दल्ली राजहरा – लौह अयस्क खदान समूह के डिप्लोमा इंजीनियर की बैठक 22 नवंबर को साहू सदन दल्ली राजहरा में हुई। डिप्लोमा इंजीनियर को चिदंबर राव, राजेश कुमार साहू , मोहिद शफी, रवि नारायण राव, बी के मिश्रा, रवि शंकर देशमुख, रामपाल, डी एस चौहान, महेश खोड़के, ए के राजोरिया, सी एल लहरें , पी एस पटेल, मनोज कुमार भोई, वेंकट महिलांगे , राजकुमार मुंडा ने संबोधित किया।
डिप्लोमा इंजीनियरों ने एक सुर में कहा कि प्रबंधन पदनाम और केरियर ग्रोथ के मुद्दे पर डिप्लोमा इंजीनियरों का शोषण कर रही है। प्रबंधन को यह जानना चाहिए कि यह मुद्दा कहीं ना कहीं हमारे सामाजिक सम्मान एवं प्रतिष्ठा से जुड़ा है। देश के अन्य संस्थानों में अपने ही बराबर योग्यता वाले अन्य साथियों से पदनाम एवं प्रमोशन में पीछे होने के कारण इस वर्ग के कर्मचारियों के साथ उनके परिवार भी बहुत दुखी हैं, क्योंकि किसी व्यक्ति के तरक्की में उसके परिवार की भी खुशी छुपी होती है।
राजेश कुमार साहू ने कहा कि आज सेल में डिप्लोमा इंजीनियर की स्थिति यह है कि जूनियर को डिग्रेड करके S-3 ग्रेड में ज्वाइन कराया जा रहा है, एवं उनका पदनाम सम्मानजनक नहीं है। साथ ही जो वरिष्ठ डिप्लोमा इंजीनियर है वह वर्कर के अधिकतम ग्रेड S-11 में 8 से 10 वर्ष से रुके हुए हैं। उसके आगे ग्रेड भी नहीं है। उन्हें आर्थिक क्षति भी हो रही है। कुछ डिप्लोमा इंजीनियर की अभी भी 5 से 10 वर्षों की सेवा अवधि बची हुई है। प्रबंधन डिप्लोमा इंजीनियर को जवाबदारी तो पूरी दे रहा है, लेकिन जहां डिप्लोमा इंजीनियर को कुछ देने की बात आती है तो यह कह कर टाल देता है कि यह मामला कारपोरेट ऑफिस का है।
डिप्लोमा इंजीनियर को सम्मानजनक पदनाम ना मिलने के कारण यह लोग हतोत्साहित हो रहे हैं, और उनमें आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि हम डिप्लोमा इंजीनियर को आज ग्रैजुएट इंजीनियर के प्रारंभिक पद पर लगभग 10 वर्षों में पहुंचना चाहिए था वह आज 25- 30 वर्ष बाद भी वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। अभी भी लोगों के 5 से 10 वर्ष बचे हुए हैं। जबकि इतने वर्षों में देश के किसी भी संस्थान में ऐसा नहीं होता है पर इसके बारे में कोई नहीं सोच रहा है। इसलिए पदनाम और कैरियर ग्रोथ के मुद्दे पर हड़ताल में शामिल होने के लिए ना चाहते हुए भी मजबूर हैं।
उन्होंने आगे कहा कि हम डिप्लोमा इंजीनियर को आज ग्रैजुएट इंजीनियर के प्रारंभिक पद पर लगभग 10 वर्षों में पहुंचना चाहिए था वह आज 25- 30 वर्ष बाद भी वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। अभी भी लोगों के 5 से 10 वर्ष बचे हुए हैं। जबकि इतने वर्षों में देश के किसी भी संस्थान में ऐसा नहीं होता है पर इसके बारे में कोई नहीं सोच रहा है। इसलिए पदनाम और कैरियर ग्रोथ के मुद्दे पर हड़ताल में शामिल होने के लिए ना चाहते हुए भी मजबूर हैं।
