अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, नारी शक्ति उपलब्धियों का पर्व

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8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत आज से करीब एक सदी पहले समाजवादी आंदोलनों से हुई थी। आज इसका स्वरुप बदल चुका है। दुनिया के हर हिस्से में महिला दिवस अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरूआत आज से 112 वर्ष पहले यानी साल 1908 में हुई थी। जब अमेरिका के न्यूयार्क शहर में करीब 15000 महिलाएं सड़कों पर उतरी थी ये महिलाएं काम के कम घंटो, बेहतर तनख्वाह और वेटिंग के अधिकार की मांग के लिए प्रदर्शन कर रही थी। महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन के एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी  पहले राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की घोषणा की। पहला अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में आस्ट्रिया,डेनमार्क,जर्मनी और स्विजरलैंड में मनाया गया। इसका शताब्दी समारोह वर्ष 2011 में मनाया गया था। इसलिए तकनीकी रूप से इस वर्ष हम 109 वां अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस माना रहे है। बैंगनी हरा और सफेद ये तीनों अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रंग है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन के अनुसार बैगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है। हरा रंग उम्मीद का रंग है और सफेद रंग को शुद्धता का सूचक माना जाता है। ये तीनों रंग 1908 में ब्रिटेन की वोमेन्स सोशल एंड पालिटिक्स युनियन ने तय किये थे। मुख्यतः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रही महिलाओं का सम्मान करने और उनकी उपलब्धियों का उत्सव  मनाने का दिन है। समाज की महिलाओं के अधिकार और उनकी स्थिति के बारे में वास्तविक संदेश देने में ये दिवस एक बड़ी भूमिका निभाता है।

हजारो फूल चाहिए,एक माला बनाने के लिए ।

हजारों दीपक चाहिए,एक आरती सजाने के लिए ।

हजारों बूद चाहिए, एक समुद्र बनाने के लिए ।

मगर एक स्त्री अकेली ही काफी है |

हर समाज,देश को स्वर्ग बनाने के लिए ।

तो आईए

सैल्यूट करते हैं समस्त नारी शक्ति को

और

इनके उल्लेखनीय योगदान के लिए

समस्त नारी शक्ति का नमन करते हैं…

काम करने के लिए उम्र बाधा नही…

सुश्री करीमणि नायडू : अध्यक्ष महात्मा गांधी बाल कल्याण संस्थान कार्य करने का जुनून हो तो उसने उम्र बाधा नहीं बन सकती इस इस बात को यथार्थ करती है लगभग 88 वर्ष उस पार कर चुकी महात्मा गाधी बाल कल्याण संस्थान जमादलपुर की अध्यक्षा सुश्री करी मणि नायडू जिन्होंने जिंदर्गी भर शासकीय सेवा करते हुए समाज की सेवा तो की ही उसके साथ रिटायर्ड होने पर समाज कल्याण से जुड़कर महिलाओ एवं बालिकाओं के शिक्षा एवं उत्थान के लिए दिन रात लगी हुई है सुश्री नायडू मैडम ने कहा कि मेरा संकल्प है कि जब तक मेरे शरीर में जान है तब तक में महिलाओ तो सशक्त और मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करती रहूंगी और महिलाओं की सहभागिता आज हमारे समाज में चारों ओर है बगैर महिलाओं के सहयोग के अपले भविष्य और अच्छे समाज की परिकल्पना संभव नहीं |

महिला हर क्षेत्र में अपना मुकाम बना सकती है।

टिक्की रानी नाराजू (नेटवर्कर) : टिक्की रानी नायडू जी अपने आपको एमएलएम इंडस्ट्री में स्थापित कर चुकी है। शुरुआती संघर्षों से उबरते हुए आज वो एक स्थापित हो चुके एमएलएम कंपनी में अपने मुकाम पर है। इनका मानना है कि आज महिला हर क्षेत्र में अपना विशेष मुकाम बना सकती है। बशर्ते उसमें कुछ कर गुजने की ललक हो। इन्होंने हर महिला को जो अपने आपको सफल बनाना चाहती है एक बार नेटवर्क मार्केटिंग के क्षेत्र को अजमाने का आव्हान किया है ताकि वो इस प्लेटफार्म में समय पैसा और सुरक्षा एक ही प्लेटफार्म में पा सके। साथ ही इन्होंने सबकी सफलता के लिए शुभकामनाए प्रेषित की है।

