- रोड निर्माण में भ्रष्टाचार रोकने की भी वकालत
- हिट एंड रन एक्ट के विरोध में उतरा नक्सली संगठन
-अर्जुन झा-
जगदलपुर जो नक्सली सड़कों को खोदते आए हैं,वे अब दुर्घटनाओं के लिए सड़कों की दुर्दशा को जिम्मेदार बताते हुए सड़कों की मरम्मत की मांग कर रहे हैं। हिट एंड रन कानून विवाद में भी नक्सली कूद गए हैं और इसके विरोध में उग्र आंदोलन छेड़ने का जनता से आह्वान कर रहे हैं। नक्सली संगठन कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी डीएकेएमएस पश्चिम बस्तर डिवीजन कमेटी ने छह मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है। इस संबंध में बस्तर संभाग में कई जगह पर्चे चस्पा किए गए हैं। संभाग के बीजापुर जिले में ऐसे ही पर्चे बड़े पैमाने पर देखे जा रहे हैं। पर्चे में लिखा है कि केंद्र सरकार हिट एंड रन कानून को तत्काल वापस ले। साथ ही सड़कों के निर्माण में भ्रष्टाचार रोकने, सड़क निर्माण में हो रही खामियों को सुधारने, खराब सड़कों की मरम्मत तुरंत कराने, ट्रक ड्राइवरों और उनके परिवारों की बेहतर सुरक्षित जिंदगी के लिए उचित कदम उठाने की अपील की गई है। इसके अलावा नक्सली संगठन ने ट्रक ड्राइवरों के आंदोलन के समर्थन में सभी वर्ग की जनता से आवाज उठाने और कॉर्पोरेट घरानों के सेवक, जन विरोधी फासीवादी नीति का विरोध किया गया है। नक्सलियों ने ड्राइवरों की मांग पूरी होने तक आम जनता से उग्र आंदोलन करने की अपील भी की है।बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि नक्सली केंद्र सरकार से सड़कों की मरम्मत के लिए अपील कर रहे हैं।आपको बता दें कि हिट एंड रन से जुड़े नए कानून के विरोध में वाहन चालकों द्वारा की जा रही हड़ताल के ऐलान के बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों ने ड्राइवर्स की मीटिंग ली थी। उसके बाद वाहन चालक संघ ने हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय लिया था। 11 जनवरी से ट्रक ड्राइवर्स अपने कार्य पर वापस लौट चुके हैं। उल्लेखनीय है कि हड़ताल के कारण धान खरीदी, स्कूल बस समेत जरूरी काम काज प्रभावित हो रहे थे। वहीं अब नक्सली संगठन ने ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल का समर्थन करने के साथ केंद्र सरकार से जर्जर सड़कों को दुरुस्त करने की अपील की है।
विकास विरोधी बने अब पैरोकार
नक्सली संगठनों पर विकास विरोधी होने की तोहमत लगती रही है। इसके पीछे ठोस वजह भी है। अमूमन नक्सली सड़क, पुल, पुलिया, शाला भवन, अस्पताल भवन, पंचायत भवन व अन्य निर्माण कार्यों का विरोध करते रहे हैं। बस्तर संभाग में सड़कों को खोदकर नेस्तनाबूत करने, पुल पुलियों को ढहा देने, सरकारी व सार्वजनिक भवनों में आगजनी की सैकड़ों घटनाएं हो चुकी हैं। सड़क एवं पुल पुलियों के निर्माण में लगे सैकड़ों वाहनों व मशीनी उपकरणों को फूंके जाने की घटनाएं नक्सलियों के विकास विरोधी होने की गवाही देते हैं। बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों के पचासों गांवों में इन्हीं वजहों से सात दशक से विकास के पहिए थमे हुए हैं। अब नक्सली भला किस मुंह से सड़कों की मरम्मत की मांग कर रहे हैं? यह प्रश्न उठना लाजिमी है। अब देखना होगा कि जो नक्सली सड़क मरम्मत की मांग कर रहे हैं, वे अब कभी सड़कों, पुल पुलियों और भवनों को ध्वस्त नहीं करते हैं या नहीं?