- झाड़ेश्वर परिवहन समिति ने इस्पात सचिव संदीप पौड्रिक को सौंपा ज्ञापन
- निजीकरण के मुद्दे पर परिवहन समिति गंभीर
जगदलपुर नगरनार इस्पात संयंत्र के निजीकरण को ले कर एकबार फिर मामला गरमा चुका है। प्लांट निजीकरण के विरोध में जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति सड़क पर उतर चुकी है।
रविवार को झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों द्वारा इस्पात के निजीकरण को ले कर धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया था। मंगलवार को इस्पात सचिव संदीप पौड्रिक इस्पात संयत्र के दौरे पर जगदलपुर पहुंचे थे।इस दौरान इस्पात संयंत्र के विनिवेशीकरण का विरोध कर रहे जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के सदस्यों ने अध्यक्ष रैनू बघेल के नेतृत्व में इस्पात सचिव से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा।
जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति के अध्यक्ष रैनू बघेल ने बताया कि नगरनार स्टील प्लांट के विनिवेशीकरण का हमारी परिवहन समिति पुरजोर विरोध कर रही है। रविवार को समिति की ओर से इस मामले को ले कर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। आज नगरनार प्लांट पहुंचे इस्पात सचिव से समिति के सदस्यों ने मुलाकात की। इस दौरान उनसे समिति नगरनार प्लांट के विषय मे चर्चा की हैं। साथ ही कई विषयों को ले कर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा।
रैनू बघेल ने कहा कि नगरनार प्लांट के विनिवेशीकरण को ले कर हम अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेंगे और जान भी दे देंगे मगर प्लांट का निजीकरण हरगिज नहीं होने देंगे। जय झाड़ेश्वर परिवहन समिति ने ज्ञापन में इस्पात सचिव से कहा है कि नगरनार के आसपास बस्तर संभाग के आदिवासियों की पुस्तैनी जमीन पर एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किया गया है। यह कंपनी हमारे विकास में सहायक बनी है। हमें रोजी-रोटी, रोजगार, बच्चों की नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं देकर हमें लाभान्वित कर रही है। इसीलिए हमने अपने जीवन के एकमात्र आधार जंगल और जमीन एनएमडीसी के सुरक्षित हाथों में सौंपी थी। यह सोचकर कि भारत सरकार की यह संस्था संवैधानिक तरीके से हमारे हितों के संरक्षण और संवर्धन में सहायक होगी। कंपनी ने अपने सेवा कार्यों से हमेशा इसका अहसास भी कराया और हमें कभी मायूस नहीं होने दिया। एनएमडीसी एकमात्र ऐसी कंपनी है, जो बस्तर के आसपास के आदिवासी समुदाय को अपना परिवार समझकर उनकी देखभाल करती है। हम आदिवासी भी मानते हैं कि अपने पुरखों की संचित जमीन को जिस उद्देश्य से हमने कंपनी को ट्रांसफर किया था वो पूरा हो रहा है।
नगरनार का एनएमडीसी स्टील प्लांट केवल प्लांट नहीं है, यह बस्तर के आदिवासियों के जीवन की आशा, उम्मीद और जीने का आधार है। हमारा जीवन, हमारा प्राण एवं हमारे परिवारों की भावनाएं नगरनार इस्पात संयंत्र से जुड़ी हुई हैं। ऐसा स्नेह और परस्पर विश्वास का बंधन कोई भी निजी कंपनी से नहीं बन सकता, चाहे वो कितनी बड़ी क्यों ना हो। हम सब ये जानते और मानते हैं कि प्राइवेट कंपनियों का पहला लक्ष्य मुनाफा कमाना होता है। वे हमारे हितों की रक्षा नहीं कर सकतीं। आगेकहा गया है- हम मानते हैं कि प्राइवेट हाथों में नगरनार इस्पात संयंत्र का जाना, यहां के आदिवासी समाज की भावनाओं के साथ धोखा है। उनकी जीवन भर की जमा पूंजी से खिलवाड़ है। हमारी सदियों की आस्था और भावना का निरादर है। हमारी संवेदना और सपनों के साथ क्रूर मजाक है। एनएमडीसी स्टील प्लांट नगरनार के साथ जैसा हमारा अपनापन और प्रेम है, जो प्यार एवं सम्मान हमें मिलता रहा है वो किसी प्राईवेट कंपनी के हाथों में प्रबंधन सौंपे जाने के बाद नहीं मिल सकता। हम लोगों ने अपने परिवार, समाज और पर्यावरण के व्यापक हितों को देखते हुए अपनी जमीन कंपनी को सौंपी थी, निजी हाथों देने के लिए नहीं। इस कंपनी से हमारे बच्चों का भविष्य जुड़ा है। हमारे सपने बड़े हो रहे हैं। हम एक बेहतर भविष्य की ओर उन्मुख हो रहे हैं। ऐसे में सरकार का निजीकरण का फैसला हमारे अस्तित्व को मिटाने जैसा प्रतीत हो रहा है। एक पंक्ति में कहें तो नगरनार स्टील प्लांट का प्राइवेट हाथों में जाना हमारे प्राण लेने के बराबर है। यदि कोई प्राईवेट कंपनी इसका प्रबंधन संभालती है तो हम आदिवासी इसे कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे।
घुसने नहीं देंगे विदेशी कंपनी को
रैनू बघेल ने आगे कहा है- जानकारी मिली है कि नगरनार स्टील प्लांट को आरसी मित्तल कंपनी को देने की बात कही जा रही है। आरसी मित्तल एक विदेशी कंपनी है। हम आदिवासी लोग अंग्रेजों से लड़कर अपने जमीन को बचाया है हम आदिवासी लोगों ने देश के लिए बलिदान दिए हैं। हम आदिवासी लोग भारत सरकार के उद्यम एनएमडीसी स्टील लिमिटेड को किसी विदेशी कंपनी के हाथ में नहीं जाने देंगें और बस्तर में विदेशी कंपनी नहीं चलने देंगे। इस दौरान खगेश्वर पुजारी, सियाराम, जालंधर नाग, वीरेंद्र साहू, गणेश काले, रघु सेठिया, तपन राय, गीता मिश्रा, प्रकाश नायडू, अशोक साहू सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।