जंगलों को आग से बचाने की आड़ में लाखों के वारे न्यारे

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  • वन विभाग की अग्नि योजना की रकम से जेब भर रहे हैं अफसर
  • आधे अधूरे फायर वाचर का निर्माण कराकर हजम की जा रही है राशि

बकावंड विकासखंड बकावंड के अंतर्गत वन परिक्षेत्र बकावंड में फायर वाचर के नाम से स्वीकृत लाखों रुपए गोलमाल किया जा रहा है। आधा अधूरा काम करा कर अधिकारी पूरी रकम डकारने में लगे हुए हैं। ऐसे में अग्नि दुर्घटनाओं से जंगलों की सुरक्षा कैसे हो पाएगी, यह चिंतन का विषय है।शासन द्वारा जंगल बचाने अरबों खरबों रु. खर्च किए जाते हैं। जंगलों की सुरक्षा के लिए तैनात महकमे की तनख्वाह पर ही हर माह करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं, मगर जंगल सुरक्षित नहीं रह पा रहे हैं।

महकमे के लोग ही निजी हितों की पूर्ति के लिए जंगलों का सफाया करवा रहे हैं। पेड़ों की अवैध कटाई, विभागीय कार्यों में गड़बड़ी, योजनाओं के क्रियान्वयन में गफलतबाजी कर शासन को चूना लगाने का खेल बदस्तूर चलते रहता है। वन विभाग के बकावंड रेंज के अधिकारी इस मामले में थोड़ा आगे ही रहते हैं। इस रेंज में छंटाई के नाम पर पेड़ों की अवैध कटाई का खेल जमकर खेला गया था, जंगलों की सुरक्षा के लिए खाइनुमा गड्ढे खोदने के नाम पर राशि के वारे न्यारे किए गए थे, आदिवासी आस्था के स्थल देवगुड़ी के संरक्षण कार्य में घटिया निर्माण कराकर राशि की अफरा तफरी की गई थी। अब जंगलों को आग से बचाने के लिए कराए जा रहे फायर वाचर निर्माण में जमकर गड़बड़ी की जा रही है। इस कार्य के लिए लाखों रु. स्वीकृत हुए हैं। रेंजर द्वारा मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। वहीं आधा अधूरा कार्य करवाकर पूरी रकम डकारी जा रही है। वन परिक्षेत्र उप निधि मद से फायर वाचर का कार्य बकावंड विकास खंड की प्रायः सभी ग्राम पंचायतों में कराया जा रहा है। किसी भी पंचायत में कार्य संतोषप्रद नहीं है। वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा आधा अधूरा निर्माण करवा कर वन विभाग की अग्नि योजना में गड़बड़ी की जा रही है और लाखों रुपयों का घपला किया जा रहा है। अब तक मजदूरों का भुगतान भी नहीं किया गया है। मजदूरों ने बताया कि इस जगह पर 5 लाख रु. का कार्य स्वीकृत है। वन परिक्षेत्र अधिकारी राजकुमार ध्रुव से जब इस बाबत जानकारी चाही गई, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।