- 7 साल बाद भी आबाद नहीं हो पाए हॉस्टल
अर्जुन झा
बकावंड़ ब्लॉक मुख्यालय बकावंड में करोड़ों रुपयों की लागत से निर्मित आदिम जाति कल्याण विभाग के 250 -250 सीटर अनुसूचित जनजाति बालक एवं छात्रावास लगता है सिर्फ कमीशनखोरी के लिए ही बनवाए गए हैं। सात साल पहले इन छात्रावासों का उपयोग आज तक शुरू नहीं हो पाया है। इसमें बस्तर के विधायक लखेश्वर बघेल की भूमिका पर भी अब सवाल उठने लगे हैं।
बस्तर क्षेत्र के विधायक लखेश्वर बघेल ने सात साल पहले छात्रों एवं छात्राओं के लिए अलग अलग छात्रावास निर्माण हेतु करीब 15 करोड़ रुपए की स्वीकृति दिलाई थी। आदिम जाति कल्याण विभाग के इन छात्रावासों की क्षमता ढाई ढाई सौ सीटर है। प्रत्येक छात्रावास के लिए 7 करोड़ 28 लाख 56 हजार रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी और निर्माण के लिए कार्य एजेंसी आदिम जाति जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त को बनाया गया था। लगभग पंद्रह करोड़ की लागत से अनुसूचित जनजाति के छात्रों एवं छात्राओं के लिए निर्मित इन पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में सात साल बीत जाने के बाद भी दाखिला शुरू नहीं हो पाया है। वीरानी का दंश झेल रहे दोनों छात्रावास भवन देखरेख के अभाव में अब जर्जर होने लगे हैं।
बकावंड में हायर सेकंडरी स्कूल और महाविद्यालय भी है, मगर पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों का लाभ यहां के विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन दूर दराज के गांवों के छात्र छात्राएं जगदलपुर में रहकर पढ़ाई करने मजबूर हैं। क्षेत्रीय विधायक लखेश्वर बघेल की निष्क्रियता के चलते क्षेत्र के आदिवासी बच्चे आश्रम छात्रावास में रहकर पढ़ाई करने से वंचित हैं। करोड़ों के भवन बनकर तैयार हैं लेकिन उनका उपयोग नहीं होने के चलते भवन जीर्ण शीर्ण होते जा रहे हैं। 7 वर्ष से दोनों छात्रावास छात्र छात्राओं के दाखिले की बाट जोह रहे हैं। दोनों हॉस्टलों में करीब 500 विद्यार्थी आवास के साथ अध्ययन करते मगर पिछले 7 वर्ष से दोनों छात्रावास भवन खाली पड़े हैं।
कमीशनखोरी का आरोप
स्थानीय जिला पंचायत सदसाय सरिता पाणिग्रही का कहना है स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल की अकर्मण्यता की वजह से यह हॉस्टल चालू हो नही पाए हैं। ये केवल करोना काल में हॉस्पिटल और गोदाम के तौर पर काम आए थे। उन्होंने कहा की सरकार जब शिक्षा अलख जगा रही है, तब स्थानीय विधायक की चुप्पी आश्चर्यजनक है। सारिता पाणिग्रही ने आरोप लगाया है कि केवल कमीशनखोरी के लिए विधायक लखेश्वर बघेल छात्रावास भवनों के निर्माण तक सक्रिय रहे। छात्रावासों को शुरू कराने के लिए पहल नहीं कर रहे हैं। जिला पंचायत सदस्य सारिता पाणिग्रही ने कलेक्टर से मांग की है कि करोड़ो रुपए की लागत से बने इस छात्रावासों को तत्काल शुरू कर छात्र छात्राओं को वहां प्रवेश दिलाएं।