लगन से हर नारी मुकाम को हासिल कर सकती है।

सीता देवांगन (वकील): सीता देवांगान एक सीनियर वकील है। इन्होने विगत 35 वर्षों से वकालत के क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। इनसे बातचीत करने पर इन्होंने बताया कि आज हर नारी अपनी लगन और दृढ इच्छा शक्ति से अपना हर मनचाहा मुकाम को हासिल कर सकती है वो अपनी जिंदगी में भी अपनी लगन और दृढ इच्छाशक्ति से अपने आपको स्थापित किया है। उन्होंने ये भी कहा कि आज नारी हर क्षेत्र में पुरुषों के समकक्ष नजर आ रही है। इन्होंने हर महिलाला को अपने आपको मजबूत कर समाज और देश में स्थापित करने के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की है।

कड़ी मेहनत से सफलता मिली

अंजु झा (टेरीटरी मैनजर एसबीआई लाईफ | इश्योरेस): अजू झा ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से अपना एक खास मुकाम हासिल किया है। इनसे बातचीत करने पर इन्होंने बताया कि हर युग में नारी का नाम पुरुषों से पहले ही आया है चाहे वो सीता-राम हो या फिर राधे कृष्ण फिर नारी अबला कैसे हो सकती है। नारी अगर ठान ले तो हर क्षेत्र में अपने आपको शिखर पर प्रतिष्ठित कर सकती है। बशर्ते जब तक मनचाहा स्थान हासिल न हो जब तक वो रूके नहीं इन्होने हर महिलाओं को शिखर तक पहुंचने के लिए अपनी शुभकताना प्रेषित की है।

शहर का नाम किया रौशन

रीना एक्का (मिसेज इंडिया चैरिटी क्वीन खिताब विजेता)। रीना एक्का आज जाना पहचाना जाता है। इन्होने जगदलपुर का नाम रोशन किया है। इन्होने मिसेज इंडिया के प्रतिष्ठित इवेट में हिस्सा लेते हुए चैरिटी क्वीन का खिताब अपने नाम किया है। अपनी सफलता का पूरा श्रेय वे कड़ी मेहनत और लगन को बताती है। इनका कहना है कि नारी बस एकबार ठान ले तो अपनी मनचाही मंजिल को जरूर पा सकती है। इन्होंने हर महिला को अपना संदेश देते हुए कहा कि बस एक बार नही कई बार कोशिश करे अक्सर आपकी राह देख रहा है,सफलता आपको मिलकर ही रहेगी।

साहित्य के क्षेत्र में अपना स्थान बनाया

धनेश्वरी देवांगन घरा (शिक्षिका लेखिका) साहित्य के क्षेत्र में धनेश्वरी देवांगन (घरा) एक प्रतिष्ठित नाम है। इन्होने शिक्षकीय कार्य का निर्वहन करते हुए साहित्य के क्षेत्र में बहुत कम समय में उल्लेखनीय स्थान हासिल किया है। इनसे बातचीत करने पर इन्होंने कहा कि नारी आज किसी भी क्षेत्र में पुरुष से कम नहीं है। नारी ठान ले तो आज इस पुरुष प्रधान समाज में अपना अग्रणी स्थान हासिल कर सकती है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि नारी अपने आपको कमजोर न समझे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से खुदको शिख पे हर क्षेत्र में पहुंचा सकती है। इन्होंने हर महिला को सफलता के नये सोपान हासि करने के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की है।

शिक्षित महिलाएं पिछड़ी महिलाओं की दशा सुधारने में अपना विशेष योगदान दे सकती है|

वीना वासनीकर : वीना वासनीकर अपने परिश्रम से लगन से एक खास मुकाम हासिल किए है। इनके अनुसार महिला दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा एवं इनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए अवसर की तलाश है। पहले महिलाओं को कमजोर माना जाता था। मगर वर्तमान स्थिति में नारी ने जो साहस का परिचय दिया है वो काबिले तारीफ है। आज नारी की भागीदारी के बिना कोई भी कार्य पूर्ण नहीं है। समाज के हर क्षेत्र में नारी का प्रवेश परोक्ष अपरोक्ष रूप में हो पुका है। विभिल्ल प्रतियोगी परीक्षाओं में भी महिलाए आगे आ रही है। इन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर हर क्षेत्र में प्रवीण्यता अर्जित कर ली है। ये आगे कहती है कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपनी सर्वोच्चता हासिल कर सकते है।

