आईईडी लगाकर जवानों के बस को बनाया निशाना 5 जवान शहिद :
बस्तर में नक्सली हमला,नक्सलियों द्वारा प्लांट प्रेशर ied की चपेट में आने से जवानों से भरी बस में ब्लास्ट, 5 जवानों के शहीद होने की खबर 15 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल। बताया जा रहा है बस में 27 जवान थे सवार जिसमे की 7 जवानो को तत्काल बेहतर उपचार के लिए हेलीकाफ्टर से रायपुर भेजा गया।
नारायणपुर। घटना नारायणपुर जिला मुख्यालय से 30 km की दूरी पर स्थित थाना धौड़ाई की बताई जा रही है। जहाँ ग्राम कडेनार मदौड के पास नक्सलियों ने जवानों से भरी बस में IED ब्लास्ट कर उड़ा दिया है. इस नक्सली हमले में 5 जवान के शहीद होने की पुष्टि हो गई है जबकि 15 से अधिक जवानो के घायल होने की खबर है। घायल जवान डी आर जी बटालियन के थे।
बताया जा रहा है कि बस में 27 डीआरजी के जवान सवार थे. सभी डीआरजी के जवान बस में सवार होकर कडेनार से मंदोड़ा जा रहे थे. तभी घात लगाए बैठे नक्सलियों ने बस पर आईईडी ब्लास्ट कर दिया।
शहीद जवानों में जय लाल उइके कसवाहि, प्रधान आरक्षक, करन देहरी, अंतागढ़, सेवक सलाम कांकेर, पवन मंडावी भही गांव, विजय पटेल नारायणपुर बता दें कि बीते दिनों नक्सलियों की ओर से शांति वार्ता के लिए सरकार के समक्ष तीन प्रस्ताव रखा गया था. जिस पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने सकारात्मक संकेत दिया था. उन्होंने कहा कि मेरे तक पत्र नहीं पहुंचा है. सरकार की भी मंशा शांति स्थापित करने की है. लेकिन नक्सली निशर्त बात करें. इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की जाएगी।
छत्तीसगढ़ सरकार से शांति वार्ता की पहल करते हुए सशर्तों दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता के नाम से पत्र जारी किया गया है। इसमें तीन शर्ते रखी गई हैं, जिसमें पहला सुरक्षा बलों को हटाने, नक्सली संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने और जेलों में कैद नक्सली नेताओं को बिना शर्त रिहा करने की मांग की गई है।
नक्सलियों के इस शांति प्रस्ताव पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सरकार की भी मंशा शांति स्थापित करना है. नक्सलियों के इस प्रस्ताव पर बिल्कुल इस विचार किया जाएगा, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि क्या कदम उठाया जाएगा. ये एक दिन का मुद्ददा नहीं है. इस पर मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद आगे के कदमों को लेकर फ़ैसला लिया जाएगा।
बस्तर पुलिस आईजी सुंदर राज पी. ने नक्सलियों के प्रस्ताव पर कहा था कि क्रांति के नाम पर की जा रही क्रूर हिंसक गतिविधियों का औचित्य बताने में अबतक माओवादी नेतृत्व असफल है. आम लोगों ने माओवादी विचारधारा और उनके कार्य करने के तरीकों पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिया है। वरिष्ठ माओवादी कैडर के खोखले दावों की असलियत भांपकर अब उनके अपने कैडर भी संगठन छोड़कर जा रहे हैं।