जगदलपुर। विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में शहर के युवा रंगकर्मियों द्वारा दलपत सागर के आईलैंड में बैठक आहूत की गई। इस बैठक में सोशल डिस्टनसिंग एवं मास्क का उपयोग करते हुए कला के क्षेत्र में नवीन संस्था के गठन पर चर्चा की गई। चर्चा उपरांत सर्वसहमति से “नाट” का गठन किया गया जिसमें बस्तर लोककला के संरक्षण, संवर्धन, उत्थान एवं उसे एक नई ऊंचाई देने की महती उद्देश्य से “नाट” नामक संस्था का गठन किया गया।
नाट के गठन के तुरंत बाद इस संस्था के सदस्य परमेश राजा, शैलेन्द्र पांडे एवं हरीश साहू ने कहा कि “नाट” सामान्य कला एवं संस्कृति के इतर बस्तर की विविध लोककला जैसे नाट, नाचा सही तमाम लोक कलाओं के संरक्षण, संवर्धन व पोषण का काम करेगा। उन्होंने कहा की फ़िल्म और टेलीविजन के युग में रंगकर्म लगभग अपनी अंतिम सांसे गिन रही है ऐसे में बस्तर जैसे आदिवासी बहुल अंचल में कई ऐसी संस्थाएं है जो आज भी रंगकर्म की अलख को जगाए रखे हैं। निकट भविष्य में “नाट” भी रंगकर्म के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका अदा करेगी जिसमे नवीन प्रतिभाओं को अधिक से अधिक मौका दिया जाएगा। “नाट” बस्तर की युवाओं में छुपी हुई लोक प्रतिभाओं को उभारने और उनको राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंच और पहचान दिलाने में भरपूर प्रयास करेगी। सदस्यों ने कहा कि जल्द कार्यकारिणी का गठन कर लोकतांत्रिक, पारदर्शी एवं सर्वसहमति से दायित्वों का आबंटन किया जाएगा।
“नाट” के गठन के दौरान परमेश राजा, शैलेन्द्र पांडे, हरीश साहू, पंकज सेठिया, अनुराग, यादव, सुमित सोनवानी, सुंदर साहू, शुभम कुमार शिवहरे, मनीष भोजवानी आदि उपस्थित थे।