इन्होने समस्त नारी शक्ति को शुभकामनाएं देते हुए अपने संदेश में कहा है कि शिक्षित महिलाए पिछड़ी महिलाओं की दशा सुधारने में अपना विशेष योगदान दे सकती है। विभिन्न परिस्थितियों में महिलाओं को सकारात्मक होकर चीजों को देखकर समस्याओं का हल निकालना होगा और अधिक प्रभावशाली बनने के लिए हर कौशल को सीखने एवं दक्ष होना आवश्यक है।

महिलाओ के अधिकारों को बढ़ावा देना है…

श्रीमती लिपि मोहती (सखी सहेली लेडिस क्लब,नगरनार)18 मार्च यानी सोमवार को हम सब विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलक्षियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आदोलन का प्रतीक है, और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है। इस दिन दफ्तरों, स्कूल, सरकारी संस्थानों आदि जताहो पर महिलाओं का सम्मान भी किया जाता है, ताकि तो इस दिन खास महसूस कर सके। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की सबेरे होते ही जो बाई हमारे घर आकर हमें घर की काम काज में जो हाथ बटाती हैं उनकी अवदान अतुलनीय है। और रहा सवाल खाने की क्या हम उन औरतों को भूल जाए जो घंटो भर खेत में काम करके हम सबके थाली में अनाज भरती हैं। आज हम इन्ही महिला श्रमिक के वजह से आलीशान मकान में रहते है। धन्य हो महिला जो भगवान ने ऊपर से बना के भेजे है की उनकी किरदार बहुत ही विशेष है। तो नारी है, जननी है, समाज सुधारक है, आध्यापिका भी है,डाक्टर भी है, वकील भी हैं, उच पट में भार भी सम्भाल रखी है, हवाई जहाज भी उड़ा रही है, सैनिक बन के देश को दुशमन से बचाने के लिए आगे आ जाती है,आत्म निर्भर होकर कभी टैक्सी और ऑटो भी चला कर अपने घर परिवार सम्भाल लेती है जय हो नारी और में भी एक महिला होकर दूसरे महिलाओं को आगे बढ़ने को जरुर प्रोत्साहन करुँगी छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा हो या हमारी शहर जगदलपुर महिलायें खूब अच्छी तरह से पुलिस के कार्य भी निभाती है, अच्छे समाजसेविका की काम भी करती है, स्कूल में अच्छे शिक्षिका उनके हमारे भविष्य नागरिक को उज्जवल भविष्य तैयार करती है इसलिए हम सब महिलायें एक दूसरे की सम्मान करनी चाहिए ।

नारी शक्ति आज नहीं हमेशा से ही महाशक्ति रही है…

श्रीमती के दास: अध्यक्ष नगरनार स्टील प्लांट सखी लेडीज क्लब नगरनार स्टील प्लांट सखी लेडीस क्लब की अध्यक्षा श्रीमती के दास ने महिला दिवस पर कला की नारी शक्ति आज नठी हमेशा से ही महाशक्ति रही है| देवताओं के युग में भी संकट आने पर नारी स्वरूप मा दुर्गा महाशक्ति ने देवताओं की मदद की थी और आज के युग में भी नारी शक्ति छोटे-छोटे काम से लेकर बड़े कार्य यहाँ तक की अंतरिक्ष में भी अपना परचम लहरा रही है।

पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम..

श्रीमती विनती दास(व्याख्याता): शासकीय उच्च माध्य विद्यालय रेलवे कॉलोनी जगदलपुर समाज की हर महिला को सम्मान मिलना चाहिए महिला दिवस प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है आज की महिला किसी दूसरे पर निर्भर नहीं है वह हर मामले में आत्म निर्भर और स्वतंत्र है और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी है|

हर महिला विशेष होती है चाहे वह घर हो या ऑफिस में और यह हमारी जिम्मेदारी है की हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही है।

