भिलाई इस्पात संयंत्र के कैप्टिव खदानों में कार्यरत श्रम संगठन खदान मजदूर संघ भिलाई के केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक भिलाई में संपन्न हुई

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विगत दिनों भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध एवं भिलाई इस्पात संयंत्र के कैप्टिव खदानों में कार्यरत श्रम संगठन खदान मजदूर संघ भिलाई के केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक भिलाई में संपन्न हुई जिसमे राजहरा, नंदिनी एवं हिरीं से पदाधिकारियों ने भाग लिया। उक्त बैठक भा.म.सं. के छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी खदान एस.एम.पांडेय की अध्यक्षता में संपन्न हुई। उक्त बैठक में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई उसकी जानकारी देते हुए संघ के महामंत्री एम.पी.सिंह ने बताया कि उक्त बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमे सर्वप्रथम संगठनात्मक गतिविधियों पर विस्तृत चर्चा हुई जिनमें भविष्य में किये जाने वाले कार्यों एवं रणनीति पर प्रमुखता से चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया। उसके उपरांत सभी इकाइयों से आये प्रतिनिधियों ने अपने अपने इकाईओं में कार्यरत कर्मियों के समस्याओं को रखते हुए उनके त्वरित निदान हेतु आवश्यक कदम उठाने पर चर्चा की जो इस प्रकार से हैं-

(1) सबसे पहले सेल कर्मियों के वेतन निर्धारण में हो रहे देरी के लिए सेल प्रबंधन के टाल मटोल रवैये की निंदा की गयी। इसके उपरांत सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित की गयी कि सेल कर्मियों के वेतन निर्धारण में हो रही देरी के लिए काफी हद तक प्रबंधन तंत्र में मौजूद भ्रष्टाचार जिम्मेदार है। आज लगभग सभी क्षेत्रों में अधिकारीगण कार्यों को ऑफ लोड करते जा रहे हैं। नियमित कर्मियों की संख्या में जहाँ निरंतर गिरावट हो रही है वहीं दूसरी तरफ उत्पादन एवं उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसके बावजूद सेल प्रबंधन कर्मियों को उनके वाजिब हक देने में आना कानी कर रहा है। सेल प्रबंधन के इस प्रवृत्ति का भा.म.सं. पुरजोर विरोध करता है और स्पष्ट मांग करता है कि सेल प्रबंधन अपनी नीतिओं को बदले और अधिकारी एवं गैर अधिकारी वर्ग के सभी कर्मियों को सामान रूप से ग्रोथ का अवसर प्रदान करे। इस सम्बन्ध में उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से भा.म.सं. के प्रतिनिधियों द्वारा एनजेसीएस में दिए गए प्रस्ताव ग्रोथ एट पार विथ एक्सेक्यूटिवेस का समर्थन करते हुए आशा व्यक्त की कि 12-13 अगस्त को होने वाले एनजेसीएस की बैठक में सेल प्रबंधन अपने संकीर्ण सोंच के दायरे से बाहर आकर कर्मी हितार्थ सही निर्णय लेगा और भा.म.सं. की मांग पर क्रियान्वयन करते हुए वेतन समझौता का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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(2) चूँकि डीपीई के जिस गाइड लाइन का हवाला देते हुए सेल प्रबंधन ने कर्मियों के वेतन समझौते के मद में रखे गए राशि को वापस लिया उक्त गाइड लाइन अधिकारी वर्ग के कर्मियों पर लागू होता था लेकिन उसे गैर अधिकारी वर्ग के कर्मियों पर भी सेल प्रबंधन ने गलत तरीके से थोप दिया। ऐसे में अब यह सेल प्रबंधन का नैतिक दायित्व बनता है कि अब जब वेतन समझौता वार्ता शुरू हो चुकी है तो वो उसी तथाकथित डीपीई गाइड लाइन में उल्लेखित अधिकतम लाभ गैर अधिकारी वर्ग के कर्मियों को भी देवे। संघ के दृष्टिकोण में गैर अधिकारी एवं अधिकारी वर्ग दोनों ही कामगार हैं। ऐसे में एक वर्ग को अधिकतम सुविधा और एक वर्ग को कम से कम सुविधा उपलब्ध करने की संकीर्ण मानसिकता से कंपनी को नुकसान के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होने वाला है। आज अगर कंपनी के नियमित मैन पावर संख्या में भरी गिरावट के बावजूद उत्पादन और उत्पादकता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है तो उसका मुख्य वजन गैर अधिकारी वर्ग केकर्मियों की म्हणत और लगन है। ऐसे में इस वर्ग के साथ अगर सेल प्रबंधन भेद भाव करता है तो संघ इसका पूरजोर विरोध करेगा।

