 क्विंटल केंचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट ) बनाई जा चुकी है और इसमें से साढ़े चार क्विंटल से अधिक केंचुआ खाद का विक्रय किया जा चुका है। स्टॉक में बची तथा मौजूदा समय में निर्मित हो रही केंचुआ खाद के विक्रय के लिए किसानों को टोकन जारी किए गए हैं। मंगनार के गोठान में केंचुआ खाद बनाने के लिए 44 वर्मी बेड बनाए गए हैं तथा गोबर की अधिक आवक के मद्देनजर लो कॉस्ट तकनीक से खाद तैयार की जाती है।

किसान पुत्र भूपेश ने समझी गोबर की अहमियत

गोबर और गोमूत्र की अहमियत को किसान पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बेहतर ढंग से समझा है। इसीलिए उन्होंने प्रदेश में गोधन न्याय योजना शुरू की है। यह योजना जहां महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा रही है, वहीं राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा भी दे रही है। किसान अब अधिक खर्चीली रासायनिक खादों से मुक्त कृषि करने लगे हैं। जैविक खेती का एक बड़ा फायदा यह भी है कि इससे उपजने वाली फसल कीट व्याधियों से मुक्त तथा अनाज अपेक्षाकृत अधिक पौष्टिक और सुस्वादु होता है। रासायनिक खेती से फसलों में कीट व्याधि तथा दूसरी तरह की बीमारियां ज्यादा लगती हैं। इनके निवारण के लिए किसानों को महंगे कीटनाशकों का छिड़काव खेतों में करना पड़ता है। भूपेश बघेल की सरकार ने रीपा, गोधन न्याय योजना आदिवासी परब सम्मान निधि, राजीव गांधी किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं शुरू कर किसानों, पशु पालकों, महिलाओं, मजदूरों और आदिवासियों की समृद्धि के द्वार खोल दिए हैं। इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण ग्राम मंगनार में देखने को मिला है।

छ्ग सरकार की हर योजना है कारगर : लखेश्वर

मंगनार गांव बस्तर विधानसभा क्षेत्र में स्थित है। यहां के विधायक एवं बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल कहते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा चलाई जा रही हर योजना कारगर साबित हुई है। गोधन न्याय योजना भी उन्हीं में से एक है। मंगनार की महिलाएं गोधन न्याय योजना का लाभ बहुत ही अच्छे ढंग से उठा रही हैं। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मंगनार मेरे निर्वाचन क्षेत्र में है और वहां की माता – बहनों पर गौ लक्ष्मी की कृपा बरस रही है। विधायक श्री बघेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के हित में बहुत ही सराहनीय कार्य किए हैं, जिसके लिए मैं व्यक्तिगत तौर पर उनका सदैव ऋणी रहूंगा।