- गांव में कैंप खुलने से बौखलाए नक्सलियों ने की मासूम छात्र की हत्या
- हफ्तेभर पहले मार डाला था छात्र के बड़े भाई को
-अर्जुन झा-
जगदलपुर हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम यानि सारा विश्व एक परिवार की अवधारणा का पक्षधर रहा है। वहीं हमारे छत्तीसगढ़ के गांवों में तो पूरे गांव के लोग एक परिवार की तरह रहने, एक दूसरे के सुख दुख में साथ देने का काम करते हैं, मगर नक्सलियों को इस सामाजिक तानेबाने पर शायद यकीन नहीं है। यही वजह है कि कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव के एक मासूम छात्र को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया है। इसके हफ्तेभर पहले इस छात्र के बड़े भाई को भी नक्सलियों ने मौत की नींद सुला दी थी। ये दोनों भाई भले ही हिड़मा के सगे संबंधी नहीं रहे होंगे, मगर गांव के चलन के मुताबिक छोटे भाई, भांजे अथवा भतीजे जरूर रहे होंगे। क्या अपनों के कत्ल से हिड़मा का दिल नहीं पसीजा होगा, अंतर आत्मा नहीं कांप उठी होगी, या फिर उसकी जमीर मर चुकी है?
पुलिस के मोस्ट वांटेड कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में सुरक्षा बल का कैंप स्थापित किए जाने और एक के बाद एक नक्सलियों के मारे जाने एवं लगातार उनके आत्मसमर्पण से नक्सली बौखला उठे हैं और इसी बौखलाहट में वे निरीह आदिवासियों की निर्मम हत्याएं करने लगे हैं। यहां तक कि मासूम बच्चों की भी हत्या करने से वे बाज नहीं आ रहे हैं। नक्सलियों ने मंगलवार को 17 वर्षीय स्कूली छात्र सोयम शंकर को मार डाला। इससे एक सप्ताह पहले इसी गांव में सोयम शंकर के भाई सोयम सीताराम को भी नक्सलियों ने मार डाला था। सोयम शंकर पालनार में रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसकी भाभी का निधन हो गया था और उसके अंतिम कर्म में शामिल होने पूवर्ती आया था। पूवर्ती से पालनार लौटते समय नक्सलियों ने शंकर दौड़ा दौड़कर मार डाला। एक गरीब आदिवासी बेटा चीखता चिल्लाता रहा, अपनी जान की भीख मांगता रहा, मगर नक्सलियों को उस पर जरा भी तरस नहीं आई। एक सप्ताह में एक ही परिवार के दो सगे भाईयों को जान से मार डालने की घटना के बाद उनके पिता सोयम धुड़वा ने परिवार सहित गांव छोड़ दिया है। एसपी किरण चव्हाण ने घटना की पुष्टि की है। नक्सलियों के आधार क्षेत्र में सुरक्षा बल के लगातार बढ़ती पैठ, ग्रामीणों के मन में पुलिस और सुरक्षा बलों के प्रति बढ़ते अपनत्व भाव ने नक्सलियों की नींद उड़ा दी है। नक्सली अब अपना आधार बचाने निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं।
कर देंगे जड़ से खात्मा
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस से 48 घंटे पहले 16 वर्षीय स्कूली छात्र की हत्या कर नक्सली क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखाना चाह रहे हैं, पर नक्सलियों के कुत्सित इरादों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। जनवरी से लेकर अब तक बस्तर में सुरक्षा बलों ने 100 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है, इस बौखलाहट में अब नक्सली ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं। सुरक्षा बल नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने तैयार हैं और शीघ्र ही नक्सलियों का समूल सफाया कर दिया जाएगा।
दौड़ा दौड़कर मारा छात्र को
सात दिन पहले सोयम धुड़वा की बहू की मृत्यु हुई हो गई थी। धुड़वा का बेटा सोयम शंकर पालनार स्थित अपनी चाची के घर में रहकर पढ़ाई कर रहा था और भाभी के मृत्यु संस्कार में सम्मिलित होने के लिए पूवर्ती गांव आया हुआ था। अंतिम कार्यक्रम निपटने के बाद सोयम शंकर वापस पालनार लौट रहा था। इसी दौरान पूवर्ती और टेकलगुड़ा के बीच नक्सलियों ने शंकर को घेर लिया और उसे दौड़ा -दौड़ाकर जान से मार दिया। ग्रामीणों ने इस घटना को निंदनीय बताते हुए कहा है कि पुलिस मुखबिरी का झूठा आरोप लगाकर निर्दोष आदिवासी बच्चों को नक्सलियों ने मारा है।
ये कैसे आदिवासी हितैषी
नक्सली खुद को आदिवासियों का परम हितैषी बताते हैं। जल, जंगल, जमीन का हक आदिवासियों को दिलाने की लड़ाई लड़ने की बात कहते हैं। दूसरी ओर निरीह आदिवासियों और उनके मासूम बच्चों को लगातार मौत के घाट उतारते चले जा रहे हैं। नक्सली खुद तो तेंदूपत्ता ठेकेदारों और निर्माण कार्यों में लगे ठेकेदारों से लेव्ही वसूल कर अपना घर भर रहे हैं और गरीब आदिवासियों के घर का चिराग बुझा रहे हैं। नक्सली नेता हिड़मा खुद आदिवासी है। क्या उसे यह सब नहीं दिखता? सोयम शंकर और सोयम सीताराम हिड़मा के गांव पूवर्ती के ही गरीब आदिवासी बच्चे थे। सोयम सीताराम और सोयम शंकर भले ही हिड़मा के सगे रिश्तेदार नहीं रहे होंगे, मगर गांव की परंपरा के अनुसार वे हिड़मा के छोटे भाई, भतीजे या भांजे जरूर रहे होंगे। एक मासूम छात्र की निर्मम हत्या से क्या हिड़मा के दिल में थोड़ा भी दर्द नहीं उठा होगा, या फिर वह भी बाहरी नक्सलियों के रंग में रंग गया है?