महिलाओं के हालातों में बदलाव आया है…

चमेली कुर्रे (सुवासिता)(लेब टेक्नोलोजिस्टलेखिका): चमेली कुर्रे सुवासिता जी शासकीय सेवा करते हुए भी लेखनी के क्षेत्र में खूब नाम कमाया है। इनसे बातचीत करने पर इन्होंने कहा कि पहले महिलाओं को बंधनो में रहना पड़ता थाहे घर की चार दीवारी के अंदर रहने को मजबूर थी। उस समय के लिए में ये कह सकती हूँ कि पग-पग पीडा, पग-पग मिलती.. बता कहा है आज नयापन ? मगर वर्तमान में महिलाओं की स्थिति में बहूत बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है। अब वो हर क्षेत्र में अपना योगदान बिना किस डर के दे ही नहीं रही बल्कि अपने अधिकारों के लिए बदलते वक्त के साथ अधिक जागरूक भी हो रही है और आत्मविश्वास के साथ हर स्थान पर हर कार्य का प्रतिनिधित्व भी बढ़चढ़कर करते हुए अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही है। अंत में समस्त नारी शक्ति को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए ये कहती है कि

नारी निर्बल रहना छोड़ों, देख जगत का अत्याचार।

तुझमे सब है सामर्थ्य सकल मांग नहीं छीन लो अधिकार।।

शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है…

डॉ. रश्मि शुक्ला (प्रोफेसर दंतेश्वरी महिला महाविद्यालय) : रश्मि शुक्ला जी सहज, सरल एवं शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी नाम है। ये वर्तमान में देतेश्वरी महिला कॉलेज जगदलपुर में प्रोफेसर पद पर कार्यरत है। इनसे बातचीत करने पर इन्होंने कहा कि आज जीवन को चाहे कोई भी क्षेत्र हो सफलता के लिए शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है। इनके कॉलेज से पड़े हुए अनेक विद्यार्थी आज अंचल के दूरस्थ इलाकों में भी अपनी शिक्षा का लाभ अनेक सेवाओं को करते हुए दे रहे है और समाज व देश में अपना प्रमुख स्थान बना रहे है। इन्होंने आगे कहा कि नारी आज अबला नहीं रही। आज वो सबल है और पुरुष के साथ जीवन में कदम से कदम मिलकर चल रही है। अपनी शुभकामना संदेश में उन्होंने निरंतर सफलता को पाने के लिए प्रयास करते रहने को प्रमुखता से कहा है।

महिला दिवस जब सार्थक होगा जब विश्वभर में महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से आजादी मिलेगी…

जी. कविता नायडू (व्याख्याता) करंजी : महिला दिवस सभी विकसित और विकासशील देशों में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं को उनकी समता, सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक तरक्की दिलाने व महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किये।

सही मायने में महिला दिवस तब सार्थक होगा ब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से संपूर्ण आजादी, मिलेगी जहां उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा और समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिये को महत्वपूर्ण समझा जायेगा।

वास्तविक सशक्तिकरण तभी होगा जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्म निर्भर होगी

विजय लक्ष्मी – जगदलपुर विकासखाड के जमावड़ा हायर सेकेण्डी स्कूल की शिक्षिका विजय लक्ष्मी गुप्ता ने महिला दिवस पर सभी महिलाओं को बधाई दी। श्रीमती गुप्ता का कहना है कि आज के युग तो सबसे ज्यादा महिला सतावितकरण की बात होती है। महिला सशक्तिकरण क्या है यह कोई नही जानता। सशक्तिकरण एक विवेकपूर्ण प्रक्रिया है। इनका मानना है कि महिला दिवस का औचित्य तब तक प्रमाणित नहीं होगा जब तक कि सच्चे अर्थों में महिलाओं की दशा नही सुधरती। वास्तविक सशक्तिकरण तभी होगा जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होगी और तब उनमें कुछ करने का आत्मविश्वास जागेगा।

समूह की महिलाएं तैयार कर रही औषधि

आदिवासी बाहुल्य इलके के महिलाएं भी अब पीछे नही है। महिलाओं के द्वारा तैयार की जा रही औषधि कई घातक बीमारियों के लिए वरदान साबित हो रही है जो कुरदी की महिलाओं के लिए जीविका का साधन बना हुआ है। माँ दंतेश्वरी ज्योति महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष अंजलि ने बताया कि 12 महिलाएं इस समूह की सदस्य है। वन विभाग के सहयोग से