महेश खोड़के और रवि नारायण ने कहा कि हम चाहते हैं :-
(1). सन 2017 में इस्पात मंत्रालय द्वारा जूनियर इंजीनियर पदनाम एवं कैरियर ग्रोथ (प्रमोशन) अन्य संस्थानों की तरह लागू करने के आदेश के बावजूद भी प्रबंधन द्वारा लटकाया जा रहा है. डिप्लोमा इंजीनियरों ने स्पष्ट कहा कि पदनाम और कैरियर ग्रोथ नहीं तो एक दिवसीय हड़ताल में शामिल होने के पश्चात आगे अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए भी बाध्य होंगे।
(2). सेल चेयरमैन श्री अनिल कुमार चौधरी ने नए वर्ष 2020 की शुभकामना बधाई संदेश में यह घोषणा की थी कि कर्मचारियों को सम्मानजनक पद जल्द दे दिया जाएगा लेकिन यह वर्ष भी समाप्ति की ओर है और उच्च प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों को सम्मानजनक पदनाम नहीं दिया जा रहा है।
ए के राजोरिया और आर. एस. देशमुख ने कहा कि यहां पर उपस्थित सभी डिप्लोमा इंजीनियरों ने भी यह बात स्पष्ट कहा कि सबसे ज्यादा समस्या प्रबंधन की डिप्लोमा इंजीनियर के प्रति विरोधी नीतियों से है, जो कि समझ से परे है कि डिप्लोमा इंजीनियर को जब देश में सभी संस्थानों में चाहे वह पब्लिक सेक्टर हो या प्राइवेट सेक्टर या गवर्नमेंट सभी जगह जब जूनियर इंजीनियर पदनाम (ज्वाइनिंग से ही) मिल रहा है साथ ही जैसी प्रमोशन पॉलिसी सब जगह है हम लोग भी तो वही मांग रहे हैं हम कोई अलग से नहीं मांग रहे, कुछ अधिक नहीं मांग रहे हैं फिर भी इस प्रकार से लटकाना कहीं ना कहीं कंपनी का नुकसान करना ही दर्शाता है। जबकि हम डिप्लोमा इंजीनियर हमारी पूरी क्षमता के साथ कंपनी के प्रत्येक जिम्मेदारी को लेते हुए उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना सर्वोच्च लगा दे रहे हैं। यदि प्रबंधन हमें सम्मानजनक पदनाम जल्द नहीं देता है तो आने वाले समय में डिप्लोमा इंजीनियर उग्र कदम उठाने के लिए बाध्य होंगे जिसकी पूरी जवाबदारी उच्च प्रबंधन की होगी।
चिदंबर राव
राजेश साहू ने इस्पात मंत्रालय द्वारा 1 मई 2017 को जारी एक आदेश (No. 8(37)/2016-SAIL-PC, Government of India, Ministry of Steel, SAIL Division, Udyog Bhavan, New Delhi) की प्रति दिखाते हुए कहा कि इस आदेश में साफ-साफ लिखा गया है कि SAIL के डिप्लोमा इंजीनियर को BHEL और BSNL की तर्ज पर जूनियर इंजीनियर पदनाम प्रदान किए जाने की कार्यवाही की जावे, किन्तु इस्पात मंत्रालय के इतने स्पष्ट आदेश के बावजूद डिप्लोमा इंजीनियर को आज तक जूनियर इंजीनियर पदनाम नहीं दिया गया है, जो दिखाता है कि प्रबंधन इस्पात मंत्रालय के आदेश को भी नकारता रहा है, जिसके कारण डिप्लोमा इंजीनियर्स काफी हतोत्साहित हुए हैं। लौह अयस्क खदान समूह के डिप्लोमा इंजीनियर्स द्वारा सम्मानजनक पदनाम न दिए जाने के मुद्दे को इस्पात मंत्री के समक्ष उठाने का निर्णय ले चुके हैं और जल्द ही इस्पात मंत्री को इस संबंध में ज्ञापन देंगे।