- कलेक्टर, सीईओ के निर्देश का सख्ती से पालन
जगदलपुर बस्तर जिले में एजुकेशन सिस्टम की सेहत सुधारने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल स्पेशलिस्ट डॉक्टर की भूमिका में आ आ गए हैं। डॉ. बघेल अब खुराफाती शिक्षकों की तगड़ी सर्जरी भी करने लगे हैं। डीईओ बलिराम बघेल को हमने डॉ. बघेल की उपमा इसलिए दी है, क्योंकि वे अपने विभाग को रोगमुक्त बनाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने दो शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि ये दोनों शिक्षक शराब पीकर स्कूल पहुंचते थे।
बस्तर कलेक्टर हरिस एस और जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन के निर्देशानुसार जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल जिले में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने, स्कूलों में उत्कृष्ट शैक्षणिक माहौल बनाने और बच्चों में शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने लगातार प्रयासरत हैं। वे अनवरत रूप से स्कूलों का निरीक्षण करते हैं, शिक्षक शिक्षिकाओं को कर्तव्य बोध कराने तथा ग्रामीणों को शालाओं से जोड़ने के लिए हर तकनीक अपनाते हुए काम कर रहे हैं।जिला शिक्षा अधिकारी बलिराम बघेल के प्रयासों की झलक भी अब देखने को मिलने लगी है। कब किस स्कूल में श्री बघेल सर्जिकल स्ट्राइक कर दें, किसी को पता नहीं रहता।. कभी वे जगदलपुर ब्लॉक के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में जा धमकते हैं तो कभी किसी विकासखंड शिक्षा कार्यालय में पहुंच जाते हैं। वे कभी बास्तानार, तोकापाल, दरभा जैसे संवेदनशील विकासखंडों की शालाओं में तो कभी बकावंड जैसे मैदानी विकासखंड के स्कूलों में दबिश दे देते हैं। अपने सीनियर ऑफिसर की इस छापमार कार्यशैली के चलते शिक्षक शिक्षिकाओं की भी कार्यशैली और ढर्रे में बदलाव होता नजर आ रहा है। जिले की कई शालाओं की शिक्षा व्यवस्था बीमारू हो चली थी। विशेषज्ञ डॉक्टर की तरह डीईओ बीआर बघेल ने इस बीमारी को दूर करने का बीड़ा उठाया है। वे बीमारी की जड़ पर सर्जिकल स्ट्राइक करने लगे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने बकावंड
विकासखंड की प्राथमिक शाला ढोढरेपाल के एल. बी. संवर्ग सहायक शिक्षक गोपाल कृष्ण पाणिग्रही और जगदलपुर विकासखंड की प्राथमिक शाला धनपूंजी के सहायक शिक्षक रामबली धुर्वे को निलंबित कर दिया है। शिक्षक गोपाल कृष्ण पाणिग्रही को विकासखंड शिक्षा कार्यालय बकावंड में और शिक्षक रामबली धुर्वे को विकासखंड शिक्षा कार्यालय जगदलपुर में अटैच किया गया है। आरोप है कि ये दोनों शिक्षक ड्यूटी अवधि में शराब पीकर स्कूल पहुंचते थे। उनके इस आचरण से बच्चों की मनोस्थिति पर विपरीत असर पड़ रहा था और शिक्षक पद की गरिमा भी धूमिल हो रही थी। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने अधीन सभी बीईओ, संकुल प्रचार्यों, खंड स्त्रोत समन्वयकों, प्रचार्यों और प्रधान पाठकों को ताकीद कर रखी है कि शिक्षा के मंदिरों को कभी कलंकित न होने दें, सभी कार्यालय व स्कूल समय पर खुलें और बंद हो। इसमें लापरवाही हरगिज बर्दाश्त नहीं की जाएगी।