दल्ली राजहरा – हिन्द सेना समाजसेवी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंगेश वैद्य साहू के निर्देशानुसार आजाद हिंद फौज सरकार के स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में गोष्ठी का आयोजन बालोद जिला दल्ली राजहरा में किया गया | वक्ताओं ने आजाद हिंद फौज के संस्थापक एवं भारत की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शो, देश की
आजादी में योगदान एवं उनकी जीवन गाथा का वर्णन किया। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित एक महती संगोष्ठी के मुख्य अतिथि युवा ब्रिगेड़ कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष हर्ष रामटेके व जिला अध्यक्ष राजू चौधरी थे,अध्यक्षता मजदूर यूनियन प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद सलमान खान,राकेश कुमार पिपरे, उपस्थित थे | आरंभ में नेताजी के तैलचित्र पर पुष्प एवं माल्यार्पण कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई ! कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मुख्य अतिथि युवा ब्रिगेड़ कार्यकारी
प्रदेशाध्यक्ष हर्ष रामटेके ने कहा कि भारत वर्ष की स्वतंत्रता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का सर्वोत्कृष्ट योगदान रहा है | भारत में अंग्रेजी हुकूमत के दौरान गरीबी , लूट – खसोट , भ्रष्टाचार और भारतीयों पर अंग्रेजों के अत्याचार की घटनाएं चरम पर थी | ब्रिटिश सरकार भारत की संपत्ति को लूटने और सरकारी धन में भ्रष्टाचार में पूरी तरह संलिप्त थी ! अंग्रेज अधिकारी और सिपाही भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे | यह सब देखकर नेताजी को बड़ी पीड़ा
होती थी वे बचपन से ही बागी तेवर वाले थे , लिहाज अंग्रेजों के जुल्मों – सितम , दमन , लूटखसोट , भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने भारत समेत कई देशों में मोर्चा खोल दिया | सिंगापुर , जापान , रूस , जर्मनी में भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस सक्रिय गतिविधियां संचालित करते रहे | उनका एकमात्र उद्देश्य था भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराना उसके लिए उन्होंने अपना सैन्य बल आजाद हिंद फौज का गठन किया था | 21 अक्टूबर 1944 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के मुख्य सेनापति की हैसियत से भारत में आजाद हिंद फौज की सरकार गठन का ऐलान किया | भारत में भारतीयों के प्रभुत्व वाली यह पहली सरकार थी |
समारोह की अध्यक्षता कर रहे मजदूर यूनियन प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद समलान खान ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को हुआ था | उनके पिता का नाम जानकी राम बोस व माताजी का नाम प्रभावती देवी बोस था | चौदह भाई – बहनों में नेताजी नौवें नंबर के थे | बचपन में नेताजी को माता – पिता व अन्य परिजनों से पर्याप्त स्नेह नहीं मिल पाया , लिहाज नेताजी अपने आप में ही खोये रहते थे | जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने की आदत उनमें बचपन से थे , बड़े ही शर्मीले स्वभाव वाले नेताजी कठोर परिश्रमी थे | वे पढ़ाई में भी काफी तेज थे उनकी स्कूली शिक्षा एक मिशनरी स्कूल में पूरी हुई , इस स्कूल में विद्यार्थीयों को बाईबिल , अंग्रेजी तो पढ़ाई जाती थी , लेकिन हिन्दी , संस्कृत और भारतीय इतिहास को शिक्षा नहीं दी जाती थी | अंग्रेजों के महिमा मंडन वाली शिक्षा दी जाती थी , यह पात नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नागवार गुजरती थी | उन्होंने इसके खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था , उम्र बढ़ने के साथ – साथ नेताजी के बागी तेवर और भी सदत होते चले गए , प्रेसिडेंट काॅलेज कलकत्ता में पढ़ाई के दौरान नेताजी ने सहपाठियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ एक बड़ा ग्रुप तैयार कर लिया था यह ग्रुप अलग – अलग तरीके से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गतिविधियां चलाता था |
युवा ब्रिगेड़ जिला अध्यक्ष राजू चौधरी ने कहा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के रौबदार व्यक्तित्व और आजाद हिंद फौज की गतिविधियों ने अंग्रेजों की नींद हराम कर दी थी | अंग्रेज अफसर नेताजी जपान , रसिया , जर्मनी , की सरकारें भी करती था | स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस को अपना आदर्श मानने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आगे अंग्रेज हुक्मरान भी नत मस्तक होते थे | भारत की आजादी के बाद सन् 1947 में ब्रिटेन के वरिष्ठ प्रतिनिधि के रुप में वहां तत्कालीन प्रधानमंत्री एटली ने भारत आऐ थे , उस समय श्री एटली ने भारतीय गवर्नर फणीभूषण चक्रवर्ती के समक्ष कहा था कि भारत को आजादी दिलाने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अप्रतिम योगदान रहा है | भारत के इस महान सपूत के अतुल्य योगदान के हम भारतवासी सदैव ऋणी रहेगें |
दिखा देशभक्ति का जज्बा भी हिन्द सेना के द्वारा गोष्ठी के अलावा देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया | हिन्द सेना के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने देशभक्ति का जज्बा देखते ही बनता था | देशभक्ति गीतों से युवाओं ने समां बांधा | नेताजी सुभाष चंद्र बोस अमर रहे , भारत माता की जय हम चलेगें नेताजी के आदर्शो पर जैसे नारों से समुचा वातावरण गुंजता रहा , प्रहलाद चौधरी ,दीपेश,अभिषेक, राहुल ,अजय ,योगेंद्र,रवि कुमार ,रोहन ,तुषार ,छोटू, मनोज ,देवा ,शुभम
……….सैकड़ों हिन्द सैनिक सहित प्रबुद्ध नागरिक उपास्थित थे |