अमृत मिशन में बड़ा झोल, केंद्र सरकार से प्राप्त करोड़ों रुपए फूंकने के बाद भी नहीं हो पाया प्रथम चरण का कार्य

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  • राज्य स्तर से चयनित पीडीएमसी होने के बाद भी निकाय स्तर पर कर लिया गया पीडीएमसी चयन
  •  फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तकनीकी मूल्यांकन
    -अर्जुन झा-
    जगदलपुर केंद्र सरकार की महति योजना अमृत मिशन में जगदलपुर निगम में बड़ा झोल सामने आया है। केंद्र सरकार से प्राप्त करोड़ों रुपए फूंक डालने के बाद भी इसका लाभ नागरिकों को अब तक नहीं मिल पाया है। क्योंकि मिशन के प्रथम चरण का कार्य भी जगदलपुर नगर निगम में पूरा नहीं हो पाया है।वहीं केंद्र सरकार ने अमृत मिशन के दूसरे फेस को भी लागू कर दिया है।
    नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग (सूडा) द्वारा भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना अमृत मिशन में जल प्रदाय योजना के कार्य जगदलपुर को छोड़कर पूरे राज्य में पूर्ण किए जा चुके है तथा सभी शहरों में जल आपूर्ति भी की जाने लगी है। केंद्र सरकार द्वारा अमृत मिशन के तहत दूसरा फेज भी लागू कर दिया गया है। जबकि जगदलपुर में अभी तक प्रथम चरण की योजना पूर्ण नही हो सकी है।नगर पालिक निगम जगदलपुर के अधिकारियों की उदासीनता और मनमानी के चलते करोड़ों खर्च करने के बाद भी योजना पूर्ण नही हो सकी है। कार्य बंद होने के सबंध में ठेकेदार द्वारा भुगतान लंबित होने की बात कही जा रही है। ठेकेदार द्वारा 90 प्रतिशत कार्य पूर्ण बताया जा रहा है। वहीं विगत दिनाें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जगदलपुर प्रवास के दाैरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष एवं विधायक किरण देव, महापौर सफीरा साहू के साथ एमआईसी सदस्यों ने अमृत मिशन को जल्द पूरा कराने के लिए अपेक्षित राशि की मांग की। राज्य द्वारा अमृत मिशन 1.0 के शेष बचे हुए एवं अमृत 2.0 के समस्त कार्यों के लिए चयनित पीडीएमसी मेसर्स शाह टेक्नीकल के बाद भी जगदलपुर नगर पालिक निगम द्वारा बिना शासन से aअनुमति लिए अलग पीडीएमसी एजेंसी के रूप में मेसर्स पुराणिक ब्रदर्स का चयन कर लिया गया। एक ही कार्य के लिए दो अलग फर्मो को भुगतान किया जा रहा है। ऐसा करके शासन को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। जबकि केंद्र सरकार के दिशा -निर्देशों के अनुसार अलग पीडीएमसी रखने के लिए अमृत मिशन डायरेक्टर की अनुमति आवश्यक होती है। लेकिन जगदलपुर निगम के अधिकारियों द्वारा बिना किसी अनुमति के स्वयं का स्वार्थ पूरा करने के लिए अलग से पीडीएमसी का चयन कर लिया गया।बिना अनुमति के कार्यादेश
    यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी कार्य के लिए तकनीकी अनुमति जरूरी होती है, तथा 1.50 करोड़ से अधिक के कार्य हेतु अधीक्षण अभियंता द्वारा तकनीकी स्वीकृती प्रदान की जाती है, किन्तु अमृत मिशन हेतु निकाय स्तर पर पीडीएमसी चयन के टेंडर हेतु किसी भी प्रकार से तकनीकी स्वीकृति नही ली गई तथा बिना स्वीकृति के ही टेंडर जारी कर कार्यादेश प्रदान कर दिया गया, जो कि गंभीर भ्रष्टाचार का विषय है। पीडीएमसी कार्य हेतु पुराणिक ब्रदर्स द्वारा जमा किए गए अधिकारियों के बायोडाटा में फर्जी अनुभव दिखाया गया है। 25 साल के व्यति को 22 वर्ष का अनुभव बताया गया है तथा अधिकारियों द्वारा फर्जी बायोडाटा के आधार पर तकनीकी मूल्यांकन कर दिया गया। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि तकनीकी मूल्यांकन को कार्यपालन अभियंता, नोडल अधिकारी स्तर के अधिकारी का अनुमोदन आवश्यक होता है किन्तु तकनीकी मूल्यांकन का सब इंजीनियर द्वारा अनुमोदन किया गया है। यह शासन के नियमों के विरुद्ध है। पुराणिक ब्रदर्स द्वारा टेंडर प्रक्रिया हेतु प्रदान किए गए बायोडाटा उच्च अनुभव वाले अधिकारियों का दिया गया था, किंतु साईट पर उन अधिकारियों को नियुक्त नहीं की गई। टेंडर के दिशा- निर्देशानुसार टेंडर में दिए गए बायोडाटा वाले ही अधिकारियों को नियुक्त किया जाना था।

    भुगतान में भी फर्जीवाड़ा
    टेंडर के दिशा-निर्देशानुसार अमृत मिशन के कार्य हेतु पुराणिक ब्रदर्स को 7 अधिकारियों की नियुक्ति की जानी थी तथा निगम द्वारा पीडीएमसी के कार्य हेतु भुगतान नियुक्त किए गए अधिकारियों के अनुसार किया जाना था, मगर पुराणिक ब्रदर्स द्वारा 3 अधिकारियों की नियुक्ति करके 7 अधिकारियों की नियुक्ति का बिल प्रस्तुत किया जा रहा है, तथा इस मामले में निगम के अधिकारियों की चुप्पी भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रही है। पीडीएमसी हेतु जारी किए गए टेंडर में 3 ठेकेदारों ने क्वालीफाई की थी। सबसे कम लागत मेसर्स मार्स इंजीनियरिंग (1.33 करोड़) की थी, मगर भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों द्वारा अधिक लागत (1.71 करोड़) में कार्य पुराणिक ब्रदर्स को दिया गया। इस प्रकार अधिकारियों द्वारा ठेकेदार से मोटी रकम लेकर अधिक लागत में कार्य पुराणिक ब्रदर्स को दिया गया।

    अधिकारी-एजेंसी मालामाल
    निगम के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की वजह से 2016 की योजना 8 साल बाद भी पूर्ण नही हो सकी है तथा जनता को अभी तक शुद्ध पेयजल नही मिल रहा है। तथा योजना कब तक पूर्ण होगी ये भी बताने से अधिकारी बच रहे है। लेट-लतीफी के परिणाम स्वरूप 104 कराेड़ की परियाेजना की लागत वर्तमान में 150 कराेड़ तक पंहुच गई है। यह फर्जीवाड़ा काे प्रमाणित करता है। नगर पालिक निगम के एसडीओ एवं अमृत मिशन प्रभारी अमर सिंह ने नगर पालिक निगम जगदलपुर द्वारा बिना किसी अनुमति के अलग पीडीएमसी एजेंसी के रूप में मेसर्स पुराणिक ब्रदर्स का चयन करने के संबंध में कहा कि संचनालय से इसकी अनुमति के बाद नियुक्त किया गया है। वहीं अन्य खामियाें के संबंध में उन्हाेने कहा कि फाईल देखकर ही कुछ कहा जा सकता है।