महिलाओं को रोजगार का साधन उपलब्ध हुआ है। वन संपदा से कई प्रकार की औषधि तैयार कर बस्तर ही नहीं प्रदेश के अन्य राज्यों में नाम कमा रही है। महिलाओं के लिए रोजगार का साधना है इसके लिए वन विभाग एवं सरकार को धन्यवाद भी दिया। वही वन-धन केन्द्र के माध्यम से आसना में भी समूह की महिलाएं चोकलेट अगरबत्ती तैयार कर रही है। समूह के महिलाओं के द्वारा तैयार की गई अगरवती की बाबू बस्तार ठी नटी प्रदेश के कई जिलों में बिखर रही है। बस्तर की महिला भी अन्य जिलों से पीछे नहीं है।

जीवन के प्रति हार नहीं मानना चाहिए….

संगीता नाग (शिक्षिका,बीजापुर): पेशे से शिक्षिका संजीता नाग जनादलपुर की रहने वाली है। इनका ससुराल बीजापुर में है। इनका सपना था कि ये जीवन में एक खास मुकाम को हासिल करे। अकस्मात इनके पति के देहात के बाद इनको जालरा सदमा लगा मनार ये टूटी नहीं और इन्होने जीवन के प्रति हार नहीं मानी और एक नेय जज्बे के साथ शिक्षण कार्य के प्रति समर्पित हो सकी। वर्तमान में ये अपने दो बच्चों का कुशलता के साथ लालन पालन करते हुए अपने सपने को पूरा करने में अबसर है। ये नारी शक्ति को कती हार न मानने की सलाह देते हुए सभी को बधाई प्रेषित की है।

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना चाहिए…

श्रीमती सोनी यादव (ब्यूटिशियन) : जगदलपुर निवासी श्रीमती सोनी यादव अपने पूरी पढ़ाई अपने मायके काकेर से करके जगदलपुर में ब्याहकर आई। इन्होने ब्यूटी पार्लर का कोर्स किया था सो जनादलपुर में ब्यूटी पार्लर के माध्यम से लोगो को सेवाएं देने लगी। परिवार से इन्हे इस कार्य हेतू सपोर्ट भी मिला। इसके अलावा ये पार्ट टाईत बच्चों को ट्यूशन मी पढ़ाती है। इस तरह से  आत्मनिर्भर हो सकी और अपने हर सपने को पूरा करते हुए गौरान्वित महसूस कर रही है। इन्होने सभी को शुभकामनाएं  प्रेषित करते हुए आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी है।

नारी का सर्वत्र सम्मान होना चाहिए……

श्रीमती कविता साहू (सभापति जगार पालिक निगता जगदलपुरा नारी शक्ति महाशक्ति है नारी का सर्वत्र सम्मान होना चाहिए नारी शक्ति महाशक्ति है और नारी का सर्वत्र सम्मान होना चाहिए आज की नारी अबला नही सबला है और नारी का जहाँ सम्मान होता है वहां खुशहाली समृद्धि होती है वहां देवताओं का वास होता है| आज के युग में नारी किसी से कम नही है आज हर कार्य में नारी शक्ति का बराबर का योगदान है आज सफाई का से लेकर ऑटो रिक्शा चलाने एवं हवाई जहाज चलने तक महिलाएं आगे| आकर कार्य कर रही है यहां तक की अंतरिक्ष में भी महिलाओं ने अपना योगदान दिया है आज हमारे समाज को चाहिए कि महिलाओं के अधिकार एवं सम्मान का पूर्ण ध्यान रखा जाए तभी एक अच्छे भविष्य का निर्माण संभव है।

सशक्त महिला ही एक सशक्त समाज की निर्माता…

मनीषा शर्मा : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुलभुत उद्देश्य समाज में महिलाओं को सशक्त करना या उन्हें समान अधिकार व सम्मान प्रदान करना है। कि महिलाए ही समाज का आधार है। इसलिये एक सशक्त महिला ही एक सशक्त समाज की निर्माता हो सकती है। महिलाएं हमेशा से ही अनेकानेक भूमिका जैसे – (माँ, बहन,बेटी,पत्नी ) के साथ ही अपने कर्तव्य (नौकरी)का निर्वहन करते हुये समाज एवं परिवार में अदृश्य संघर्षों का सामना करती आती है और कर रही है। में उन समस्त नारियो कि संघर्षों को सलाम करती हूं। समाज की प्रत्येक महिला सम्मान की हकदार है |

