रासायनिक खादों के दामों में की गई वृद्धि वापस लेने की मांग की किसान सभा ने

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छत्तीसगढ़ किसान सभा ने मोदी सरकार द्वारा खाद कंपनियों को रासायनिक खाद की कीमतों में 45 से 60 प्रतिशत तक की भारी वृद्धि करने की अनुमति देने की तीखी निंदा की है तथा इसे वापस लेने की मांग की है। किसान सभा ने कहा है कि इससे फसलों की लागत में काफी बढ़ोतरी होगी, जो कृषि व्यवस्था और नागरिकों की उपभोक्ता प्रणाली के लिए काफी नुकसानदेह है।

आज यहां जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है कि दो माह पहले ही इफको ने यह घोषणा की थी कि खेती-किसानी की लागत को कम करने के उद्देश्य से वह रासायनिक खादों की कीमतों में वृद्धि नहीं करेगी। लेकिन अब उसने मूल्य वृद्धि की घोषणा की है, तो स्पष्ट है कि ये कंपनियां रासायनिक खाद निर्माण के लिए सरकार से मिल रही सब्सिडी को किसानों को हस्तांतरित करने के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह वृद्धि ऐसे समय की गई है, जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है और इसके बावजूद देश के किसान डीजल व अन्य कृषि आदानों की बढ़े हुए दामों के कारण और अनियोजित लॉक डाउन के चलते दोहरे आर्थिक संकट की मार झेल रहे हैं। इस वृद्धि से स्पष्ट है कि मोदी सरकार किसानों की आय को दुगुनी करने के बजाए कृषि लागत को दुगुनी करने की नीति पर चल रही है।

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उल्लेखनीय है कि हाल ही में जारी इफको के एक परिपत्र के अनुसार गैर-यूरिया रासायनिक खादों के दाम में 45 से 60% तक की वृद्धि की गई है। मीडिया को इस मूल्य वृद्धि का चार्ट जारी करते हुए किसान सभा नेताओं ने कहा है कि इससे 50 किलो वाली डीएपी बैग की कीमत 1200 रुपये से बढ़कर 1900 रुपये हो गई है तथा एनपीके 1183 रुपये की जगह 1800 रुपये में मिलेगी। इसी प्रकार, 45 किलो वाले नीम कोटेड खाद के बोरे की कीमत 925 रुपये से बढ़कर 1350 रुपये हो गई है। किसान सभा नेताओं ने कहा कि एक ओर तो मोदी सरकार सी-2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने से इंकार कर रही है, वहीं दूसरी ओर खाद कंपनियों द्वारा अनाप-शनाप मुनाफ़ा बटोरने पर भी रोक लगाने के लिए तैयार नहीं है।

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