- अब तक खुले में पड़ा है हजारों क्विंटल धान
- नहीं हो रहा है उठाव, रोज घट रहा है धान का वजन
-अर्जुन झा-
जगदलपुर सूरज देवता अपना रौद्र रूप दिखाते हुए धान को तेजी से सुखा रहे हैं, चूहे भी चट कर रहे हैं, धान का वजन रोज घटता जा रहा है और खरीदी केंद्र प्रभारी चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। उनका भी वजन घटने लगा है। यह दास्तां है बस्तर संभाग के धान खरीदी केंद्रों की, जहां हजारों क्विंटल धान अभी भी खुले आसमान तले पड़ा है। भंडार गृहों और राइस मिलों तक इस धान को भेजने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है।
बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर व कोंडागांव जिलों में धान खरीदी से लेकर परिवहन तक लगातार अव्यवस्था हावी रही है। संभाग के खरीदी केंद्रों में आज भी हजारों क्विंटल धान उठाव के इंतजार में पड़ा हुआ है। खरीदी केंद्र प्रभारी खरीदी केंद्रों में जाम धान की सुरक्षा को लेकर तो चिंतित हैं ही, प्रचंड धूप और चूहों की बेशुमार फौज ने उनकी परेशानी को चौगुना बढ़ा दिया है। खरीदी केंद्रों में धान भरे बोरे यूं ही खुले में पड़े हैं। धूप के असर से धान बड़ी तेजी से सूखता चला जा रहा है। इससे धान का वजन कम हो रहा है। वहीं चूहे भी धान को न सिर्फ चट कर रहे हैं, बल्कि बर्बाद भी कर रहे हैं।
इनकी चिंता कौन करेगा?
बताते हैं कि सूखत और चूहों द्वारा की जा रही बर्बादी की वजह से प्रत्येक बोरी में 4 से 6 किलोग्राम तक धान का वजन कम हो गया है। अभी गर्मी के शुरुआती दिनों में ये हाल है तो आगे क्या होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। जब धान का वजन कम निकलेगा तो उसकी वसूली खरीदी केंद्र प्रभारियों से की जाएगी। इसे लेकर खरीदी केंद्र प्रभारी बड़े चिंतित हैं।धान खरीदी प्रभारी दो पाटों के बीच पिसते नजर आ रहे हैं। धान खरीदी के समय सभी अधिकारी, मीडिया कर्मी और किसान धान झुकती लेने पर केंद्र प्रभारियों पर उंगली उठाते रहे हैं कि ये लोग किसानों का धान ज्यादा तौलकर किसानों का शोषण और अपनी कमाई का जुगाड़ कर रहे हैं। मगर आज जब धान खरीदी केंद्र प्रभारियों पर बड़ी मुसीबत आन पड़ी है, तो उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। धान खरीदी बंद होने के बाद से कोई अधिकारी धान खरीदी केंद्र तक नहीं पहुंच रहा है।