महिलाओं के बिना दुनियां की कल्पना नहीं की जा सकती…

चन्द्रिका गुप्ता (भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष) महिला दिवस के उपलक्ष्य में सभी को शुभकामनाएं देते हुये कहा कि- एक महिला मा, बहन, पत्नी और बहू का अपना अपना कर्तव्य निभाती है. इसलिए समाज आगे बढ़ता है। महिलाओं के बिना दुनिया की कल्पना नहीं की जा सकती, क्योंकि महिलाएं ही वंश को आगे बढ़ाती हैं और देश की प्रगति बढ़ाती है आज महिला हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही है।

महिलाओं को बराबरी के अवसर हैं उसका लाभ उठाये…

डा.सरिता निर्मल (नेत्र रोग विशेषज्ञ)। भारत ने महिलाओ की स्थिति ने पिछली कुछ सदियों में कई बड़े बदलावे का सामना किया है। प्राचीन काल में पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति से लेकर मध्ययुगीन काल के निम्न स्तरीय जीवन और साथ ही कई सुधारको द्वारा समान अधिकारों को बढ़ावा दिए जाने तक,भारत ‘में महिलाओं का इतिहास काफी गतिशील रहा है। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता आदि जैसे शीर्ष पदों पर आसीन हुई है।

भारत का संविधान सभी भारतीय महिलाओं को समान अधिकार (अनुच्छेद 4), राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं करने (अनुच्छेद 15 (1)), अवसर की समानता (अनुच्छेद 16), समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39 (घ)) की गारंटी देता है। इसके अलावा यह महिलाओं और बच्चे के पक्ष में राज्य द्वारा विशेष प्रावधान बनाए जाने की अनुमति देता है| (अनुच्छेद 15(3)), महिलाओं की गरिमा के लिए अपमानजनक प्रशाङका परित्यावा करने (अनुच्छेद 51(ए)(ई)) और साथ ही काम की उचित एवं मानवीय परिस्थितियों सुरक्षित करने और प्रसूति सहायता के लिए राज्य द्वारा प्रावधानो को तैयार करने की अनुमति देता है। (अनुच्छेद 42)]

वर्तमान समय में देश की अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के साथ, कार्यस्थलों पर व्याप्त भेदभाव और महिला सक्षा संबंधी चुनौतियों को दूर करने के लिये बहू-पक्षीय प्रयासों को अपनाया जाना चाहिए |

सरकार को असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रही महिलाओ के लिये लचित योजनाओं (प्रशिक्षण, सामाजिक और आर्थिक सूरक्ष आदि) के साथ अर्थव्यवस्था के सभी स्तने पर महिलाओं की भागीदारी और उनके हितों की रक्षा सुनिश्चित करने से जुड़े प्रयासों पर विशेष ध्यान देना होगा।

कार्यस्थलो पर महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये यातायात साधनों की पहूँच मे विस्तार के सश सार्वजनिक स्थलो पर प्रसाधन केटो आदि के तंत्र को मजबूत करना बहुत ही आवश्यक है।

उच्च शिक्षा और पेशेवर प्रशिक्षणों में शामिल लेने के लिये महिलाओ को सहयोग प्रदान करने के साथ वामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा की पच को मजबूत करने पर विशेष ध्यान देना होगा। इसके सश ही नीति निर्माण और महत्त्वपूर्ण संसाधनों के शीर्ष तंत्र में महिला प्रतिनिधित्व को बनाने हेतु विशेष प्रयास किये जाने चाहिये।मेरी निजी राय से महिलाओं और पुरुषो की बराबरी एक निरर्थक प्रयास है कुछ क्षेत्रों में महिलाओ की बराबरी के लिए पुरुष को नी अभी काफी समय लगेगा। भारत जैसे देश में जन महिलाओ को बराबरी के अवसर है उसका लाम पर अपनी एक अलवा पञ्चान और भारत के विकास में योगदान देने का प्रयास करना चाहिए।

