धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू की जाए और खरीदी लक्ष्य हो 200 लाख मीट्रिक टन: दीपक बैज

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  •  दिखने लगी है भाजपा सरकार की लचर व्यवस्था

जगदलपुर कांग्रेस ने मांग की है कि धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू की जाए और खरीदी लक्ष्य 200 मिट्रिक टन किया जाए।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा है कि प्रदेश में अमूमन 1 नवंबर से धान की खरीदी शुरू होती है। इस बार बारिश अच्छी हुई है, फसल भी अच्छी है और पैदावार भी अधिक होने की संभावना है इसलिए सरकार इस वर्ष धान खरीदी 1 नवंबर से चालू करे तथा खरीदी का लक्ष्य भी बढ़ाकर 200 लाख मीट्रिक टन किया जाए। ताकि किसानों की पूरी पैदावार की खरीदी हो सके। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि धान खरीदी के लिए सरकार के द्वारा बनाई गई मंत्रीमंडलीय उप समिति ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। जिसके कारण किसानों में चिंता की लहर है। सरकार यदि 1 नवंबर से धान की खरीदी करती है तो उसके लिए अभी से तैयारी करनी पड़ेगी। तभी धान खरीदी सुचारू रूप से हो पाएगी।

पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि पिछले वर्ष खरीफ फसल 2023 के धान की खरीदी के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई थी। कांग्रेस की सरकार के सुशासन के कारण प्रदेश के किसानों के द्वारा इतिहास का सर्वाधिक धान उत्पादन किया गया। इसीलिए समर्थन मूल्य पर अब तक की सर्वाधिक 144 लाख 92 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई। जो अनुमानित मात्रा 130 लाख मीट्रिक टन से 15 लाख मीट्रिक टन अधिक थी। राज्य सरकार द्वारा धान की इस मात्रा के भंडारण, मिलिंग तथा चावल के उपार्जन एवं भंडारण की कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई। भारतीय जनता पार्टी की लचर सरकार के कुशासन के कारण इस संपूर्ण धान की न तो समय पर मिलिंग हुई और न ही खरीदी केंद्रों तथा संग्रहण केंद्रों पर बचे हुए धान की सुरक्षा एवं रखरखाव की समुचित व्यवस्था की गई। इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि सितंबर 2024 की स्थिति में धान खरीदी केंद्रों से 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान का उठाव तथा संग्रहण केंद्रों से 21 लाख 77 हजार 470 क्विंटल धान का उठाव नहीं किया जा सका है। खरीदी केंद्रों पर जो 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान शेष दिख रहा है वह पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, इस धान की कुल कीमत 166 करोड़ 56 लाख रूपए होती है। यह शुद्ध रूप से राष्ट्रीय क्षति है। संग्रहण केंद्रों में शेष धान 21 लाख 77 हजार 470 क्विंटल की कुल कीमत 870 करोड़ 99 लाख रूपए होती है, इसमें से भी अधिकांश धान पानी से डैमेज हो चुका है। इसलिए कस्टम मीलिंग के लिए राईस मिलर्स इसका उठाव नहीं कर रहे हैं। यदि उठाव नहीं होगा, तो इस वर्ष धान खरीदी में बाधा आएगी।