सांसद दीपक बैज ने उठाया राष्ट्रीय पेंशन योजना का मामला

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(अर्जुन झा)

जगदलपुर। बस्तर सांसद दीपक बैज ने लोकसभा में राष्ट्रीय पेंशन योजना का मामला उठाया। उन्होंने विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजीजू से अतारांकित प्रश्न के माध्यम से पूछा कि क्या पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ओ पी एंड पी डब्ल्यू द्वारा उन कर्मचारियों जिन की भर्ती का विज्ञापन 13.12. 2003 को या उससे पहले जारी किया गया था, को राष्ट्रीय पेंशन योजना के दायरे से बाहर करने और उच्चतम न्यायालय तथा अलग-अलग उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों के मद्देनजर उन्हें पुरानी पेंशन के दायरे में शामिल करने के लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय का सुझाव मांगा गया था, यदि हां तो विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा दिए गए सुझाव और टिप्पणियों सहित उक्त टिप्पणियों में विलंब करने के कारणों का ब्यौरा क्या है और उच्चतम न्यायालय द्वारा सरकार की जनकल्याणकारी छवि को धूमिल करने के लिए विशेष अनुमति याचिकाओं और पुनरीक्षण याचिका की दाखिले पर ही सुनवाई किए बिना खारिज करने के बाद प्रत्येक मामले में झूठी मुकदमे बाजी के कारणों का ब्यौरा क्या है? बस्तर सांसद दीपक बैज के प्रश्न के जवाब में विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने विधि कार्य विभाग को 12.11. 2021 के प्रति पेश किया जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ कर्मचारियों से 31.12.2003 को या उससे पूर्व विज्ञापन की तारीख के आधार पर पुरानी पेंशन योजना के अधीन जोड़ने के लिए प्राप्त अभ्यावेदनों पर सलाह देने की मांग की है जिन पदों पर उन्हें नियुक्त किया गया था। विधि मंत्री ने कहा कि इस संबंध में विधि कार्य विभाग ने 24.11. 2021 के टिप्पण द्वारा तत्परता से सलाह दी की न्यायिक मंच द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें या उच्च न्यायिक मंच के समक्ष निर्देशों को चुनौती दें। यदि जारी किए गए निर्देश मंत्रालय विभाग की नीतियों के विरुद्ध हैं।

उक्त मंत्रालय विभाग के पूर्ण विवेक पर निर्भर करता है यदि कोई मुद्दा माननीय उच्चतम न्यायालय में अंतिम रूप ले चुका है तो मंत्रालय विभाग को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का पालन करना होगा अन्यथा मंत्रालय विभाग को न्यायालय के समक्ष अवमानना कार्रवाई के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि विषय पर आगे किसी भी निर्देश पर तत्परता से कार्यवाही की जाएगी साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष s.l.p. या पुनर्विलोकन याचिका फाइल करने का प्रस्ताव संबंधित विभाग मंत्रालयों में उत्पन्न होता है जिसे विद्वान विधि अधिकारी की सुविचारित राय के अनुसार स्वीकार या अस्वीकार कर दिया जाता है। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के अनुसार वित्त मंत्रालय की 22. 12.2003 अधिसूचना द्वारा केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एनपीएस प्रस्तुत की गई। एनपीएस 01.01.2004 को (सशस्त्र बल को छोड़कर) से केंद्रीय सरकार सेवा में सभी नई भर्तियों के लिए आज्ञापक है। 22. 12.2003 की अधिसूचना के विनिर्दिष्ट उपबंधों को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन योजना के अधीन कवरेज के लिए पात्रता आधारित करने के लिए रिक्तियों के विज्ञापन की तारीख को सुसंगत नहीं माना जाता है।