- हैरान करने वाला है डीईओ का यह कदम
बालोद जिस डीएमएफ घोटाले ने छत्तीसगढ़ में भूचाल ला दिया है, दरअसल उसकी शुरुआत बालोद जिले से हुई थी। अब इसी बालोद जिले के शिक्षा विभाग में एक नया टेंडर स्कैम सामने आया है।
डीएमएफ घोटाला मामले की जांच कर रही एजेंसी ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक डीएमएफ स्कैम की शुरुआत कोरबा से पहले बालोद जिले से हुई थी। तब रानू साहू बालोद में कलेक्टर थी। अब कुछ ऐसे ही काले कारनामे को पॉलीकार्बोनेट डोम शेड निर्माण कार्य के टेंडर में तकनीकी रूप से अंजाम दिए जाने की तैयारी है। बालोद के जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कॉल किया गया एक टेंडर चर्चा का विषय बन गया है। बालोद जिले के कन्नेवाड़ा स्थित स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय में स्थापित प्री मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर में डोम शेड निर्माण के लिए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा टेंडर बहुत सीमित समय के लिए खोला गया गया है। टेंडर क्रय करने की तिथि 19 मई को शाम 4 बजे तक और जमा करने की अवधि 20 मई को सुबह 11 बजे तक रखी गई है। भरा हुआ टेंडर पंजीकृत डॉक से भेजना है। यह निविदा प्रणाली एवं वित्तीय नियमों का उल्लंघन है। निविदा के लिये अल्पकालिक सूचना देने का तात्पर्य है कि निविदा दाताओं को उनकी तकनीकी एवं वित्तीय निविदाओं को तैयार करने एवं मूल्यांकन हेतु पर्याप्त समय नहीं दिया जाना। जिसने निविदा प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा को सीमित कर दिया है। इतने कम समय में कोई भी अपनी निविदा का प्रति उत्तर तैयार करने एवं जमा करने की स्थिति में नहीं हो सकता। निविदा बुलाने वाला अधिकारी खुद ही अंतिम तिथि को निविदा प्रपत्र खरीद कर निर्धारित समयावधि मे पंजीकृत डाक से निविदा जमा करके दिखा दें, तो मान जाएं। इससे जाहिर होता है कि अधिकारी की मंशा कुछ और ही है।
भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं: जैन
इस पूरे मामले में में प्रदेश प्रवक्ता भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा स्वाधीन जैन का कहना है कि प्रदेश में भाजपा की पारदर्शी सरकार है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी हर सरकारी काम जीरो टॉलरेंस के साथ कर रही है, साय के सुशासन का यह मूलमंत्र है- भ्रष्टाचार रहित साफ स्वच्छ शासन और प्रशासन सुशासन तिहार इसलिए मनाया जा रहा है। अगर कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करता है तो उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा निविदा प्रपत्र जारी करने और जमा करने के लिए जो अति अल्प समय निर्धारित किया गया है, उसकी पड़ताल करने के बाद इसकी शिकायत मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से की जाएगी।