- जांच तो हुई, लेकिन तय नहीं की जा सकी जिम्मेदारी
- दो साल पहले चिंतलनार के गोदाम से हुआ था गायब
- जिला खाद्य अधिकारी पर होगी कार्रवाई : कलेक्टर
-अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर संभाग में जो न हो वो कम है। कोई मामला दो साल पहले उजागर हुआ हो और उस पर आज तक कार्रवाई न हो, तो इसमें कोई हैरत की बात नहीं है। क्योंकि मामला बस्तर का जो है। गरीबों के हिस्से का चार सौ बोरी चावल गायब होने का मामला भी इसी तरह दो साल से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। मामले की जांच तो हुई है, मगर वह भी हवा हवाई।
चावल की अफरा तफरी का मामला बस्तर संभाग के सुकमा जिले का है। सन 2021- 22 में सुकमा जिले के चिंतलनार के एक निजी फर्म के गोदाम से 400 बोरी शासकीय चावल की अफरा तफरी कर दी गई थी। अब मामले में जांच अधिकारी की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है। जांच हवा-हवाई की गई और मामले में अब तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकी है। किसकी लापरवाही से 400 बोरी शासकीय चावल गायब हुआ है, इसकी जवाबदेही किसकी है? ये प्रश्न आज भी मुंहबाये खड़े हैं। चावल की राशि की वसूली किससे होगी, यह भी तय नहीं हो सका है। जबकि कामाराम की शासकीय उचित मूल्य की दुकान में हुई चावल की अफरा-तफरी मामले में खाद्य निरीक्षक को जिम्मेदार ठहराते हुए राशि की रिकवरी के साथ उन्हें निलंबन की सजा भी दी जा चुकी है। तो फिर चिंतलनार गोदाम से चावल गायब होने के मामले में ऐसा कड़ा कदम क्यों नहीं उठाया ja रहा है। जांच अधिकारी का गोलमोल जवाब भी जांच पर प्रश्न खड़ा करता है।कड़क कलेक्टर, फिर भी कार्रवाई नहीं
सुकमा जिले के तेज तर्रार
आईएएस अफसर विभागीय अधिकारियों के कार्यों में कसावट लाते हुए व्यवस्था दुरूस्त करने की कवायद कर रहे हैं। वहीं कुछ अधिकारी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं। यही वजह कि मामला फाईलों में बंद होता प्रतीत हो रहा है। सुकमा जिले में चावल की कालाबाजारी का मामला सुर्खियों में रहा था। फिर भी अब तक आरोपियों की गर्दन तक प्रशासन का हाथ न पहुंच पाना आश्चर्य की बात है। इससे तो यही लगता है कि अधिकारियों ने कलेक्टर को अंधेरे में रखा है।कौन करेगा रकम की भरपाई
मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2021-22 में लॉक डाउन के समय सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड के मोरपल्ली की राशन दुकान अस्थाई रूप से चिंतलनार में संचालित की जा रही थी। इस दुकान को 576 क्विंटल चावल पोटा केबिन के उपभोक्ताओं में वितरण के लिए आबंटित हुआ था। इसमें 400 बोरी चावल यानी 200 क्विंटल चावल को उपयोगिता नहीं होने के कारण चिंतलनार में एक निजी गोदाम में सरपंच एवं पंचों की उपस्थिति में खाद्य निरीक्षक द्वारा रखवा दिया गया था। इसकी सूचना जिला खाद्य अधिकारी को भी दी गई थी। निजी गोदाम में रखा 260 बोरी चावल गायब हो गया। मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच कराई, तो 140 बोरी ऐसे चावल की बरामदगी दर्शा दी गई, जो पूरी तरह से खराब हो चुका था।किससे की जाएगी रिकवरी
शासकीय चावल निजी गोदाम से गायब चुका है। अब प्रश्न यह उठ रहा है कि उक्त चावल गोदाम से गायब कैसे हुआ ? जांच अधिकारी भी जांच में खानापूर्ति कर औपचारिकता निभा चुके है। कोई भी जांच में यह सिद्ध नहीं कर पाया कि 400 बोरी शासकीय चावल की अफरा- तफरी का जिम्मेदार कौन है ? जबकि खाद्य विभाग के ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारी को भी इसकी जानकारी थी, लेकिन किसी ने शासकीय चावल को सुरक्षित रखने या राशन दुकानों में वितरण को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। गायब चावल की कीमत 9 लाख रू. से अधिक है। इस रकम की वसूली किससे की जाएगी, यह अब तक तय नहीं हो पाया है। जबकि खाद्य निरीक्षक 15 जनवरी 2021 को एसडीएम कोंटा को भी पत्र प्रेषित कर चुके हैं। सिलगेर के साप्ताहिक बाजार से चावल जब्त कर एसडीएम कोंटा को कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। यह मामला भी पेडिंग है। जब इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी से पूछे जाने पर गोलमोल जवाब देते हुए अधिकारी ने जानकारी देने से आनाकानी की।खाद्य अधिकारी पर होगी कार्रवाई: कलेक्टर
सुकमा के कलेक्टर हरीश एस. ने बताया कि कामाराम राशन दुकान से चावल की अफरा- तफरी के मामले में खाद्य निरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है। चिंतलनार गोदाम से चावल गायब होने के मामले पर उन्होंने कहा कि उस वक्त जो भी जिला खाद्य अधिकारी रहे होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी साथ ही राशि का रिकवरी भी होगी। उल्लेखनीय है कि कामाराम राशन दुकान में चावल वितरण नहीं किए जाने के मामले में खाद्य निरीक्षक पर रिकवरी सहित निलंबन तक की कार्रवाई की जा चुकी है। इस मामल में चावल की कालाबाजारी करने वाला ट्रांसपोटर्स की भूमिका भी अहम होने का खुलासा हुआ था जिस पर कार्रवाई के लिये चिंतलनार थाने को निर्देशित किया गया था, लेकिन वह मामला भी थाने में लंबित है जबकि चावल कालाबाजारी सबसे अहम भूमिका है।