केबल जलने से डूमरगुड़ा में हफ्तेभर से बिजली गुल, जल आपूर्ति भी ठप

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  •  बकावंड की राजनगर ग्राम पंचायत का वार्ड है डूमरगुड़ा
  • जलापूर्ति बंद हो जाने के चलते, 2 किमी दूर से पानी लाना पड़ रहा ग्रामीणों को

अर्जुन झा-

बकावंड विकासखंड बकावंड की ग्राम पंचायत राजनगर के डूमरगुड़ा में हफ्ते भर से बिजली आपूर्ति ठप है। बिजली न रहने से बस्ती ने पेयजल आपूर्ति भी नहीं हो रही है और ग्रामीणों को दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है। बिजली का केबल जलने से यह समस्या पैदा हुई है, मगर बार बार शिकायत करने के बाद भी विद्युत विभाग के अधिकारी कर्मचारी केबल बदलने की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बिजली बंद रहने और जल आपूर्ति न होने से ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।

 

राजनगर ग्राम पंचायत की डूमरगुड़ा बस्ती की बिजली एक सप्ताह गुल है। ग्रामीणों ने बताता कि ट्रांसफार्मर का केबल जल जाने से यह समस्या पैदा हुई है। ट्रांसफार्मर का केबल बार बार जल जाता है। एक सप्ताह बाद भी विद्युत विभाग के स्थानीय उपयंत्री और कर्मचारी केबल बदलने की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि ग्रामीण कई बार विद्युत कार्यालय में शिकायत कर चुके हैं। बरसात के इस मौसम में सांप बिच्छू निकलते रहते हैं और ग्रामीण अंधेरे में रात गुजारने मजबूर हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत पेयजल को लेकर हो रही है। बिजली न रहने से जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। डूमरगुड़ा की महिलाओं, बालिकाओं और ग्रामीण युवाओं को दो किलोमीटर दूर स्थित कुंए से पानी लाकर गुजारा करना पड़ रहा है। कोई साईकिल से पानी ढो रहा है, कोई कांवर से तो कोई सिर पर गुंडियां रखकर पानी कुंए से ला रहा है।

नल का शुद्ध पानी पीते आ रहे ग्रामीणों को कुंए का पुराना हो चुका पानी रास नहीं आ रहा है। फिर भी ग्रामीण कुंए का पानी उपयोग करने मजबूर हैं क्योंकि गांव में पानी का और कोई दूसरा साधन नहीं है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। गांव के युवाओं ने बताया कि हम लोग विद्युत कार्यालय में फोन से कई बार सूचना दे चुके हैं, मगर आज तक केबल बदलने या सुधरने के लिए कर्मचारी नहीं भेजे गए हैं। युवाओं के मुताबिक केबल बार बार जल जाता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा है। पंचायत के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और विद्युत विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप खनन किया गया था, जो एक सप्ताह में ही खराब हो गया। उसके बाद अधिकारी जनप्रतिनिधि शिकायत करने पर भी ध्यान नहीं दे रहे हैं।