अर्जुन झा
जगदलपुर जिंदगी है अनमोल, इसे न समझें माटी के मोल’ इस थीम पर चाय कॉफी की चुस्कियों के बीच शुक्रवार को अल सुबह टी ग्रुप के सदस्यों को को बेशकीमती जानकारी मिली। भगवान श्री रामचंद्र पर भी सार्थक चर्चा हुई।
जगदलपुर का टी ग्रुप सम सामयिक मुद्दों पर चर्चा करने वाले प्रबुद्धजनों के समूह के रूप में विख्यात होता जा रहा है। शीतल बयार के बीच गरमा गरम चाय कॉफी पीते और हॉट टॉपिक पर हॉट हॉट बहस करते ये सदस्य राह गुजरते लोगों का ध्यान बरबस अपनी ओर खींच लेते हैं। इस शुक्रवार को यानि आज का टॉपिक सड़क सुरक्षा और यातायात व्यवस्था पर केंद्रित रहा। शहर में इन दिनों पुलिस यातायात जागरूकता सप्ताह चला रही है। लिहाजा सदस्यों ने इसी मुद्दे पर चर्चा छेड़ दी। संयोग ही था कि आज पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी बलबीर और देवेंद्र साहू भी आ पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों पर सारगर्भित जानकारी टी ग्रुप के सदस्यों को दी। उन्होंने कहा कि जान है, तो जहान है। जीवन अनमोल होता है, उसे मिट्टी के मोल न समझें। दोनों पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं लापरवाही पूर्वक और शराब के नशे में वाहन चलाने के कारण होती हैं। बिना सीट बेल्ट बांधे कार चलाना और बगैर हेलमेट लगाए बाईक चलाना जानलेवा होता है।जो लोग नशे की हालत में और लापरवाही पूर्वक वाहन चलाते हैं, वे लोग अपनी जान के साथ ही राह चलते अन्य लोगों की भी जान को खतरे में डाल देते हैं। ट्रैफिक रूल्स को फॉलो करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। जितना ज्यादा हम यातायात नियमों का पालन करते हैं, उतना ही ज्यादा हम सुरक्षित भी रहते हैं। बलबीर और देवेंद्र साहू ने नाबालिगों के हाथों में बाईक या कार सौंपे जाने को बंदर के हाथ में उस्तरा करार देते हुए कहा कि पालकों को इससे बचना चाहिए। आज की चर्चा में टी ग्रुप के सदस्य राजकुमार झा, बिल्डर, भूपेंद्र कश्यप सरकारी सेवक, राजेश भोजवानी बिजनेसमैन, प्रशांत श्रीवास्तव, अर्जुन झा पत्रकार शामिल थे।
*पुलिस की ये कैसी जागरूकता*
यातायात पुलिस द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है, किंतु पुलिस खुद ही यातायात में बाधक बन रही है। कोतवाली थाना चौक पर यातायात के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए जो टेंट लगाया गया है, उससे आवागमन में बाधा आ रही है। यह जगह शहर का हृदय स्थल है। वहां पंडाल लगाने से यातायात नियंत्रण तो दूर उसके बिगड़ने की संभावना बन गई है। परस्पर विपरीत दिशाओं से आने वाले वाहनों पर चालकों की नजर पंडाल की वजह से नहीं पड़ पाती और दुर्घटना का भय बना रहता है।