कृषिमंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया कृषि अध्यादेश के कारण।अध्यादेश का डिटेल समझें

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जिला किसान मोर्चा बालोद की ओर से-

“पैरों में जंजीर और गले में फन्दा”

कभी सोचा है-??- किसानों का “धन्धा” क्यों बांधा गया था…

सही क्या और गलत क्या -??-

क्या किसानों का “तीन अध्यादेश” के विरुद्ध आंदोलन उचित – है भी या नहीं ?

सन 1960-70 के आसपास देश में कोंग्रेसी सरकार ने एक कानून पास किया जिसका नाम था – “apmc act” …

इस एक्ट में यह प्रावधान किया गया कि किसान अपनी उपज केवल सरकार द्वारा तय स्थान अर्थात सरकारी मंडी में ही बेच सकता है।

इस मंडी के बाहर किसान अपनी उपज नहीं बेच सकता। और इस मंडी में कृषि उपज की खरीद भी वो ही व्यक्ति कर सकता था जो apmc act में registered हो, दूसरा नही।

इन registered person को देशी भाषा में कहते हैं “आढ़तिया” यानि “commission agent”…..

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मोदी सरकार द्वारा किसानों की हालत सुधारने के लिये तीन अध्यादेश लाएं गये है
जिसमे निम्नलिखित सुधार किए गए हैं

  1. अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी फसल बेच सकता है और मंडी के अंदर भी ।
  2. किसान का सामान कोई भी व्यक्ति संस्था खरीद सकती है जिसके पास पैन कार्ड हो।
  3. अगर फसल मंडी के बाहर बिकती है तो राज्य सरकार किसान से कोई भी टैक्स वसूल नहीं सकती।
  4. किसान अपनी फसल किसी राज्य में किसी भी व्यक्ति को बेच सकता है।

5. किसान contract farming करने के लिये अब स्वतंत्र है।

कई लोग इन कानूनों के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहें है।
जोकि निम्नलिखित हैं।

  1. आरोप :— सरकार ने मंडीकरण खत्म कर दिया है ?
    उत्तर :— सरकार ने मंडीकरण खत्म नहीं किया। मण्डियां भी रहेंगी।लेकिन किसान को एक विकल्प दे दिया कि अगर उसको सही दाम मिलता है तो वह कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है। मंडी में भी और मंडी के बाहर भी।
  2. आरोप :— सरकार msp समाप्त कर रही है ?
    उत्तर :- मंडीकरण अलग चीज़ है msp नुयनतम समर्थन मूल्य अलग चीज़ है। सारी फसलें ,सब्ज़ी ,फल मंडीकरण में आते हैं msp सब फसलों की नहीं है।
  3. आरोप :- सारी फसल अम्बानी खरीद लेगा

उत्तर :— वह तो अब भी खरीद सकता है – आढ़तियों को बीच में डालकर।

यह तीन कानून किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुक्ति के कानून हैं।

आज इस सरकार ने किसानों पर – कोंग्रेस द्वारा लगाई हुई -“बन्दिश” को हटा कर,
“हर किसी को” अपनी उपज बेचने के लिये आजाद करके,
“पुरे देश का बाजार” किसानो के लिये खोल दिया है।

किसानो को कोई भी टैक्स भी नही देना होगा।

जो भी लोग विरोध कर रहे है वो उन की अपनी समझ है,

इस सरकार से बढ़ कर कोई “किसान हितेषी” सरकार कभी नही बनी और भविष्य में भी कोई नही बनेगी।

क्योकि ये मोदिया – बहुत अच्छे से जानता है कि – “किसान और जवान” – ही देश का आधार है।

जय जवान, जय किसान।

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