- प्राथमिक शाला की रसोई में छत से टपक रहा पानी
- कई दिनों से भूखे रहकर पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे
–अर्जुन झा-
बकावंड नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले विकासखंड बकावंड की शालाओं का जतन नहीं हो पाया और अब स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भी जतन नहीं हो पा रहा है।नौनिहाल स्कूलों में भूखे रहकर पढ़ाई करने मजबूर हैं।इस ओर देखने की फुरसत विकासखंड शिक्षा अधिकारी को शायद नहीं है और न ही ग्राम पंचायत के कर्ता धर्ता कोई ध्यान दे रहे हैं। सभी ने बच्चों और स्कूल स्टॉफ को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
हम बात कर रहे हैं बकावंड विकासखंड की ग्राम पंचायत राजनगर की शासकीय प्राथमिक शाला की। इस स्कूल में मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिए शेड वाला रसोई घरतो बनाया गया है, मगर उसकी समय समय पर आवश्यकता अनुसार मरम्मत नहीं कराई जाती। इसका नतीजा बरसात के इस मौसम में देखने को मिल रहा है। रसोई घर के अंदर छत से पानी टपक रहा है। अंदर रखा चावल, आटा, नमक, जलावन लकड़ी, मसाले आदि भीग कर नष्ट हो रहे हैं। टपकते पानी में गीली हो चुकी लकड़ी सुलगती नहीं, वहीं भीगे चावल को पकाना तथा छत से गिरे गंदे पानी से गीले हो चुके आटे से रोटी बनाना मुश्किल हो गया है। चूल्हा फूंकते फूंकते रसोईये का दम निकलने लगता है। वहीं ख़राब हो चुके अनाज से भोजन तैयार करना भी उनके लिए बड़ा मुश्किल काम साबित हो रहा है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में कई दिनों से मध्यान्ह भोजन तैयार नहीं किया जा सक रहा है। बच्चे घर से बिना खाए पीये इस उम्मीद से स्कूल पहुंचते हैं कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन तो मिलेगा ही। मगर भोजन बने तब न मिले? लिहाजा स्कूल के 40 छात्राओं और 46 छात्रों को पूरे दिन भूखे रहकर भजन यानि पढ़ाई करनी पड़ती है।
कहां गई स्कूल जतन की रकम
राज्य शासन ने नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने से काफी पहले ही स्कूल जतन योजना के तहत शाला भवनों और मध्यान्ह भोजन किचन शेड की आवश्यक मरम्मत के लिए जनपद पंचायत और शिक्षा विभाग को फंड आवंटित कर दिया था। बावजूद इस राशि से बकावंड जनपद की ज्यादातर शालाओं की मरम्मत नहीं कराई गई। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ग्राम पंचायत राजनगर की यह प्राथमिक शाला है। पालक और ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि स्कूल जतन योजना की रकम आखिर किसकी जेब की शोभा बन गई है? मध्यान्ह भोजन न बन पाने के कारण इस स्कूल के बच्चों क भी जतन नहीं हो पा रहा है।