बस्तर जिले के मेला मड़ई में फिर चलने लगा खड़खड़िया जुए का खेल, पुलिस दे रही संरक्षण

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  • जुए के खेल में सरेआम लूटे जा रहे हैं ग्रामीण
  • खड़खड़ी वालों पर पुलिस वाले क्यों हैं मेहरबान 

अर्जुन झा

बकावंड बस्तर जिले में मेले मड़ई का दौर चल रहा है। इन मेला मड़ई में खड़खड़ी जुआ खिलाने वाले चांदी काट रहे हैं। चंद रुपयों के लोभ में पुलिस वाले उन्हें खुला संरक्षण देते नजर आ रहे हैं। खड़खड़ी जुए में यहां के ग्रामीण लूटे जा रहे हैं।

बस्तर जिले की करपावंड तहसील अंतर्गत सांवरा में रविवार को वार्षिक मेला मड़ई का आयोजन किया गया था। मड़ई के दौरान दो स्थानों पर खड़खड़ी जुआ खुलेआम चलता रहा। इन दोनों जगहों पर ग्रामीण बाजी लगाकर रुपए हारते रहे। किसान, मजदूर, युवा अपनी गाढ़ी कमाई जुए में लगाते रहे। मड़ई में शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस जवानों की भी ड्यूटी लगी थी, मगर वे जानबूझ कर अनजान बने रहे। ग्रामीणों का कहना है कि खड़खड़ी खेलाने वालों ने पहले ही पुलिस कर्मियों को सेट कर लिया था। मेले के अंदर दो अलग-अलग जगह पर जुआ खड़खड़िया खुलेआम चलाया जा रहा था। मेले का आनंद लेने आए अंचल के तमाम उम्र के लोगों का आकर्षण का केंद्र यही खड़खड़ी जुआ बना हुआ था। धान बेचने से मिली कमाई किसान चंद मिनट में लुटा देते रहे और फिर खाली हाथ घर लौटे। कई लोग जुआ में हारने के बाद निराशा के गर्त में चले जाते हैं और नशे का शिकार हो जाते हैं। नशा कर घर लौटते समय उनके साथ दुर्घटना हो जाती है अथवा घर में वाद विवाद की स्थिति पैदा होती है। इस बारे में थाने में पूछे जाने पर पुलिस कर्मियों ने मड़ई में खड़खड़ी जुआ चलने से साफ इंकार कर दिया। सांवरा पंचायत की मेला समिति के लोगों ने बताया कि इस मामले की करपावडं थाना को जानकारी भी दी गई थी और मेला स्थल में जुआ चलाने को लेकर कुछ लेन-देन का भी जिक्र सांवरा पंचायत व समिति वालों ने किया। ज्ञात हो कि बस्तर पुलिस अधीक्षक शलभ कुमार सिंहा के मार्गदर्शन में अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने हेतु उच्च स्तरीय प्रयास जारी हैं, किंतु अवैध गतिविधियों पर जानबूझकर मैदानी अमले द्वारा कार्रवाई नहीं की जाती। ज्ञात हो कि पूरे बस्तर संभाग के ग्रामीण इलाकों में मड़ई के दौरान खड़खड़ी जुआ चलाने वाले तत्व सक्रिय हो जाते हैं। जुआ खिलाने वाले ज्यादातर लोग पड़ोसी राज्य ओड़िशा से आते हैं तथा कुछ स्थानीय भी होते हैं। इन लोगों की मड़ई ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों को अच्छी खासी रकम दे दी जाती है, जिसकी वजह से वे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते।