- केशकाल से टेकाम को प्रत्याशी बनाए जाने पर भाजपा में उठने लगा सवाल
अर्जुन झा
जगदलपुर बस्तर संभाग में भाजपा के टिकट वितरण को लेकर कोहराम मच गया है। चुनाव आते तक क्या हाल होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसा ही आलम केशकाल सीट पर देखने को मिल रहा है। इस सीट पर भाजपा ने पूर्व आईएएस अधिकारी नीलकंठ टेकाम को प्रत्याशी घोषित किया है। उन्हें टिकट दिए जाने से नाराज पुराने कार्यकर्त्ता सवाल उठा रहे हैं कि क्या हम भाजपा में सिर्फ दरी बिछाने और उठाने के लिए ही हैं?
भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए जारी पहली लिस्ट में 21 प्रत्याशी घोषित किए गए हैं। इस लिस्ट में बस्तर विधानसभा सीट से मनीराम कश्यप का नाम रहा है। हालांकि मनीराम कश्यप का कहना है कि उन्होंने पार्टी से कभी भी टिकट की मांग नहीं की थी, फिर भी उन्होंने अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। वे गांव गांव में लगातार जनसंपर्क कर रहे हैं। बस्तर संभाग से दूसरे पार्टी प्रत्याशी नीलकंठ टेकाम के नाम की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह ने उनसे मिलने रायपुर गए केशकाल के कार्यकर्त्ताओं के बीच की। उन्होंने कार्यकर्त्ताओं को बताया कि नीलकंठ टेकाम को भाजपा ने केशकाल विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। वहां मौजूद कार्यकर्त्ताओं ने हालांकि श्री टेकाम को प्रत्याशी बनाए जाने का करतल ध्वनि के साथ स्वागत किया। तब वहां नीलकंठ टेकाम भी मौजूद थे। सूत्र बताते हैं कि श्री टेकाम को टिकट दिए जाने से पार्टी के पुराने कार्यकर्त्ताओं का बड़ा तबका नाराज है। इनमें कई ऐसे नेता भी शामिल हैं, जो इस सीट से टिकट के लिए उम्मीद लगाए बैठे थे। इन नेताओं का दर्द अब छलककर बाहर भी आने लगा है। उनका कहना है कि भाजपा में क्या हम सिर्फ दरियां बिछाने, उन्हें समेटने और बाहर से आने वाले नेताओं को चाय नाश्ता परोसने भर के लिए हैं? इन नेताओं का यह दर्द और सवाल लाजिमी भी है, क्योंकि वे दशकों से भाजपा की सेवा करते आ रहे हैं। उस दौर में जबकि केशकाल में भाजपा का कोई नामलेवा भी नहीं था, तब इन कार्यकर्त्ताओं ने जी तोड़ मेहनत कर वहां भाजपा की जड़ें मजबूत की। जब पार्टी में पद देने और चुनाव की बारी आती है, तब ऐसे समर्पित नेताओं के योगदान को बिसरा दिया जाता है।
आगे – आगे देखिए होता है क्या ?
बस्तर में वैसे भी कांग्रेस ने भाजपा की चुलें हिलाकर रख दी हैं। संभाग की सभी बारह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। ऊपर से अब भाजपा के जमीनी कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी रही सही कसर पूरी कर देगी। अभी टिकट वितरण के दौर में ही कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी फूट पड़ रही है, चुनाव आते तक स्थिति कैसी रहेगी, इसका अहसास अभी से होने लगा है। लगता नहीं कि ये नाराज नेता व कार्यकर्त्ता पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में खुले मन से काम कर पाएंगे। हो सकता है भाजपा प्रत्याशी को भितरघात के खतरे का भी सामना करना पड़े। खैर हम तो बस इतना ही कह सकते हैं कि आगे आगे देखिए होता है क्या?
कौन हैं नीलकंठ टेकाम ?
नीलकंठ टेकाम कांकेर जिले के अंतागढ़ ब्लॉक के मूल निवासी और सेवनिवृत आईएएस अधिकारी हैं। उनकी प्रारंभक शिक्षा अंतागढ़ ब्लॉक में हुई। कॉलेज की पढ़ाई करने वे कांकेर में आकर हॉस्टल में रहने लगे। यहीं से उनकी राजनैतिक यात्रा की शुरुआत हुई। हॉस्टल में रहते हुए ही श्री टेकाम ने छात्रसंघ चुनाव लड़ा और वे सन 87-88 में महाविद्यालयीन छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। शिक्षा पूरी करने के बाद नीलकंठ नेताम प्रशासनिक सेवा में चयनित हो आईएएस अधिकारी बन गए। रिटायरमेंट के बाद हाल ही में वे भाजपा में शामिल हुए थे। पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्त्ताओं को इसी बात का मलाल है। उनका कहना है कि पार्टी में कल के आए व्यक्ति को टिकट से नवाजा गया है और पुराने कार्यकर्त्ताओं की उपेक्षा की गई है।