बुढ़ा चुके भवन में बच्चों के भविष्य को युवा बनाने की कवायद

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  • 52 साल पुराने और जर्जर भवन में हो रही है पढ़ाई
  • ऐसे में कैसे मजबूत होगी समृद्ध भारत की बुनियाद

अर्जुन झा

लोहंडीगुड़ा विकासखंड लोहंडीगुड़ा में ऐसे कई स्कूल हैं, जिनके भवन खस्ताहाल हो चुके हैं और जहां महज एक दो शिक्षक ही पदस्थ हैं, जिन पर आठ कक्षाओं के बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है। कुछ ऐसी ही दास्तां है ग्राम कोरली की शालाओं की। यहां पूरी तरह बूढ़ा हो चुके भवन में बच्चों के भविष्य को युवा बनाने की कवायद दो शिक्षक कर रहे हैं।

व्यवस्थित शाला और सुघड़ सड़क विकास का पैमाना होती हैं। स्कूल बढ़िया होता है, तो बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है तथा शिक्षक भी पूरे मनोयोग से अध्यापन सेवा देते हैं और तब फिर बच्चों का भविष्य निश्चित रूप से संवरता है। इसी तरह सड़क अच्छी होती है, तो गांव तक तमाम सुविधाएं भी पहुंचती हैं। लोहंडीगुड़ा विकासखंड अंतर्गत बिनता घाटी में स्थित ग्राम कोरली भी ऐसे ही अभागे गांवों में शुमार है। कोरली के जिस शाला भवन में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक शालाओं की आठ कक्षाओं और आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन हो रहा है, उसका निर्माण सन 1971 में कराया गया था। लगभग 53 साल पुराना हो चुका यह शाला भवन बुरी तरह जर्जर हो चला है। खंडहर में तब्दील होते जा रहे इस भवन में प्राथमिक शाला के 21 एवं मिडिल स्कूल के 12 विद्यार्थियों के साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र के 41 बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है। वर्ष 1971 में बिनता ग्राम पंचायत द्वारा बनवाया गया यह शाला भवन अब तक पांच दशक से भी ज्यादा समय तक बसंत, बरसात, गर्मी, आंधी तूफान के दौर से गुजर चुका है। इतनी आयु में तो भगवान द्वारा सृजित इंसान भी लगभग असक्त हो जाता है। फिर तो इंसान द्वारा निर्मित भवन इतनी लंबी आयु तक भला किस कदर साथ दे सकता है ?कोरली का शाला भवन भी कृशकाय हो चला है और धरती में समा जाने की स्थिति में है कि यह कभी भी गिर सकता है। बच्चों को यहां भेजना ग्रामीणों को जोखिम भरा लगता है। परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीण नया स्कूल भवन और आंगनबाड़ी की मांग कर रहे हैं।

जिला मुख्यालय से लगभग 82 किमी दूर कोरली ग्राम पंचायत भेजा का आश्रित ग्राम है। यह गांव इंद्रावती नदी के किनारे बसा है। गांव की आबादी 300 के आसपास है। वर्ष 1971 से संचालित यहां की प्राथमिक शाला में 21 तथा मिडिल स्कूल में 12 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। प्राइमरी स्कूल में अटैक शिक्षक ही 13 वर्षों से बच्चों को पढ़ रहा है, वहीं मिडिल की तीन कक्षाओं के 12 बच्चों को एक शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि घाटी के नीचे आकर कोई पढ़ाना नहीं चाहता इसलिए घाटी के लगभग सभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इधर स्कूल भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से कोरली में नया स्कूल बनाने की मांग की है।

स्कूल में ही आंगनबाड़ी

बस्ती में आंगनबाड़ी भवन नहीं है इसलिए यहां के 41 बच्चे भी स्कूल में बैठते हैं। 10 साल से गांव वाले आंगनबाड़ी भवन की मांग कर रहे हैं किंतु यह मांग भी अधूरी है। स्कूली और बाड़ी के बच्चों का आहार एक ही शेड में पकता है।

नया भवन स्वीकृत

विकासखंड लोहंडीगुड़ा अंतर्गत भेजा पंचायत के आश्रित ग्राम कोरली के जर्जर स्कूल को देखते हुए ही नया स्कूल भवन स्वीकृत हो स्वीकृत हो चुका है। भवन निर्माण हेतु निविदा की प्रक्रिया जारी है। प्रक्रिया पूरी होते ही वहां नया स्कूल भवन बनाने का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

– चंद्रशेखर यादव, खंड शिक्षा अधिकारी, लोहंडीगुड़ा।