मलेरिया ग्रस्त बच्चे की जान नहीं बचा सके सरकारी डॉक्टर

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  •  जिला अस्पताल नारायणपुर में नहीं मिल सका इलाज
  • परिजनों का आरोप -एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं कराई अर्जुन झा

जगदलपुर मच्छर रहेगा, मलेरिया नहीं’ स्लोगन कई दशक पुराना है। देश में अनेक दशकों से मच्छर और मलेरिया उन्मूलन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस पर अब तक शासन अरबों रुपए खर्च कर चुका है। करोड़ों रू. खर्च कर सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। इतना सब कुछ जतन करने के बावजूद मलेरिया भी है और मच्छरों की आबादी घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। मलेरिया से मौतों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। मलेरिया के मामले में बेहद संवेदनशील बस्तर संभाग के सरकारी जिला चिकित्सालयों में भी मलेरिया का ढंग से ईलाज नहीं हो पाता। मलेरिया के मरीजों के लिए जिला अस्पताल महज रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। इसका एक ताजा उदाहरण बस्तर संभाग के नारायणपुर के जिला चिकित्सालय में देखने को मिला, जहां एक शिशु की मौत मलेरिया के चलते हो गई। जिला अस्पताल के डॉक्टर बच्चे को जगदलपुर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में रेफर करने पर आमादा थे। इसी फेर में बच्चे की जान चली गई।

नारायणपुर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर ग्राम बाहकेर निवासी आज्ञाराम सलाम व उसकी पत्नी अपने 9 माह के बीमार बच्चे को उप स्वास्थ्य केंद्र छोटेडोंगर लेकर गए थे। बच्चे के पिता ने बताया उप स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने बच्चे को जिला अस्पताल नारायणपुर रेफर कर दिया। परिजन बच्चे को लेकर शाम करीब 4.30 बजे जिला अस्पताल नारायणपुर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने बच्चे की स्थिति सामान्य और खतरे से बाहर बताई। उसके बाद लगभग रात 8 बजे अचानक डॉक्टर ने बच्चे को जगदलपुर रेफर करने की बात कही। इससे बच्चे का पिता घबरा गया और उसने निजी अस्पताल ले जाने हेतु एंबुलेंस उपलब्ध कराने की मांग डॉक्टरों से की। अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस देने से साफ इंकार कर दिया और कुछ दस्तावेजों पर बच्चे के पिता से हस्ताक्षर कराने के बाद अस्पताल से जाने को कह दिया। परिजन अपने बच्चे की जान बचाने उसे मोटर साइकिल से दूसरे अस्पताल जाने वाले ही थे, तभी बच्चे ने अस्पताल के दरवाजे पर ही दम तोड़ दिया। बच्चे के शरीर मे हलचल थम जाने के बाद माता समझ गई अब उसका लाल नही रहा। महिला अपने 9 माह के लाल के शव को गोद में लेकर अस्पताल में रोती बिलखती रही, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा। आसपास मौजूद लोगों से सूचना मिलने पर मीडिया कर्मी वहां पहुंच गए। मीडिया के लोगों ने प्रभारी कलेक्टर को मामले की जानकारी दी। प्रभारी कलेक्टर जितेंद्र कुर्रे ने मामले पर संज्ञान लेते हुए तहसीलदार को मौके पर भेजा। तहसीलदार ने महिला को अस्पताल के अंदर चलने का निवेदन करते हुए मरीज के सामानों को स्वयं लेकर अस्पताल के अंदर लेकर गए। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन नींद से जाग व स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी व डाक्टर अस्पताल पहुंचे। उन्होंने एंबुलेंस की व्यवस्था कर बच्चे के शव और परिजनों को उनके गृह ग्राम भेजा।

नाजुक थी बच्चे की हालत डॉ. केकती

पूरे मामले पर जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. आदित्य केकती ने कहा कि मरीज को मलेरिया था और परिजनों को बताया गया कि स्स्थिति नाजुक है, रेफर करना पड़ेगा। लेकिन परिजनों ने इंकार करते हुए दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कही। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त मरीज की मृत्यु हो गई। पश्चात एम्बुलेंस उपलब्ध कराकर उन्हे गृहग्राम रवाना कर दिया गया। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में दो शिशुरोग विशेषज्ञ सहित बीस से अधिक चिकित्सक पदस्थ हैं, फिर भी मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है।

सीएमएचओ डॉ. कुंवर का कथन

घटना के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नारायणपुर डॉ. टीआर कुंवर ने जानकारी दी कि 9 माह के शिशु उत्तम सलाम पिता आज्ञाराम सलाम को कंपकंपी, बुखार, उल्टी, पेट फूलने, झटके आने की शिकायत थी। उसे मल एवं पेशाब भी नहीं हो रहा था। बच्चे को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोटेडोंगर में दोपहर 12. 30 बजे भर्ती कराया गया, जहां जांच में मलेरिया से ग्रसित होना पाया गया। उसका उपचार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र छोटेडोंगर में किया जा रहा था दोपहर 2:30 बजे तक मरीज को पेशाब न होने पर जिला अस्पताल नारायणपुर के लिए रेफर किया गया। जिला अस्पताल में बच्चे को लेकर परिजन शाम 6. 30 बजे पहुंचें। डॉ. एकता निर्मलकर रंगारी ने परीक्षण के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर लिया।भर्ती के वक्त उसे पेशाब नहीं हो रही थी और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी।मरीज उसे ऑक्सीजन में रखा गया था। बच्चे के माता- पिता को मरीज की गंभीर स्थिति के बारे में बताकर इलाज हेतु सरकारी एंबुलेंस से जगदलपुर ले जाने की सलाह दी गई थी। मरीज के परिजन द्वारा जगदलपुर नहीं जाने की बात लिखित में कही। नतीजतन उसका इलाज जिला अस्पताल नारायणपुर में चल रहा था। रात 9 बजे परिजन बच्चे को किसी प्राइवेट अस्पताल ले जाने के लिए जिला अस्पताल से बाहर जा रहे थे तभी रात्रि 9.10 बजे बच्चे की मृत्यु हो गई। इसके बाद तत्काल सरकारी एंबुलेंस से उन्हें उनके घर तक छोड़ा गया। जिला अस्पताल नारायणपुर में हमेशा शासकीय एंबुलेंस तथा 108 एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध रहती है।