शिक्षा के साथ आत्म विश्वास स्त्रियों को सबल बनाता है…

रंजना झा (पीओ बाल संरक्षण): विश्व महिला दिवस के अवसर पर हजारों महिलाएं अपने आत्मविश्वास से लबरेज होकर अपने पूरे परिवार का ख्याल रख रही है। इसी तारतम्य में शहर की श्रीमती रंजना झा जो बाल संरक्षण विभाग में कार्यरत है। आज विश्व महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने महिलाओं को दिये अपने संदेश में कहा कि शिक्षा ग्रहण करना अति आवश्यक है। शिक्षा के साथ आत्मविश्वास बढ़ता है। यही आत्मविश्वास महिलाओं को उसके गृहस्थ जीवन अथवा नौकरी पेशा जीवन में मजबूत बनाकर रखता है। जिससे वह आनेवाली कई परेशानियों को सहजता से झेलकर अपनी सास और मेरे पति का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे हमेशा साथ देकर मुझे इस काबिल बनाया कि मैं आज अपने दोनो दायित्वों का सफलता पूर्वक निर्वहन कर रही हूं।

महिलाओं के आत्म सम्मान हेतु शिक्षा आवश्यक:

भावना झाली (शिक्षिका मिशन स्कूल): स्त्रियों को अपने परिवार के प्रति जागरूक रहने के लिए उनका शिक्षित होना अति आवश्यक है। शिक्षा के कारण उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। किसी भी प्रकार के पारिवारिक दायित्व को समझने एवं संभालने के लिए उनको शिक्षित होना आवश्यक है। अपने परिवार का दायित्व पालन हेत शिक्षिका बिनी भावना झाली बताती है कि मेने बचपन से ही शिक्षा के प्रति जागरूकता दिखाई एवं शिक्षिका बनने का फैसला लिया। एक शिक्षक के रूप में में विशेषकर बालिकाओं के बीच शिक्षा का दीपक सदा जलाते रहूंगी क्योंकि बालिका पढ़ेगी तभी नारी सम्मान, स्वाभिमान की बातें समाज में सार्थक होगी।

सुकमा जिले में सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में बढ़ता हुआ नाम…

दीपिका शोरी सुकमा जिले के विकासखंड छिन्दगढ़ के छोटे से गाँव पाकेला में जन्म लेकर आज पूरे छत्तीसगढ़ में सामाजिक व राजनीतिक स्तर से अपने कद को बढ़ाया है दीपिका शोरी ने विदित हो कि दीपिका सुकमा जिले के धुर नक्सल क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर पानी,आवास एवं महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करने के साथ साथ महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी देने के साथ उनका कानूनी हक दिलाने की दिशा में भी कार्य कर रही है दीपिका ने बताया कि उनका सपना है कि सुकमा जिले में हर गाँव में महिला अदालत की स्थापना करना जिसमें गॉव की ही सासर 10 महिलाएं लो जो गाँव में महिलाओं के हित व उनके अधिकारों के लिए आवाज उखार समाज में महिलाओं के प्रति जो दुर्भावना बनी हुई है उसे दूर करने हेतु प्रयास करें व इस कार्य हेतु में हमेशा उनके साथ खड़ी रहूंगी।

ज्ञात हो कि दीपिका ने वकालत की परीक्षा में बस्तर यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल भी हासिल किया है व वर्तमान में एलएलएम में अध्ययनरत है |

आपको बता दे कि लॉक डाउन के दौरान जब लोगों का घरों से निकलना भी दूभर था ऐसे विषम परिस्थितियों में दीपिका ने कई गांव में जाकर बच्चों को निःशुल्क कॉपी,पेन,पुस्तके बांटी जिससे बच्चों में शिक्षा के प्रति अरुचि जागृत न हो साथ ही क्षेत्र की पानी, आवास व मजदूरी भुगतान की समस्या को दिखकर एक वाट्सअप ग्रुप बनाकर उसके माध्यम से मिली जानकारी पर सैकड़ो क्षतिग्रस्त हैंडपंप को बनवाकर पानी की सुविधा करवाई इतना ही नही अधूरे अवासो व बकाया मजदूरी की भुगतान भी गाँव गाँव जाकर करवाया जिसके कारण आज सभी ग्रामीणों के बीच इन्हे स्नेह प्राप्त हो रहा है| आज महिला दिवस के अवसर पर दीपिका ने कहा कि जब तक सुकमा जिले में महिलाओ को उनके कानूनी हक व जानकारी नही होगी में इसी प्रकार उनके बीच कानून की अलख जगाती रहूंगी |