जगदलपुर… पंचायतों में भ्रष्टाचार की बात कोई नई बात नहीं है अक्सर पंचायत के सरपंच… सचिव… और रोजगार सहायक मिलकर ग्राम पंचायतों को विकास के लिए शासन की तरफ से उपलब्ध कराए गए शासकीय राशि का बंदरबांट कर लेते हैं और विकास कार्य के नाम पर खानापूर्ति करते हुए गुणवत्ताहीन सड़क पुलिया नाली बनाकर शासकीय राशि का गबन कर लेते हैं और ग्रामीणों द्वारा देखा गया विकास का सपना महज सपना बनकर रह जाता है ताजा मामला शहर सीमा से लगे ग्राम पंचायत आसना का है जहां ग्राम पंचायत आसना ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत पौधारोपण कार्य स्वीकृत करवाते हुए इंद्रावती नदी के किनारे पौधारोपण का कार्य किया |
मनरेगा से हुए इस कार्य के लिए 7.116 लाख रुपए की स्वीकृति मिली थी जिसके अंतर्गत बस्तर की लाइफ लाइन माने जाने वाली इंद्रावती नदी के किनारे पौधारोपण किया जाना था पंचायत ने बकायदा बड़े तामझाम के साथ पौधारोपण किया भी…लेकिन घटिया स्तर के बांस के चंद छोटे टुकड़ों के ट्री गार्ड बनाकर पंचायत पौधों की सुरक्षा करना भूल गया |
ना ही कभी लगाए गए पौधों की सरपंच ग्राम पंचायत आसना ने सुध ली…और ना ही पंचायत सचिव ने झांक कर देखा… क्योंकि यह कार्य मनरेगा से स्वीकृत हुआ था और मनरेगा से किए जाने वाले कार्यों में रोजगार सहायक की भूमिका किए जा रहे कार्यों की निगरानी करने की होती है इसके अलावा रोजगार सहायक ही मजदूरों के भुगतान के लिए जिम्मेदार होता है लेकिन रोजगार सहायक की भूमिका भी इस पौधरोपण रोपण कार्य में संदिग्ध है |
वर्तमान स्थिति यह है कि सैकड़ों की संख्या में नदी किनारे सिर्फ सूखे हुए कुछ बांस के बने ट्री गार्ड नजर आ रहे हैं अधिकतर पौधे तो मर चुके हैं और बचे हुए कुछ छोटे पौधों की सुध लेने वाला भी कोई नहीं है पंचायत द्वारा लगाए गए पौधे भी जांच का विषय हैं क्योंकि पंचायत द्वारा जिन पौधों को लगाया गया वह बहुत ही छोटे होने के अलावा नवजात पौधे नजर आ रहे थे जिनकी स्थिति कार्यस्थल में अभी भी जस की तस है वर्तमान में इंद्रावती नदी की स्थिति यह है कि लगातार बाढ़ के चलते नदी के दोनों छोर की मिट्टी का लगातार क्षरण हो रहा है जिसके चलते नदी का प्राकृतिक बनावट भी अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है अगर सही ढंग से पौधारोपण का कार्य हुआ होता तो निश्चित तौर पर ही कुछ हद तक मिट्टी के कटाव को यही पौधे बड़े होकर रोकने का कार्य करते लेकिन पंचायत के दुर्भावना वश किए गए पौधरोपण कार्य से यह भी संभव होता नहीं दिख रहा है |
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2020 – 21 में बस्तर जिला प्रशासन ने युवोदय के माध्यम से बड़े तामझाम के साथ जिले भर में पौधरोपण रोपण का कार्य किया था और इस कार्य में भी ग्राम पंचायत आसना ने युवोदय टीम की मदद ली थी बावजूद इसके देखरेख और उचित प्रबंधन की कमी के चलते सारे पौधे अब मर चुके हैं इस पूरे मामले को लेकर लगभग महीने भर पहले जनपद पंचायत जगदलपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी y.k. पटेल को भी अवगत कराया गया था बावजूद इसके CEO महोदय ने इस पूरे मामले को लेकर चुप्पी साध रखी है शहर सीमा से लगे ग्राम पंचायत में खुलेआम हुए इस भ्रष्टाचार के खेल में जनपद पंचायत जगदलपुर की भूमिका भी संदिग्ध है शिकायत के बाद भी जनपद पंचायत के CEO साहब के सुस्त रवैया के चलते भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले दोषियों के हौसले बुलंद हैं शहर के इतनी नजदीक अगर इस तरीके से भ्रष्टाचार किया जा रहा है तो आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं जनपद के अंदरूनी ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे विकास कार्यों की क्या स्थिति होगी |
आसना के ग्रामीणों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मनरेगा से हुए इस कार्य में मजदूरों को किए गए भुगतान में भी ग्राम पंचायत ने सेंधमारी का कार्य किया है क्योंकि इस कार्य के लिए पंचायत ने बस्तर जिला प्रशासन द्वारा गठित युवोदय टीम की भी मदद ली थी ऐसे में कितने मजदूरों से काम लिया गया और कितने मजदूरों को भुगतान किया गया इसकी जानकारी भी ग्राम पंचायत आसना ग्रामवासियों को देने को तैयार नहीं है अब देखना यह है कि इस पूरे मामले को लेकर बस्तर जिला प्रशासन क्या रुख अख्तियार करता है और दोषियों पर क्या वाकई में कुछ कार्यवाही होगी या जांच के नाम पर खानापूर्ति कर मामले को निपटाया जाएगा