कवि और साहित्यकार के अवतार में दिखे कलेक्टर विजय

0
164
  • साहित्यिक शब्दों से जीत लिया उपस्थितजनों का दिल
  •  सुशासन दिवस समारोह में विजय दयाराम के का जाग उठा साहित्य प्रेम
    अर्जुन झा

जगदलपुर बस्तर के कलेक्टर विजय दयाराम के. बीते 25 दिसंबर को कवि और साहित्यकार के अवतार में नजर आए। उनके इस बिल्कुल नए अंदाज ने उपस्थित जन समुदाय का दिल जीत लिया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि किसी गैर हिंदीभाषी राज्य का मूल निवासी बड़ा अधिकारी भी इतना विराट वक्तव्य दे सकता है। उनके ओजस्वी उद्बोधन ने समारोह के वातावरण को देशभक्ति की भावना से अभिपूरित कर दिया। हॉल में भारत माता के जयकारे गूंजते रहे। अधिकारी – कर्मचारियों और नागरिकों के बीच कलेक्टर विजय दयाराम के. का नया व्यक्तित्व सामने आया है और लोग कलेक्टर की इस नई और बेमिसाल छवि के कायल हो गए हैं।

भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया गया। इस अवसर पर स्वच्छता अभियान चलाया गया, स्वच्छता कर्मियों का यशोगान किया गया। जगदलपुर के विधायक एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण देव सिंह, चित्रकोट के विधायक विनायक गोयल, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष संजय पाण्डेय, कलेक्टर विजय दयाराम के., जिला पंचायत के सीईओ प्रकाश सुर्वे, नगर निगम आयुक्त हरेश मंडावी समेत अनेक जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने अपने हाथों में झाड़ू थामकर सड़कों की सफाई की। जिला प्रशासन ने भी एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर अटल जी को पुण्यांजलि अर्पित की। इसी समारोह में कलेक्टर विजय दयाराम के. का नया रूप देखने को मिला। अपने कलेक्टर एक सधे हुए कवि और साहित्यकार के अवतार में नजर आए। उन्होंने अपनी अद्भूत वक्तृत्व क्षमता का परिचय दिया। समारोह में कलेक्टर कुछ इस अंदाज में बातें रखी कि पूरा हाल तालियों की गदगड़ाहट से गूंज उठा। मातहत अधिकारी कर्मचारी और नागरिक हैरतभरी नजरों से कलेक्टर को देखते रहे। कलेक्टर विजय दयाराम के. ने भारत की महिमा का बखान साहित्यिक अंदाज में किया। उन्होंने कहा – बताना चाहूंगा भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं, जीता जागता राष्ट्र है। ये वंदन की धरती है, अभिनंदन की धरती है। ये अर्पण की भूमि है, ये तर्पण की भूमि है, ये दर्पण की भूमि है। यहां की हर नदी हमारे लिए गंगा है, यहां का कंकर कंकर हमारे लिए शंकर है। हम जीयेंगे भी तो भारत के लिए और मरेंगे भी तो भारत के लिए और मरने के बाद भी गंगाजी में बहती हमारी अस्थियों को जब कोई कान लगाकर सुनेगा, तो एक ही आवाज सुनाई देगी भारत माता की ….। कलेक्टर का अंतिम वाक्य पूरा भी नहीं हो पाया था की दर्शक दीर्घा से आवाज गूंज उठी जय। कलेक्टर ने अपनी बातों से ऐसा समां बांधा कि दर्शक दीर्घा से देशभक्ति की प्रबल लहर उठने लगी थी।.

कलेक्टर का एक रूप यह भी
कलेक्टर विजय दयाराम के. एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं एक प्रकृति प्रेमी संवेदनशील एवं सहृदय नागरिक भी हैं। उनका यह दूसरा रूप बीते दिनों नेगानार के साप्ताहिक बाजार में देखने को मिला था। बस्तरिहा परिवेश और खाद्य संस्कृति को करीब से जानने समझने के लिए विजय दयाराम के.ने बीते शनिवार को नेगानार साप्ताहिक बाजार का भ्रमण कर वहां बिकने आई सब्जी भाजियों को करीब से देखा और सब्जियां बेच रही महिलाओं से उन सब्जियों की पौष्टिकता व पकाने की विधि की जानकारी ली। बाजार में बिकने आए बांस फूटू और अमारी भाजी (खट्टी भाजी) जिसे बस्तर की बोली में भेंडा भाजी कहा जाता है, के चटख लाल रंग के फूलों को देख कलेक्टर हैरत में पड़ गए। वे फूल को काफी देर तक बड़े गौर से निहारते रहे। बांस फूटू भाजी के फूलों की उन्होंने अपने सेलफोन से तस्वीर भी। कलेक्टर ने विक्रेताओं से भेंडा भाजी, उसके फूल और बांस फुटू की विशेषताओं की जानकारी भी ली। बाजार भ्रमण के दौरान उन्होंने अपने घरेलू उपयोग के लिए सरई धूप खरीदा भी। कलेक्टर को अपने सामने आम आदमी की तरह खड़े होकर सब्जी भजियों की जानकारी लेते देख सब्जी विक्रेता महिला पुरुष और अन्य दुकानदार अचंभित नजर आ रहे थे। लोगों को यकबयक यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिले का सबसे बड़ा अफसर उनके सामने खड़ा है। ग्रामीण महिलाएं तो कलेक्टर विजय दयाराम के. को अपलक देखती रहीं। कलेक्टर ने सब्जी विक्रेता महिलाओं से उनकी दैनिक आमदनी, आजीविका के अन्य साधन, उनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा आदि की जानकारी भी ली और बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ाने के लिए समझाया।