आस्था, विश्वास, विकास और ओज का पर्याय बने दीपक बैज

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  • जन आस्था और विश्वास पर पूरी तरह खरा उतरा है बस्तर का दीपक
  • ओज से भरे दीपक बैज ने फैलाया विकास का उजाला

-अर्जुन झा-

जगदलपुर आस्था, विश्वास, श्रद्धा, ओज और पवित्रता का प्रतीक होता है दीपक। दीपावली का त्यौहार करीब है और चुनावी त्यौहार का भी दौर चल रहा। दिवाली में दीपक का महत्व सर्वविदित है। वैसे ही बस्तर और चित्रकोट के ‘दीपक’ की भी अहमियत को बस्तर लोकसभा क्षेत्र और चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र के लोग सालों से महसूस करते एवं देखते आ रहे हैं। जन आस्था, विश्वास, ओज और ओज के प्रतीक बन चुके बस्तर के माटीपुत्र दीपक बैज ने बिना भेदभाव और राजनैतिक दुर्भावना के अपने संसदीय क्षेत्र एवं विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में विकास का उजाला फैलाया है। समूचे बस्तर लोकसभा क्षेत्र को विकास का नया आयाम दिया है। बस्तर ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और यहां के आदिवासियों एवं वनवासियों के हितों से जुड़े मुद्दों को लेकर भी दीपक बैज की सक्रियता संसद से लेकर सड़क तक में नजर आई है।
संसद, विभिन्न विभागों के मंत्रालयों एवं वरिष्ठतम अधिकारियों के दफ्तरों में सांसद दीपक बैज अपने क्षेत्र की अवाम के हक के लिए मुखर होकर आवाज उठाते रहे हैं। उनके प्रयासों के सुफल भी सामने आए हैं। दीपक बैज के संघर्ष का ही नतीजा है कि बस्तर के लिए नियमित रेल सेवा बहाल हो पाई, रायपुर – जगदलपुर नेशनल हाईवे को फोरलेन सड़क में तब्दील करने की मंजूरी मिली। टाटा समूह के लिए अधिग्रहित जमीन आदिवासियों को वापस मिल गई। बोधघाट परियोजना का काम रद्द हुआ, जिससे हजारों एकड़ कृषि भूमि और पचासों गांव डूबान में आने से बच गए। इसके बदले दूसरी सिंचाई परियोजना को मंजूरी मिली। यह नई परियोजना आदिवासी किसानों के जीवन में खुशहाली लाने में मददगार बनेगी। किसान दोहरी फसल लेकर आर्थिक रूप से संपन्न हो सकेंगे। वनोपजों पर निर्भर आदिवासियों को आय का और भी बढ़िया जरिया मिल जाएगा। दीपक बैज की पहल पर ही बस्तर में अब औद्योगिक क्रांति आने लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सांसद दीपक बैज की मांग के अनुरूप बस्तर संभाग में अनेक रीपा यूनिटों की स्थापना कराई है। इन यूनिटों में यहां के आदिवासी युवाओं और महिलाओं को भरपूर रोजगार मिलने लगा है। वे स्वयं लघु उद्योग चलाकर मजदूर से मालिक बन गए हैं। उनके उद्योगों में निर्मित हो रहे उत्पादों की डिमांड देशभर में हो रही है। जिस ईमली, महुआ, चार, चिरोंजी आदि को वे नून (नमक) के बदले ही व्यापारियों के हवाले कर देते थे, उन्हीं चीजों को आदिवासी अब अच्छे दामों पर बेचकर कमाई करने लगे हैं। इन वस्तुओं से रीपा यूनिटों में उत्कृष्ट खाद्य पदार्थ बनने लगे हैं।

बस्तर को मिली वैश्विक पहचान
सांसद दीपक बैज की पहल पर बस्तर में कई निजी उद्योग भी स्थापित हुए हैं, जो वनोपजों से बेमिसाल प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। इन उद्योगों ने अपने उत्पादों से जहां बस्तर को वैश्विक पहचान दिलाई है, वहीं स्थानीय युवाओं और महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में भी बड़ी भूमिका निभाई है। बस्तर में ईमली की उपज बड़े पैमाने पर होती है और उसकी क्वालिटी भी बड़ी अच्छी है।यहां स्थापित एक उद्योग में ईमली से सॉस और कैंडी बनाई जाती है। इस ईमली सॉस और कैंडी की तो अब सात समंदर पार भी धूम मच रही है। यहां निर्मित ईमली सॉस और कैंडी को अमेरिका के लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। कुछ माह पहले ही सांसद दीपक बैज, उनकी धर्मपत्नी पूनम बैज और पुत्र सूर्यांश बैज ने उक्त उद्योग में तैयार ईमली सॉस एवं कैंडी की बड़ी खेप को हरी झंडी दिखाकर अमेरिका के लिए रवाना किया था। इस तरह बस्तर की वन उपज भी पूरी दुनिया में धूम मचा रही हैं।

बढ़ेगी रेल सेवा, मिलेगा रोजगार
दल्ली राजहरा से रावघाट, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ होते हुए जगदलपुर तक रेल लाईन निर्माण के काम में गति आई। इससे बस्तर की कनेक्टीविटी दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, नागपुर, मुंबई, कोलकाता, भोपाल राजनांदगांव आदि शहरों तक बढ़ जाएगी। बस्तर के लोगों को आवागमन के लिए बेहतर और किफायती यात्री ट्रेन सेवा मिलने लगेगी। वहीं ट्रेन सेवा शुरू हो जाने से बस्तर पर्यटन हब के रूप में विकसित हो जाएगा। चित्रकोट वाटर फॉल में बारहों माह पर्यटकों का मेला लगा रहेगा और स्थानीय लोगों को रोजी रोजगार के साधन मिलने लगेंगे। होटल और यात्री परिवहन व्यवसायियों को भी बड़ा लाभ होगा।