पति की जान बचाने लकड़बग्घे पर टूट पड़ी गांव की वीरांगना

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  • डंडे से पीट – पीटकर लकड़बग्घे के जबड़े से छुड़ा लिया पति को महिला ने
  •  डंडे के वार से अंततः मर गया हिंसक लकड़बग्घा
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर  नारी को शक्ति स्वरूपा यूं ही नहीं कहा जाता। अगर नारी अपनी पर उतर आए, तो पहाड़ को भी हिला देती है, चट्टानों को भी दरका डालती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले की ग्रामीण महिला सुगनी बाई यादव ने। सुगनी अपने पति की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर हिंसक लकड़बग्घे पर शेरनी बनकर टूट पड़ी। उसने अपने पति को लकड़बग्घे के जबड़े से छुड़ाकर ही दम लिया। सुगनी और लकड़बग्घे के बीच हुए संघर्ष में जीत सुगनी की हुई और लकड़बग्घा मारा गया।
    यह दास्तान बस्तर संभाग के कोंडागांव जिले के माकड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम इंदिरा का है। अपनी बाड़ी में मक्के की फसल की सिंचाई कर रहे ग्रामीण पर अचानक लकड़बग्घे ने हमला कर दिया। लकड़बग्घा ग्रामीण को अपने जबड़े में कस कर झींझोड़े जा रहा था। ग्रामीण की चीख पुकार सुनकर पहुंची उसकी पत्नी ने आव देखा न ताव और वह वीरांगना टूट पड़ी लकड़बग्घे पर। उसने पति को लकड़बग्घे के जबड़े से छुड़ाकर ही दम लिया। मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम इंदिरा निवासी नंदूराम यादव अपने घर से लगी बाड़ी में सुबह 5 बजे मक्के की फसल की सिंचाई करने पहुंचा था। नंदू अपने काम में मगन था कि तभी बाड़ी में छुपा बैठा लकड़बग्घा बाहर निकल आया और उसने नंदू पर हमला कर दिया। नंदू को लकड़बग्घा अपने जबड़ों में कस कर उसे नोचे जा रहा था। हैरान परेशान नंदू चीख पुकार मचाने लगा। आवाज सुन नंदू की पत्नी सुगनी बाई दौड़ी दौड़ी बाड़ी में पहुंची। वहां सुगनी ने अपने पति को लकड़बग्घे के चंगुल में फंसे देखा। फिर क्या था, उसके अंदर की नारी शक्ति जाग उठी और वीरांगना सुगनी बाई शेरनी बन लकड़बग्घे पर टूट पड़ी। उसने डंडे से लकड़बग्घे पर ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया। सुगनी के आक्रामक तेवर के आगे लकड़बग्घा ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया। उसने जबड़े ढीले कर दिए और नंदू उसके चंगुल से छूट गया। सुगनी के वार से बेदम होकर लकड़बग्घा वहीं गिरकर निढाल हो गया। कुछ ही देर में लकड़बग्घे की मौत हो गई।

    घायल हो गया है नंदूराम
    लकड़बग्घे के हमले से नंदू राम यादव जख्मी हो गया है। नंदूराम यादव के हाथ, पीठ, कमर, पैर पर लकड़बग्घे के हमले से चोटें आई हैं। उसे एंबुलेंस से माकड़ी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाय गया, जहां पर उसका उपचार जारी है। वहीं मृत लकड़बग्घा को वन विभाग की टीम द्वारा पशु चिकित्सालय माकड़ी पहुंचाया गया। पशु चिकित्सक द्वारा लकड़बग्घे के शव का पोस्टमार्टम किया गया। पशु चिकित्सक डॉ. सुधारण मरकाम ने पोस्टमार्टम में हेड इंज्यूरी की वजह से लकड़बग्घे की मौत होना बताया है। पोस्टमार्टम के बाद वन विभाग की टीम ने लकड़बग्घे के शव को अपने साथ जंगल में ले जाकर दफना दिया।