(अर्जुन झा)
जगदलपुर छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग, आबकारी और बस्तर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा केवल राजनेता और मंत्री ही नहीं हैं। वे एक संवेदनशील कलाकार भी हैं। आदिवासियों की रग रग में लोक संस्कृति बसी हुई है। आदिवासी किसी भी मुकाम पर पहुंच जाए, वह अपनी लोक कला संस्कृति से एक पल के लिए भी दूर नहीं हो सकता।
हर आदिवासी में लोक कला मनोरंजन की भावना हिलोरें मारती है और वह अपनी सांस्कृतिक विरासत की विशिष्टताओं से सराबोर हो कर लोक कला के प्रदर्शन का कोई भी अवसर छोड़ता नहीं है। मंत्री और जननेता कवासी लखमा के साथ यही खासियत जुड़ी हुई है कि वे शासन और राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद अक्सर ऐसे अवसरों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते। चाहे नवरात्र पर रास गरबा का आयोजन हो अथवा मलाई मेले में कोई लोक आयोजन हो रहा हो अथवा आदिवासी संस्कृति के अनुरूप धार्मिक आयोजन हो रहे हो हर जगह मंत्री कवासी लखमा एक आम आदिवासी कलाकार के रूप में अपनी कला का प्रदर्शन करते नजर आते हैं अब तो उन्होंने अपनी लोक कला मैं इतना निखार ला दिया है की वह किसी बड़े प्रोफेशनल डांसर से कम नहीं है उन्होंने बीते रोज डांस कंपटीशन के फिनाले में प्रसिद्ध कोरियोग्राफर डांसर धर्मेश के साथ अपनी लोक कला का इतना जबरदस्त प्रदर्शन किया की वह भी दंग रह गए कवासी लखमा राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी तो है ही लेकिन वह मूल रूप से एक परिपक्व लोक कलाकार भी हैं आदिवासियों को उनकी संस्कृति ने यह गुण उन्हें विरासत में दिया है और विरासत में मिली इस कला को कावासी लखमा विस्तारित करने में हमेशा तत्परता दिखाते रहते हैं छत्तीसगढ़ में और खास तौर पर बस्तर अंचल में हर कोई उनकी पारंगत नृत्य कला से परिचित है और आमतौर पर कहा जाता है कि कवासी लखमा किसी बड़े से बड़े डांसर के मुकाबले कमतर नहीं है बल्कि वह लोक शैली के नृत्य में अच्छे-अच्छे को मात देने की क्षमता रखते हैं ।