नक्सलियों का दावा-20 वर्षों में 4464 हमलों में मारे गए 2958 जवान और 294 माओवादियों की मौत
पहली बार नक्सलियों ने जारी किया बीस वर्षों का ब्योरा, एक साल तक पीएलजीए वर्षगाठ का किया ऐलान
बीजापुर:–बीजापुर। पुलिस और सुरक्षा बलों की घेराबंदी के बीच अपने आधार इलाकों में सिमट चुके माओवादियों ने पैठ मजबूत रखने आंकड़ों के जरिए संगठन की जमीनी हकीकत की पड़ताल में जुटे हैं। इसका खुलासा माओवादियों की केंद्रीय कमेटी की तरफ से जारी उस प्रेस नोट में हुआ है, जिसमें बीते 20 वर्षों में बस्तर में सक्रिय नक्सलवादियों की तरफ से किए गए हमलों, सफलता-अफसलता का ब्योरा रखने की कोशिश की गई है। जिसमें केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय के हवाले से जारी प्रेसनोट में बीते बीस सालों में बस्तर में हुए नक्सली हमलों में नक्सलियों ने पुलिस व सुरक्षा बलों को अधिक और नक्सली संगठन को नुकसान कम होने का दावा किया है। दरअसल बस्तर में पिछले पांच दशकों से चल रहे माओवादियों के खूनी खेल के बीच अब माओवादियों द्वारा 2 दिसंबर 2020 से लेकर 1 दिसंबर 2021 तक लगातार एक साल तक पीएलजीए यानि माओवादियों के पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी के स्थापना के 20 वीं वर्षगांठ मनाने का ऐलान किया है।
वही दूसरी ओर माओवादियों के केंद्रीय कमेटी द्वारा एक प्रेसनोट और पर्चा जारी कर पिछले बीस वर्षों में जवानों पर किए गए हमलों के अलावा अन्य लोगों की हत्याओं समेत 20 वर्षों में मारे गए माओवादियों के आंकड़ों का ब्योरा सार्वजनिक किया है। माओवादियों द्वारा जारी पर्चे में पीएलजीए द्वारा अंजाम दिए गए घटनाओं का उल्लेख करते हुए जवानों से लूटे गए हथियारों समेत कारतूसों का विवरण पर्चे में दिया गया है। माओवादियों द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के तहत् सन 2001 से लेकर सितंबर 2020 तक माओवादियों की गुरिल्ला आर्मी द्वारा जवानों पर छोटी और बड़े हमले मिलाकर 4464 हमले किए गए। माओवादियों के अनुसार इन हमलों में कुल 2958 जवान मारे गए हैं तो वही 3507 जवानों के घायल होने का दावा किया गया है। जबकि इन 20 सालों में माओवादी संगठन द्वारा 294 नक्सल सदस्यों के मारे जाने का दावा किया गया है। माओवादियों के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने एक प्रेस नोट जारी कर 26 नवंबर को प्रस्तावित अखिल भारतीय हड़ताल को समर्थन देने की बात करते हुए केंद्र सरकार को जनविरोधी मजदूर, कर्मचारी और किसान विरोधी सरकार करार दिया है।
साथ ही 2 दिसंबर से पीएलजीए की 20 वीं वर्षगांठ मनाने की बात का उल्लेख करते हुए एक आंकड़ा प्रस्तुत किया गया है। जिसमें पिछले 20 वर्षों के नफा और नुकसान का ब्योरा दिया गया है। पर्चो के अनुसार जवानों पर अब कि 4464 हमले किए गए। साथ ही राजनीति से जुड़े 222 राजनेताओं की हत्या करने के साथ ही मुखबिरी के नाम पर 1105 संगठन से गद्दारी करने वाले 143 और सलवा जुडूम समेत अन्य संगठन जो नक्सल संगठन की खिलाफत करते थे इनमें से 516 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी माओवादियों ने ली है, इसके अलावा जवानों पर किए गए हमलों के बाद 2308 हथियार और करीब डेढ़ लाख से अधिक कारतूस बरामद करने का खुलासा माओवादियों द्वारा किया गया है। वही इन 20 वर्षों में विभिन्न मुठभेड़ों के दौरान नक्सल संगठन से जुड़े 294 माओवादियों के मारे जाने का खुलासा भी किया गया है, जिनमें सर्वाधिक 2018 में 42, 2019 में 16, 2020 में सितंबर तक 11,2017 में 17, 2016 में 19, 2013 में 25,2011 में 26, 2010 में 28, 2009 में 15, 2008 में 19और 2007 में 23 माओवादियों के मारे जाने की बात कही गई है। विदित हो कि पहली बार माओवादियों द्वारा एक साथ 20 वर्षां का आंकड़ा जारी किया गया है, जिसमें जवानों पर हमलों के साथ -साथ स्वयं के नुकसान और हथियारों की लूट समेत राजनेताओं की हत्याओं का जिक्र किया गया है, साथ ही संगठन के खिलाफ जाने वाले और माओवादियों का विरोध करने वालों की हत्याओं का जिक्र करते हुए 20 वर्षों की तमाम घटनाओं की जिम्मेदारी ली गई है। साथ ही पहली बार एक साल तक वर्ष गांठ मनाने की अपील भी की गई है।
बॉक्स
वहीं दूसरी ओर इस मामले में बीजापुर एसपी कमलोचन कश्यप का कहना है कि सुरक्षा बल के जवानों के हांथो पिछले 20 वर्षों में माओवादियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है बावजूद विभिन्न मुठभेड़ों में मारे गए माओवादियों के आंकड़ों को नक्सल संगठन द्वारा छुपाया जा रहा है साथ ही मुठभेड़ों में घायल होने वाले माओवादियों की संख्या भी नहीं उल्लेख नही किया गया है,जबकि हमेशा खासकर बस्तर में सुरक्षा बल के जवान नक्सलियों पर भारी रहे हैं और जब भी आमने सामने की लड़ाई होती है तो नक्सली पीठ दिखा कर भाग जाते हैं ऐसे में माओवादियों द्वारा जारी किये गए आंकड़े महज स्वयं की क्षति को छुपाने मात्र की कोशिश है।