कोंडागांव जिला प्रशासन के ‘लक्ष्य’ को लक्ष्य से भटका दिया अफसरों ने

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  • प्रशासन का लक्ष्य कोचिंग बंद होने की कगार पर
  • डॉक्टर, इंजीनियर कैसे बनेंगे खाने के मोहताज बच्चे
  • कोचिंग संचालकों से अब तक नहीं हुआ नया एग्रीमेंट

अमरेश झा

कोंडागांव जिला मुख्यालय कोंडागांव के कलेक्टोरेट परिसर में जिला प्रशासन द्वारा संचालित लक्ष्य कोचिंग अब अपने लक्ष्य से ही भटकता नजर आ रहा है। जिले के बच्चों को एनईईटी एवं जेईई की तैयारी एवं बच्चों को इंजीनियर एवं डॉक्टर बनाने के उद्देश्य से संचालित लक्ष्य कोचिंग अधिकारियों की उदासीनता के चलते बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।

बस्तर संभाग के अमूमन सभी जिलों में सुदूर गांवों के छात्र छात्राओं के डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी, जज आदि बनने के ख्वाब को पूरा करने के लिए स्थानीय प्रशासन के सहयोग से लक्ष्य कोचिंग संस्था का संचालन किया जा रहा है। इस पहल के उत्साहजनक और सकारात्मक नतीजे भी सामने आए हैं। वहीं कोंडागांव जिले में प्रशासन की यह पहल दम तोड़ती नजर आ रही है। बीते वित्तीय वर्ष तक कोंडागांव में लक्ष्य कोचिंग के संचालन के लिए समय पर आवंटन प्राप्त होता रहा है। इससे ग्रामीण अंचलों से पहुंचे बच्चे आवासीय सुविधा का लाभ लेकर अपनी कोचिंग सुचारू रूप से जारी रखे हुए थे। वहीं उनके भोजन की व्यवस्था में अब तक कोई परेशानी नहीं हो रही थी, लेकिन पिछले 5 माह से न तो बच्चों के भोजन के लिए आवंटन जारी किया गया है, और न ही कोचिंग संस्था से फिर से अनुबंध किया जा सका है। ज्ञात हो कि लक्ष्य कोचिंग सेंटर आवासीय प्रशिक्षण केंद्र कोंडागांव को पिछले वर्ष में 80 लाख रुपए आवंटित किए गए थे और यहां मिली कोचिंग के दम पर 5 बच्चों ने जेईई का मेंस क्लीयर भी किया था। बीते वर्षों में इस कोचिंग सेंटर से कई बच्चे डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भी सिलेक्ट हो चुके हैं। हालांकि बीते वर्ष से संचालित कोचिंग संस्थान लगातार अध्यापन सेवा दे रही है। बच्चे भी कोचिंग से संतुष्ट भी नजर आ रहे हैं, लेकिन स्व-सहायता समूह को बीते 5 माह से भोजन व्यवस्था हेतु आवंटन प्राप्त नहीं हुआ है। इसके चलते अब स्व सहायता समूह ने भोजन बनाना बंद कर दिया है। नतीजतन बच्चों को दूसरे हॉस्टल से भोजन मंगवाकर खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। कोचिंग संस्थान व मेस संचालन व्यवस्था हेतु आवंटन प्राप्त नहीं होने का सीधा असर कहीं न कहीं बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ रहा है। वहीं शासन प्रशासन लाखों करोड़ों खर्च कर जिले के बच्चों के लिए डीएमएफ, सीएसआर व अन्य मदों से आवंटन उपलब्ध करवाता है ताकि जिले के अंदरूनी इलाकों के बच्चे डॉक्टर इंजीनियर बन सकें। आज अधिकारियों की उदासीनता के चलते जहां बच्चों के सपने चूर चूर हो रहे हैं, वहीं शासन प्रशासन की मंशा भी धराशायी हो रही है। इसके लिए सीधे तौर पर वे अधिकारी जिम्मेदार हैं, जो महज खानापूर्ति के लिए ही ‘लक्ष्य’ के प्रति शासकीय दायित्व बेमन से निभारहे हैं।

डीईओ मैम ने दिया था जिम्मा

लक्ष्य कोचिंग के बच्चों के लिए भोजन का इंतजाम करने वाले जय मां सरस्वती महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष हसीना खान का कहना है कि उनका समूह पिछले साल से लक्ष्य कोचिंग में मेस का संचालन कर रहा है। समूह को पिछले पांच माह से राशि भुगतान के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिली है। हमने इस बारे में डीईओ मधुलिका तिवारी से बात की, तो डीईओ ने समस्या को नकाराते हुए मेस को ही बंद करने का आदेश दे दिया और कहा कि आप बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था न करें। जिला शिक्षा अधिकारी के कहने पर ही मेस बंद कर दिया गया है। हसीना खान बताती हैं कि उनका समूह पिछले 5 माह से व्यापारियों के पास से राशन व अन्य सामग्री उधार में लेकर बच्चों को भोजन उपलब्ध करवाते आ रहा था, लेकिन अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ है। भुगतान के लिए हम महिलाएं 5 माह परेशा न हैं। अभी तक भुगनात नही हुआ है। पिछले पांच माह से हम डीईओ मैडम के कहने पर ही मेस का संचालन कर रही थी बिना भुगतान के, लेकिन जब मैडम से इसके लिए आदेश और पेमेंट की बात रखी गई तो मैडम ने इस बात को नकारते हुए यह साफ कह दिया कि, मैंने इसका संचालन करने के लिए नहीं कहा था और इस पर अब कोई आदेश जारी नहीं होगा। वहीं नीट की तैयारी कर रही कक्षा 11वीं की छात्रा तनूजा मरकाम और भूमिका बघेल ने बताया कि, आज हॉस्टल में खाना नहीं बना। भोजन अन्य हॉस्टल से लाकर हम लोगों को उपलब्ध कराया गया एवं आज नाश्ता भी उन्हें बाहर से ही लाकर कराया गया।

वर्सन

कर दी है भोजन व्यवस्था

स्व सहायता की महिलाओं ने बिना किसी पूर्व सूचना के खाना बनाना बंद कर दिया। इस बारे में मुझे समूह द्वारा जानकारी ही नहीं दी गई अचानक ही उन्होंने खाना बनाने से इंकार कर दिया, फिर भी हमने बच्चों के भोजन की व्यवस्था कर दी है। लक्ष कोचिंग संस्था के रिन्यूवल और संस्था के बारे में कुछ भी बोलने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं।

मधुलिका तिवारी,  जिला शिक्षा अधिकारी, कोंडागांव