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(3) नंदिनी एवं हिर्री से आये प्रतिनिधियों ने भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा अपनाये जा रहे भेद भाव की निति का विरोध करते हुए मांग की कि राजहरा खदान समूह के कर्मियों को जिस तरह से उत्पादन एवं उत्पादकता बनाये रखने हेतु नॉन-फाइनेंसियल स्कीम के माध्यम से प्रोत्साहन दिया जा रहा है और नंदिनी एवं हिर्रा के कर्मियों को इस स्कीम के लाभ से वंचित रखा जा रहा है उससे नंदिनी एवं हिरी खदानों के कर्मियों में रोष घर करता जा रहा है जो की आने वाले समय में कंपनी के लिए उचित नहीं है। अतः संघ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि इस मामले को भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन के समक्ष रखते हुए यह सुनिश्चित किया जावेगा कि उक्त स्कीम का लाभ नंदिनी एवं हिरी खदान के कर्मियों को भी मिले।

4) इसके अलावा सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि कोरोना काल में भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन द्वारा ना तो सही तरीके से स्थायी आदेश (खदान) का पालन किया गया और न ही अपने स्वयं के द्वारा समय समय पर निकाले गए परिपत्रों का पालन किया गया बल्कि एक विशेष श्रम संगठन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर कर्मियों के हितों को कुचलने का प्रयास किया गया जिसका संघ निंदा करता है। संयंत्र प्रबंधन के इस मन-मानी पूर्ण रवैये के वजह से कई कर्मियों को कोरोना काल के दौरान अपने अथवा अपने परिजनों के इलाज पर खर्च किये गए राशि का भुगतान होना लंबित है अथवा प्रबंधन द्वारा इसे नकार दिया गया है।

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कई परिपत्रों में प्रबंधन ने हिरी खदान के कर्मियों के साथ भेद भाव करते हुए इस परिपत्र का लाभ केवल दुर्ग और रायपुर क्षेत्र तक ही सिमित करके रख दिया जिससे हिरी के कर्मियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा क्वारंटाइन में रहने वाले कर्मियों को उनके खुद की छुट्टी लेने हेतु मजबूर किया गया जबकि कुछ कर्मियों को वर्क फ्रॉम होम का लाभ दिया गया। इस तरह से प्रबंधन के कार्मिक विभाग के अधिकारीयों ने खुले आम भाई-भतीजावाद की जिसका संघ विरोध करता है और सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित करता है कि अगर प्रबंधन कर्मियों को उनके स्वयं अथवा परिजनों के इलाज पर खर्च की गयी राशि का भुगतान एवं क्वारंटाइन हेतु कर्मियों द्वारा लिए गए स्वयं के छुट्ठी को वापस लेते हुए वर्क फ्रॉम होम अथवा स्पेशल कासुअल लीव नहीं देता है तो मामले को आरएलसी के समक्ष औद्योगिक विवाद के तहत पेश करते हुए समस्या के समुचित निराकरण की मांग की जावेगी।

इसके अलावा कर्मी हितों से जुड़े और भी अन्य मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस बैठक में राजहरा से एम.पी.सिंह, लखन लाल चौधरी, नंदिनी से उमेश मिश्रा, हिरी से राजेश बिसेन,अशोक नामदेव एवं भा.म.सं. संघ के प्रदेश प्रभारी खदान एस.एम.पांडेय उपस्थित रहे।