अब खुलेगी लोनिवि दुर्ग मंडल के चीफ इंजीनियर बघेल की प्रयोगशाला की पोल

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  •  सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई के तहत मांगी पूरी जानकारी 
  • लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला
  • साय सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे हैं ईएनसी 

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन और सरकार की स्वच्छ छवि पर बट्टालगाने वाले लोक निर्माण विभाग दुर्ग मंडल के चीफ इंजीनियर बघेल द्वारा चलाई जा रही भ्रष्ट्राचार की प्रयोगशाला की पोल जल्द खुलने वाली है। अवैध कमाई का केंद्र बन चुकीइस प्रयोगशाला की कुंडली जल्द खुल सकती है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर इस तथाकथित प्रयोगशाला की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी मांगी है।

लोक निर्माण विभाग दुर्ग मंडल के चीफ इंजीनियर ने विभाग के कार्यालय परिसर में एक प्रयोगशाला खोल रखी है, जिसका इंचार्ज महिला सब इंजीनियर नर्मदा रामटेके को बनाया गया है। इस प्रयोगशाला के माध्यम से नवनिर्मित सड़कों की जांच के नाम पर से ठेकेदारों को परेशान ओर ब्लैकमेल करने तथा उनसे उगाही करने का खुला खेल चल रहा है। यह मामला सामने आने पर अब सूचना के अधिकार के तहत लोग उसकी जानकारी लेने सामने आ रहे हैं। अब लगता है कि चीफ इंजीनियर का काला चिट्ठा और कारनामे जल्द सामने आ जाएंगे। इस प्रयोगशाला में सड़कों के निर्माण में प्रयुक्त मटेरियल्स की जांच के बहाने ठेकेदारों को प्रताड़ित करने और उनसे उगाही करने का खुला खेल चल रहा है। चीफ इंजीनियर बघेल द्वारा विष्णु देव साय सरकार के सुशासन का गला घोंटने और सरकार की साख पर बट्टा लगाने का काम किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के दुर्ग मंडल के अंतर्गत सड़क और अन्य निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार इस प्रयोगशाला की कार्यप्रणाली से खासे परेशान हैं। चीफ इंजीनियर ने इस प्रयोगशाला का इंचार्ज सब इंजीनियर नर्मदा रामटेके को बना रखा है। चीफ इंजीनियर बघेल प्रयोगशाला इंचार्ज नर्मदा रामटेके के जरिए ठेकेदारों के माध्यम से निर्मित सड़कों को खोदकर प्रयुक्त मटेरियल्स के सेंपल मंगाकर उनकी तथाकथित जांच इस प्रयोगशाला में कराने के बहाने संबंधित ठेकेदारों से मोटी रकम की उगाही करते हैं। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों से लेनदेन की जिम्मेदारी भी प्रयोगशाला प्रभारी नर्मदा रामटेके ही सम्हालती हैं। ठेकेदारों को यह डर दिखाया जाता है कि चीफ इंजीनियर बघेल से सीधे डील करने पर बात बिगड़ सकती है। वस्तुतः सारा खेल चीफ इंजीनियर बघेल ही पर्दे के पीछे रहकर खेलते हैं। आखिर में प्रयोगशाला इंचार्ज नर्मदा रामटेके के माध्यम से ही लेनदेन कर मामला सुलझा लिया जाता है। इसके बाद न कोई रिपोर्ट बनती है और सड़क की गुणवत्ता भी सही साबित हो जाती है। भ्रष्टाचार की इस प्रयोगशाला को बेतहाशा कमाई का जरिया बना लिया गया है।

यहां नहीं है सुशासन

विष्णु देव साय सरकार सुशासन और जीरो टॉलरेंस की बात करती है, मगर लोक निर्माण विभाग में न सुशासन की झलक नजर आती है और न जीरो टॉलरेंस का कहीं अता पता है। चीफ इंजीनियर बघेल साय के सुशासन की धज्जियां उड़ाने और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की स्वच्छ छवि पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दुर्ग मंडल में दर्जनों ठेकेदार विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और ज्यादातर ठेकेदार एक ही खदान से गिट्टी, रेत लेते हैं। डामर सीमेंट भी वे कमोबेश एक ही कंपनी का इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद एक सड़क के निर्माण में लगे मटेरियल सही पाए जाते हैं और दूसरे में गुणवत्ता विहीन मिलते हैं। इसीलिए ही इस मंडल के कर्मचारी, अधिकारी और नागरिक इसे भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला कहने लगे हैं। प्रयोगशाला इंचार्ज नर्मदा रामटेके के तकनीकी ज्ञान पर भी सवालों के दायरे में है। नर्मदा रामटेके पीडब्ल्यूडी में एक सब इंजीनियर हैं और उन्हें प्रयोगशाला इंचार्ज बना दिया गया है। जबकि निर्माण कार्यों से जुड़े विभाग की प्रयोगशाला में मेटल साइंस के ज्ञाता इंजीनियर को इंचार्ज बनाया जाना चाहिए। दूसरा सवाल यह भी है कि जब लोक निर्माण विभाग नवनिर्मित सड़कों के पांच साल तक रख रखाव का जिम्मा भी ठेकेदारों को देता है और ठेकेदार भी यह जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं, तो फिर पांच साल की अवधि के बीच में ही ठेकेदारों को गुणवत्ता जांच के नाम पर परेशान क्यों किया जाता है? जाहिर सी बात है सिर्फ वसूली ही चीफ इंजीनियर का ध्येय रहता है। विष्णु देव साय सरकार को ऐसे अधिकारी पर लगाम लगाकर अपनी सुशासन वाली छवि को दागदार होने से बचाना होगा।