कथित माओवादी हमलें मामले में पुलिस के हाथ खाली…भिलाई की कंट्रक्शन कंपनी पर क्यों मेहरबान नगरनार पुलिस, छोटे अपराधों पर तत्परता किंतु बड़े पर कार्रवाई से परहेज़

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जगदलपुर। केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) की निर्माणाधीन स्टील प्लांट में कार्यरत भिलाई के कंट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार पर नगरनार पुलिस क्यों मेहरबान है उसको लेकर अफवाहों का बाजार गर्म है जबकि छोटे अपराधियों को पकड़कर स्वयं नगरनार पुलिस अपनी पीठ थपथपाने से भी गुरेज नहीं करती है। ज्ञात हो कि कथित माओवादी हमलें की कहानी स्वयं एक ठेकेदार ने रची थी और बस्तर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए थे।

बस्तर जिले के नगरनार स्टील प्लांट में भिलाई की कंट्रक्शन कंपनी द्वारा कई निर्माण कार्य किये और कार्य को अधूरा छोड़ कर ठेकेदार द्वारा अक्टुबर-नवम्बर 2020 में झूठी पटकथा लिखकर स्टील प्लांट में माओवादियों का झूठा हमला की कहानी लिखकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की किन्तु भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी व बस्तर पुलिस अधीक्षक दीपक झा ने इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच कमेटी गठित की किंतु जांच कमेटी की रिपोर्ट क्या हुई उसको लेकर नगरनार पुलिस संदेह के दायरे में हैं कहीं ठेकेदार से मिलीभगत तो नहीं है। ज्ञात हो कि अक्टुबर-नवम्बर माह में प्रादेशिक मिडिया में जमकर हल्ला मचा था और बस्तरवासी खासकर प्लांट में कार्यरत अन्य कंट्रक्शन कंपनी खौफजदा थी तथा अभी भी दहशत में हैं उसके बावजूद पुलिस का रवैया समझ से परे हैं क्योंकि छोटे प्रकरणों पर तत्काल कार्यवाही करने वाले हाईप्रोफाइल मामले में क्यों आंखें बंद कर बैठे हैं। यहां उल्लेखनीय है कि बस्तर माओवादी मामले में संवेदनशील है और नगरनार स्टील प्लांट क्षेत्र से 10-15 किलोमीटर दूर तिरिया गांव में माओवादियों ने कई लोगों को हलाक कर दिया है और सुरक्षा दृष्टि से कैंप व चौकी लगाएं गयें हैं फिर भी अतिसंवेदनशील प्रकरण पर कार्रवाई नहीं हो रहा है।