- राजनैतिक दबाव में पंचायत सचिव को कर दिया बर्खास्त
- सुकमा जिले के अधिकारी कर रहे हैं दबाव में काम
अर्जुन झा
जगदलपुर बस्तर संभाग के अधिकारियों की गर्दन पर अभी भी नेताओं का ‘पंजा’ कसा हुआ है। अधिकारियों पर दबाव डालकर पूर्व सत्ताधारी दल के नेता अपनी मर्जी के मुताबिक काम करा रहे हैं।पंचायत स्तर के जो कर्मचारी नेताओं के मनमाफिक काम नहीं करते, सरकारी कार्यों की रकम में धांधली कर हिस्सा नहीं देते उन्हें बर्खास्त करा दिया जाता है या फिर अधिकारियों के जरिए प्रताड़ित किया जाता है। पंजे का ऐसा ही खेल सुकमा जिले में भी चल रहा है। इस जिले में एक पंचायत सचिव को इसलिए बर्खास्त करा दिया गया क्योंकि उसने जनपद के अधिकारियों और नेताओं के कहे अनुसार निर्माण एवं विकास कार्यों की राशि में गड़बड़ी नहीं की और नेताओं व अफसरों को हिस्सा नहीं मिल पाया।
सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड की तीन ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों की शिकायत पर सुकमा जिला पंचायत सीईओ देवनारायण कश्यप ने दो सदस्यीय टीम गठित कर पंचायत सचिवों से जुड़े मामले की जांच कराई थी। जांच में कथित रूप से आर्थिक अनियमितता पाए जाने पर पंचायत सचिव उदय भास्कर को बर्खास्त कर दिया गया। जिला पंचायत सीईओ की यह तत्परता सुुकमा जिले में चर्चा का विषय बन गई है। वहीं विगत चार वर्षों से एलमपल्ली पंचायत की जांच वाली फाईल सीईओ के दफ्तर के मेे धूल खाते पड़ी है। इस पंचायत के मामले की निष्पक्ष जांच कराने को लेकर साहब के हाथ पांव फूल जाते हैं। इसका मुख्य कारण राजनीतिक दबाव को बताया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं के एजेंट बनकर काम करने वाले पंचायत सचिव पर जिले के अफसर भी मेहरबान हैं। सत्ता परिवर्तन होते ही भाजपा नेता अब पेंडिंग मामले की फाईल खुलवाने के लिए मंत्रिमंडल गठन का इंतजार कर रहे हैं। कोंटा ब्लाक की कामाराम, कोडासांवली एवं दुलेड ग्राम पंचायतों में विभिन्न विकास व निर्माण कार्यों में कथित अनियमितता की शिकायत ग्रामीणों द्वारा जिला पंचायत सीईओ से की गई थी। शिकायत की जांच के लिए जिला पंचायत सीईओ के आदेश पर दो सदस्यीय दल गठित किया गया था। जांच दल में सहायक परियोजना अधिकारी बलवंत सिंह मार्को एवं एक अन्य अधिकारी शामिल थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर शासकीय राशि की गड़बड़ी आरोप में सीईओ श्री कश्यप ने पंचायत सचिव को बर्खास्त करने की कार्रवाई 30 नवम्बर 2023 को की है।
दबाव में बदला जांच अधिकारी
पहले मामले की जांच सुकमा जिले से सहायक जिला पंचायत सीईओ द्वारा निष्पक्ष रूप से की जा रही थी। खबर है कि कांग्रेस नेताओं की मर्जी के अनुसार जांच प्रतिवेदन न बनने पर आनन फानन में सहायक जिला पंचायत सीईओ को जांच प्रक्रिया से हटाकर जांच की जिम्मेदारी एक जूनियर कर्मचारी को सौंप दी गई थी। जूनियर कर्मचारी ने नेताओं के इशारे पर जांच रिपोर्ट आनन- फानन में तैयार कर अपने चहेते अफसर को सौंप दी। इसके बाद सचिव के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई कर दी गई।
नहीं हुई निष्पक्ष जांच
बर्खास्त पंचायत सचिव उदय भास्कर ने आरोप लगाया है कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है। राजनीतिक दबाव में निष्पक्ष जांच नहीं हुई और एकपक्षीय कार्रवाई कर दी गई। उदय भास्कर का कहना है कि जांच के दौरान उनका पक्ष तक नहीं लिया गया और न ही किसी प्रकार नोटिस दिया गया है। उन्होंने कहा कि तालाब निर्माण सहित अन्य कार्यों की मजदूरी राशि सरपंच, उप सरपंच एवं जनपद सदस्य की उपस्थित में प्रदान की गई है। राशि वितरण की पावती भी दी गई थी। श्री भास्कर ने आरोप लगाया है कि पंचायत के कुछ अधिकारी उन पर नियम विरूद्ध कार्य करने के लिए दबाव बनाते रहे हैं। ऐसा नहीं करने पर राजनीतिक दबाव में भेदभाव पूर्ण तरीके से जांच कर षड़यंत्र के तहत कार्रवाई की गई है। उन्होने कहा कि पूर्व सचिव द्वारा गबन की गई राशि का दोष उन पर मढ़ दिया गया है। उन्होने जांच दल पर आरोप लगाया है कि बदले की भावना से उन्हें फंसाया गया है।
तो खुल जाएगी कोंडागांव की फाईल
जिला पंचायत सीईओ ग्रामीणों की शिकायत पर जन भावना के अनुसार कार्य किया करते हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव में आकर कई बार वे ग्रामीणों के भावना के विपरीत कदम उठाने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं। कोंटा ब्लाक की एलमपल्ली ग्राम पंचायत से जुड़ी शिकायत पर भी ऐसा ही हुआ है। इस पंचायत के पूर्व सचिव द्वारा की गई गड़बड़ियों की जांच में भारी गड़बड़ी की गई है। अनियमितता उजागर होने के बाद भी मामला फाईलों में बंद है। खबर है कि एक राजनेता ने अधिकारी पर सचिव की अनियमितता की फाईल बंद करने का दबाव डाला है। अधिकारी को धमकाया गया कि अगर एलमपल्ली के पंचायत सचिव की फाईल खुली, तो कोंडागांव जिले में रहते तुम्हारे द्वारा की गई गड़बड़ी की फाईल भी खुलवा दी जाएगी। इस धमकी से अधिकारी के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने पंचायत सचिव का मामला ही बंद कर दिया। वर्तमान में यह सचिव पूर्व मंत्री के गृह क्षेत्र में पदस्थ है।
पेंशनरों का नही लिया बयान
पेंशन भुगतान को लेकर ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर मामले की जांच कराई गई थी। जिन पेंशन धारकों को पेंशन की पात्रता है उनका बयान तक जांच के दौरान दर्ज नहीं किया गया। उन ग्रामीणों का बयान दर्ज किया गया है, जिनका पेंशन से कोई सरोकार नहीं है। यही हाल मजदूरी भुगतान मामले का भी है। जिन्हें पेंशन एवं मजदूरी का भुगतान बराबर किया गया है। इसकी पावतियां सचिव ने संभाल रखी है। निर्माण कार्यों में अनियमितता मामले में मूल्यांकन करने वाला अधिकारी एवं पंचायत इंस्पेक्टर भी संदेह के दायरे में है।