न भवन पूरा बनवाया और न ही मजदूरी का भुगतान किया

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  •  पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा की एक और करतूत
  •  भवन दो साल से अधूरा, सालभर से मजदूरी अटकी
    -अर्जुन झा-
    बकावंड विकासखंड मुख्यालय बकावंड में पदस्थ ग्राम पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा कांग्रेस शासनकाल के दौरान कांग्रेसी जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में निर्माण कार्यों में जमकर अनियमितता करते ही रहे हैं, भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी वे कारनामे करने से बाज नहीं आ रहे हैं। शासकीय उचित मूल्य की दुकान के लिए भवन निर्माण में पंचायत सचिव ने सरकारी धन की गफलत कर डाली है। पंद्रह लाख रुपए खर्च करने के बाद भी भवन को ढंग से बनाया नहीं गया है और इस कार्य में लगे मजदूरों को सालभर से मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया है।
    ग्राम पंचायत बकावंड में शासकीय उचित मूल्य की दुकान के भवन निर्माण के लिए दो साल पहले राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना मद से 10 लाख रुपए और जिला खनिज निधि न्यास मद से 5 लाख रुपए की मंजूरी मिली थी। निर्माण कार्य पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा ने अपने हाथों में ले रखा था। निर्माण कार्य में शुरू से ही जमकर अनियमितता बरती गई। नींव भराई से लेकर छत ढलाई तक सारे कार्य काम चलाऊ ढंग से कराए गए। घटिया सीमेंट, छड़, ईंट, रेत का उपयोग किया गया। प्लास्टर का काम भी आधा अधूरा ही कराया गया है। भवन के सामने वाले हिस्से की दीवारों का ही प्लास्टर कराया गया है। अगल बगल व पीछे की दीवारों तथा दीवारों के अंदरूनी भाग का प्लास्टर दो साल बीत जाने के बाद भी नहीं कराया जा सका है। बगैर प्लास्टर कराए ही दीवारों की पोताई करवा दी गई है। वहीं दीवारों की मोटाई भी कम रखी गई है। छत ढलाई में भी गंभीर लापरवाही बरती गई है। छत निर्माण में रॉड व छड़ों का उपयोग बहुत ही कम मात्रा में किया गया है। गारे में रेत ज्यादा और सीमेंट की मात्रा कम रखी गई थी। इससे छत मजबूत नहीं बन पाई है। सिपेज और पानी टपकने की समस्या पैदा होने लगी है। भवन के अंदर रखे गए अनाज, शक्कर, गुड़ आदि के बरसात के मौसम में भीगकर खराब होने का खतरा है। 2 वर्ष से दुकान भवन अधूरा पड़ा है। पंचायत सचिव ओंकार गागड़ा द्वारा मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान 1साल बीत जाने के बावजूद आज तक नहीं किया गया है। दुकान भवन के निर्माण में पसीना बहाने वाले मजदूर अपने पसीने की कमाई को हासिल करने के लिए रोज चक्कर लगा लगाकर परेशान हो चले हैं। पंचायत सचिव कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें टालते आ रहे हैं। सरपंच भी मजदूरों को मेहनताना राशि दिला पाने में असहाय साबित हो रहे हैं।विवादों से घिरे रहे हैं सचिव
    पंचायत सचिव का विवादों और अनियमितताओं से पुराना नाता रहा है। बताया जाता है कि सचिव ओंकार गागड़ा जिस भी ग्राम पंचायत में पदस्थ रहे हैं, वहां ऐसी ही गफलतबाजी की गई है। हर निर्माण कार्य में घालमेल कर जेब भरना उनकी फितरत रही है। जानकारी के मुताबिक उनके पास बकावंड के अलावा एक और ग्राम पंचायत का प्रभार है। अतिरिक्त प्रभार वाली ग्राम पंचायत में भी ऐसे ही कारनामों को अंजाम दिया जा रहा। सूत्र बताते हैं कि पंचायत सचिव कांग्रेस शासन काल के दौरान खुलकर खेलते रहे हैं और अब भी खेल रहे हैं। उन्हें किसी अदृश्य कांग्रेसी शक्ति का वरदहस्त प्राप्त होने की चर्चा है। इस अदृश्य शक्ति के दबाव में जनपद पंचायत बकावंड के सीईओ भी सचिव पर एक्शन नहीं ले पा रहे हैं। वैसे भी ऐसे ही भ्रष्ट पंचायत सचिवों के जरिए बीते विधानसभा चुनाव में किसी कांग्रेस नेता के लिए फंड जुटाने जनपद के सभी पंचायत सचिवों से लाखों रुपयों की उगाही की गई थी। फिर भला सीईओ इस सचिव की गिरेबान पर हाथ कैसे डाल पाएंगे?